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    वन्यजीवों में टीबी का खतरा बढ़ा: बंदरों, हिरणों, हाथियों में क्षय रोग के मामले आने पर वैज्ञानिक चिंतित

    Updated: Mon, 01 Dec 2025 11:18 PM (IST)

    वैज्ञानिकों ने वन्यजीवों में टीबी (क्षय रोग) के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई है। बंदरों, हिरणों और हाथियों में इस बीमारी के पाए जाने से वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों पर सवाल उठ रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि वन्यजीवों में टीबी के मामले बढ़ने से पारिस्थितिकी तंत्र पर भी बुरा असर पड़ सकता है।

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    बैठक में मौजूद डाक्‍टर

    जागरण संवाददाता, बरेली। भारतीय पशु चिकित्सा दिवस के अवसर पर भारतीय पशु चिकित्सा संस्थान (आइवीआरआइ) के पूर्व निदेशक डा. चित्तामणि सिंह की 103वीं जयंती के उपलक्ष्य में आनलाइन राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस वर्ष का कार्यक्रम डा. सीएम सिंह एंडोमेंट ट्रस्ट के माध्यम से हुआ। कार्यक्रम में बंदरों, हिरणों, हाथियों सहित अनेक वन्य जीव प्रजातियों में क्षय रोग के मामले लगातार सामने आने पर चिंता जाहिर की गई।

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    इस अवसर पर हुए 12वें डा. सीएम सिंह स्मृति व्याख्यान में मुख्य वक्ता एम्स भोपाल के पूर्व निदेशक डा. सरमन सिंह रहे। उन्होंने क्षय रोग (टीबी), विशेषकर पशुजन्य क्षय रोग पर विस्तृत प्रकाश डाला। कहा कि पालतू एवं वन्यजीव दोनों ही टीबी के प्रमुख आधार हैं। जिसके कारण मानव में इस रोग का पूर्ण नियंत्रण निकट भविष्य में कठिन है। उन्होंने टीबी नियंत्रण के लिए वन हेल्थ पद्धति अपनाने पर जोर दिया। बताया कि मनुष्य, पशु और पर्यावरण इन तीनों के संयुक्त दृष्टिकोण से ही इस रोग पर प्रभावी नियंत्रण संभव है।

    दूसरा व्याख्यान वन्यजीव एवं बंधक वन्यजीवों में क्षय रोग की वर्तमान स्थिति विषय पर केंद्रित था, जिसे आइवीआरआइ वन्यजीव केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. एम. करिकलन ने प्रस्तुत किया। उन्होंने डा. सरमन सिंह के विचारों का समर्थन करते हुए बताया कि बंदरों, हिरणों, हाथियों सहित अनेक वन्य जीव प्रजातियों में क्षय रोग के मामले लगातार सामने आ रहे हैं, जो गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि माइकोबैक्टीरियम की कई नई-नई प्रजातियों का पता चलना यह दर्शाता है कि यह रोग वन्यजीवों में व्यापक रूप से फैला हुआ है।

    संगोष्ठी की शुरुआत में ट्रस्ट के उपाध्यक्ष डा. एसके अग्रवाल ने कहा कि आधुनिक तकनीक और स्वस्थ पशु उच्च उत्पादन की अनिवार्य आवश्यकता हैं। ट्रस्ट के अध्यक्ष डा. एमएल मेहरोत्रा ने डा. सीएम. सिंह के जीवन, व्यक्तित्व एवं उत्कृष्ट योगदान पर विस्तृत प्रकाश डाला। इस अवसर पर ट्रस्ट के सचिव डा. रमेश सोमवंशी ने ट्रस्ट के उद्देश्यों, गतिविधियों तथा उपलब्धियों पर विस्तृत प्रस्तुति दी।

    संगोष्ठी में देशभर के विभिन्न राज्यों केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, गोवा, दिल्ली, पंजाब, जम्मू एवं कश्मीर, ओडिशा, मध्य प्रदेश आदि से बड़ी संख्या में प्राध्यापक, विज्ञानिक, शोधकर्ता एवं पशु चिकित्सा के छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। प्रमुख रूप से अनिल कुमार (त्रिवेंद्रम), प्रो. डीवी जोशी, प्रो. वीर सिंह (अहमदाबाद), डा केपी सिंह, डा. आरवी. पवैया, डा. एमएच खान, डा. वीबी चतुर्वेदी आदि शामिल रहे। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन डा. सत्यवीर सिंह मलिक ने किया।

     

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