coronavirus: मुश्किल दौर में योद्धा बन उभरे डीआइजी, न सिर्फ पुलिसिंग का तरीका बल्कि सोच भी बदली
मित्र पुलिस के मानवीय चेहरे से रूबरू होने के बाद लोग अब खाकी को अपना सच्चा हमदर्द समझने लगे हैं। उनकी सोच में इस बदलाव का श्रेय डीआइजी अरुण मोहन जोशी को जाता है।
देहरादून, जेएनएन। पुलिस से न दोस्ती अच्छी, न ही बैर। यह कहावत अब पुरानी हो चुकी है। कोरोना से जंग में अग्रिम पंक्ति में खड़ी मित्र पुलिस के मानवीय चेहरे से रूबरू होने के बाद लोग अब खाकी को अपना सच्चा हमदर्द समझने लगे हैं। लोगों की सोच में इस बदलाव का श्रेय जाता है डीआइजी अरुण मोहन जोशी को, जो इस मुश्किल दौर में योद्धा के तौर पर उभरे हैं।
यह डीआइजी की दूरदर्शी सोच ही थी कि प्रदेश में कोरोना का संक्रमण पहुंचने से पहले ही उन्होंने इससे जंग की योजना बनाना शुरू कर दिया था। इसी तैयारी का नतीजा था कि कोरोना संक्रमण के मामले सामने आते ही डीआइजी ने पुलिस लाइन में कोविड कंट्रोल रूम का गठन कर दिया। जिसकी जिम्मेदारी एसपी क्राइम लोकजीत सिंह को सौंपी गई। प्रदेश स्तरीय बन चुका यह कंट्रोल रूम इस समय देश का नंबर वन कंट्रोल रूम है। कोरोना को लेकर हर गतिविधि की मॉनीटरिंग डीआइजी खुद ही कर रहे हैं।
कोरोना से लड़ने के लिए पुलिस इस समय किसी मल्टीनेशनल कंपनी की तरह काम कर रही है। जिसके अंतर्गत सभी प्रकार के डाटा का कलेक्शन किया जा रहा है। इसमें राशन वितरण से लेकर लोगों की अन्य समस्याएं भी शामिल हैं। इसकी निगरानी डीआइजी खुद कर रहे हैं। जिला प्रशासन से लेकर समाजसेवी संगठनांे की ओर से दिया जा रहा राशन भी थानों के माध्यम से बंटवाया जा रहा है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि हर व्यक्ति तक मदद पहुंच रही है और जो लोग कभी पुलिस से खौफ खाते थे अब वह पुलिस को अपना समझना लगे हैं।
हर व्यक्ति तक पहुंचे भोजन, ऐसी बनाई योजना
कोई भी व्यक्ति भूखा न रहे, इसके लिए डीआइजी ने तीन श्रेणियां बनाई हैं। प्रथम श्रेणी में ऐसे व्यक्तियों को रखा गया, जिनके पास राशन कार्ड है। उन्हें सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान से राशन उपलब्ध करवाया जा रहा है। दूसरी श्रेणी में ऐसे व्यक्तियों को रखा गया जिनके पास राशन कार्ड नहीं है, पर अपना आवास है। उन्हें ड्राई राशन उपलब्ध कराया गया। तीसरी श्रेणी में वो लोग हैं, जिनके पास न तो राशन कार्ड है और न ही खाना बनाने के संसाधन। पुलिस ऐसे लोगों को रोजाना कुक्ड फूड उपलब्ध करा रही है।
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पुलिसकर्मियों का दर्द भी समझा
कोरोना के खिलाफ जंग में डीआइजी को लापरवाही भी बर्दाश्त नहीं है। जहां-जहां लापरवाही देखी, वहां डांट फटकार भी लगाई। इसका ताजा उदाहरण घंटाघर के निकट दुकानदार द्वारा नियमों का पालन न करना भी है। वहीं, गर्म होते मौसम के बीच पुलिस पिकेटों में ड्यूटी कर रहे पुलिस कर्मचारियों का दर्द समझते हुए डीआइजी ने उनके लिए जूस और ठंडे पेय पदार्थ पहुंचाने का आदेश दिया है।
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