coronavirus को हराने के लिए हर मोर्चे पर एक टीम बन किया काम, गरीबों के लिए बने मसीहा
उत्तराखंड में हर एक शख्स ने कोरोना वायरस को हराने के लिए सभी मोर्चों पर एक टीम बन कोशिशें कर रहे हैं।
देहरादून, जेएनएन। कोरोना वायरस से जंग और उसे हराने के लिए उत्तराखंड में हर एक शख्स सभी मोर्चों पर एक टीम बन कोशिशें कर रहे हैं। हमारे शिक्षक, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता इस काम को पूरी ईमानदारी के साथ कर रहे हैं। यह काम अब भी जारी है। इसके साथ-साथ लॉकडाउन में दून में फंसे और यहां काम करने वाले तमाम जरूरतमंदों के लिए भोजन और राशन भी जुटाया जा रहा है। प्रशासन के तमाम अधिकारी बखूबी इस काम को अंजाम दे रहे हैं। संकट की इस घड़ी में यह भी सुखद अनुभव है कि हमारे सामाजिक और धार्मिक संगठन भी प्रशासन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं।
कोरोना को वैश्विक महामारी घोषित किया जा चुका था और देश में भी संक्रमण के मामले सामने आने लगे थे। अनजाने खतरे से निपटने के लिए हमने की तैयारियां शुरू कर दी थी। 15 मार्च को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी (आइजीएनएफए) के प्रशिक्षु अधिकारी में संक्रमण की पुष्टि के साथ दून में कोराना का पहला मामला दर्ज किया गया। इस आशंका के लिए हम पहले से तैयार थे। विदेश से लौटे जिस दल में यह अधिकारी शामिल रहे, उसके दून स्थित वन अनुसंधान संस्थान पहुंचते ही बिना समय गंवाए सभी को पुलिस निगरानी में क्वारंटाइन और आइसोलेशन में रख दिया गया।
इस दल के दो और प्रशिक्षु अधिकारियों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि होते ही पूरे एफआरआइ परिसर को सील करने में भी देर नहीं की गई। इस काम में स्वास्थ्य विभाग समेत पुलिस और प्रशासन के विभिन्न अधिकारियों ने एक मजबूत टीम बनकर काम किया। 22 मार्च को जब देहरादून जिले को लॉकडाउन करने का निर्णय लिया गया, तो कानून का सख्ती से पालन कराने के साथ ही जरूरतमंदों को भोजन और राशन मुहैया कराने के लिए भी वृहद प्लान तैयार किया। अब तक हमने कम्युनिटी सर्विलांस भी तेज कर दिया था।
देशभर में जब जमातियों के कारण कोरोना संक्रमण का ग्राफ बढ़ने लगा तो हमने मजबूत कम्युनिटी सर्विलांस और पुलिस सर्विलांस के बूते जल्द ही सभी संदिग्ध जमातियों को क्वारंटाइन कर दिया। इस अवधि में बेशक कोरोना संक्रमण का ग्राफ छह से बढ़कर 18 जा पहुंचा, लेकिन इसे लोकल और कम्युनिटी ट्रांसमिशन का रूप नहीं लेने दिया गया। जहां भी जमातियों में कोरोना संक्रमण मिला, उन क्षेत्रों को सील और पृथक रूप से लॉकडाउन किया गया। साथ ही कम्युनिटी सर्विलांस की रफ्तार और तेज बढ़ा दी गई।
हमारे शिक्षक, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता इस काम को पूरी तन्मयता से कर रहे हैं। यह काम अब भी जारी है। इसके साथ-साथ लॉकडाउन में दून में फंसे व यहां काम करने वाले तमाम जरूरतमंदों के लिए भोजन व राशन भी जुटाया जा रहा है। प्रशासन के तमाम अधिकारी बखूबी इस काम को अंजाम दे रहे हैं। संकट की इस घड़ी में यह भी सुखद अनुभव है कि हमारे सामाजिक और धार्मिक संगठन भी प्रशासन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं।
जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव का कहना है कि विभिन्न स्तर पर मिल रहे सहयोग से हर जरूरतमंद तक राहत पहुंचाई जा रही है। इस तरह के हालात में काम करने के बारे में किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा, मगर कोरोना की रोकथाम में जुटा हर व्यक्ति किसी भी जिम्मेदारी को निभाने के लिए तत्पर दिख रहा है। संकट की ऐसी घड़ी में एक बात की सीख और मिली कि यदि मेहनतकश लोगों को प्रोत्साहित किया जाए तो किसी भी चुनौती से निपटा जा सकता है। 'कोरोना वारियर ऑफ दि डे' के माध्यम से अपनी जिम्मेदारी एक कदम आगे बढ़कर निभाने वाले कार्मिक, संगठन और व्यक्तियों को हर दिन कोरोना वारियर का खिताब दिया जा रहा है। इसका निर्णायक असर दिख रहा है।
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पूरा प्रशासनिक अमला और समाज के लोग इससे प्रोत्साहित हो रहे हैं। लोग अनेक हैं, मगर सभी का मकसद एक हो गया है। नगर निगम भी अलग अंदाज में निरंतर सार्वजनिक स्थलों को सैनिटाइज करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा। सभी का सहयोग एक बड़ा कदम बन रहा है। कोरोना के खिलाफ हमारी लड़ाई आसान हो रही है। लॉकडाउन का पहला फेज न सिर्फ हमने अपनी तैयारियों के अनुरूप पार कर लिया, बल्कि इस दौरान आठ संक्रमित लोग भी स्वस्थ हो चुके हैं। पिछले एक सप्ताह में हालात निरंतर दुरुस्त होते देखना भी सुकून देता है। अब पूरी टीम लॉकडाउन के दूसरे चरण को सफल बनाने में जुट गई है।
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