Dehradun: कार में छुपाकर ले जा रहे थे 14 कछुए, चेकिंग में आरोपित दंपती गिरफ्तार
देहरादून में पुलिस ने एक दंपती को गिरफ्तार किया है जो कार में 14 कछुए छुपाकर ले जा रहे थे। चेकिंग के दौरान यह मामला सामने आया। पुलिस ने कछुओं को बरामद ...और पढ़ें

कछुआ तस्करी के आरोप में गिरफ्तार दंपती । पुलिस
संवाद सूत्र, जागरण रायवाला : क्षेत्र में कछुओं की तस्करी जारी है और जिम्मेदार लकीर पीट रहे हैं। गुरुवार सुबह रायवाला कोतवाली पुलिस ने कार में छुपाकर ले जाए जा रहे संरक्षित प्रजाति के 14 कछुओं के साथ दंपती को गिरफ्तार किया है। तस्करी के आरोपित ऋषिकेश के रहने वाले हैं।
प्रभारी निरीक्षक राजेंद्र सिंह खोलिया ने बताया कि गुरुवार सुबह सघन चेकिंग अभियान चलाया जा रहा था, तभी हरिद्वार की ओर से आ रही लाल रंग की कार को रोककर चेक किया गया। जिसकी डिग्गी से संरक्षित प्रजाति के 14 छोटे-बड़े कछुए बरामद किए गए। जिसके बाद कार सवार बेताबनाथ व उसकी पत्नी बरखा निवासी काले-की-ढाल ऋषिकेश को गिरफ्तार किया गया।
प्रभारी निरीक्षक के मुताबिक पूछताछ ने उन्होंने बताया की यह कछुए नजीबाबाद निवासी एक व्यक्ति से खरीदे थे और तस्करी के लिए ऋषिकेश अपने घर ले जा रहे थे। जहां से वह स्थानीय खरीदारों को बेचकर मुनाफा कमाने की फिराक में थे। दोनों के विरुद्ध वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
इंडियन फ्लैपशेल प्रजाति के हैं कछुए
कार से बरामद कछुए इंडियन फ्लैपशेल प्रजाति के हैं। यह इस क्षेत्र में मीठे पानी में पाए जाते हैं। नरम त्वचा और खोल के फ्लैप जो अंग को ढकते हैं, उसके कारण इन्हें फ्लैपशेल कहा जाता है।
टाइगर रिजर्व से घिरा है क्षेत्र
बीते माह दिल्ली में हुए बम धमाके के बाद आए दिन उत्तराखंड में जिला बार्डर पर पुलिस चेकिंग कर रही है। जिसके चलते गुरुवार को रायवाला में कछुआ तस्कर पुलिस की हत्थे चढ़ गए। ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि कहीं कछुवा और दूसरे वन्य जीवों की तस्करी का धंधा चरम पर तो नहीं है।
दरअसल, यह क्षेत्र राजाजी टाइगर रिजर्व से घिरा हुआ है। जहां मौजूद मीठे पानी की नदी व जलाशयों में इंडियन फ्लैपशेल प्रजाति के कछुए बड़ी मात्रा में पाए जाते हैं। पुलिस ने जो कछुए बरामद किए वह भी इसी प्रजाति के हैं। सवाल इसलिए भी अहम है क्योंकि खुली सीमाओं वाले राजाजी टाइगर रिजर्व में तस्करों की सक्रियता किसी से छिपी नहीं है।
जंगल के आसपास संदिग्ध बस्तियां भी हैं। जहां से तस्कर आसानी से जंगल में प्रवेश कर शिकार कर जाते हैं। वन विभाग का सुरक्षा व सूचना तंत्र तस्करों के आगे बौना साबित हो रहा है।
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