डीआइजी की कलम से: आइसोलेशन की अनिवार्यता में मानवीय मूल्यों को सहेजने का प्रयास
पुलिस का प्रभारी होने के लिहाज से एक बात जहन में हमेशा रहती है कि किस तरह आम नागरिकों को कोरोना संक्रमण के खतरे से सुरक्षित रखा जाए। ये कहना है डीआइजी अरुण मोहन जोशी का।
अरुण मोहन जोशी, जेएनएन। इस संकट काल में जनपद पुलिस का प्रभारी होने के लिहाज से एक बात जहन में हमेशा रहती है कि किस तरह आम नागरिकों को कोरोना संक्रमण के खतरे से सुरक्षित रखा जाए। इसके लिए कई कड़े कदम भी उठाने पड़े, लेकिन इस बात का हमेशा ख्याल रखा कि भूल से भी हम मानवीय मूल्यों से न भटकें। प्रयास है कि हम जो भी कार्य करें, उसमे सहानुभूति और संवेदनशीलता बनी रहे। यह बहुत बड़ी चुनौती है, क्योंकि इस तरह का यह पहला अनुभव है। दून पुलिस अपने हर दिन की शुरुआत इसी संकल्प के साथ करती है कि महामारी को रोकने के लिए वह सिर्फ विभागीय दायित्वों तक सीमित न रहें। बल्कि मित्रता, सेवा और सुरक्षा के संकल्प को भी चरितार्थ किया जाए।
कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों और देशव्यापी लॉकडाउन के बीच पुलिस हर मोर्चे पर पूरे दमखम के साथ जुटी है। इस संकटकाल ने मुश्किलें तो खड़ी की हैं, लेकिन पुलिस को न सिर्फ नई जिम्मेदारी के निर्वहन का साहस और हौसला दिया, बल्कि मित्रता, सेवा और सुरक्षा के संकल्प को सही मायने में चरितार्थ करने का अवसर भी मिला। यही वजह रही कि कोरोना संक्रमण पर हम पारस्परिक समन्वय से काफी हद तक अंकुश लगाने में कामयाब हुए
पुलिस के अधिकारियों से लेकर सिपाही तक अपनी जान की परवाह किए बगैर कोरोना संक्रमण को रोकने में जुटे हैं। ऐसे समय में एक ही बात मन को आहत करती है और वह है बिना वजह लोगों का घर से निकलना और लॉकडाउन के नियमों की अवहेलना। ऐसे में न चाहते हुए भी हमें सख्त कदम उठाने पड़ते हैं। लोगों को समझना चाहिए कि यह प्रतिबंध उनके जीवन को बचाने के लिए है।
देहरादून में जैसे ही कोरोना संक्रमण की शुरुआत हुई, पुलिस ने तत्काल दूसरे राज्यों से आने वाले सभी लोगों की पहचान कर उन्हें आइसोलेट करने की योजना बनाई। इस कड़ी में यह पहला टास्क था। इसके बाद लॉकडाउन और शारीरिक दूरी जैसे मानकों का पालन कराना था। इसके लिए हर उस स्थान पर पुलिस की ड्यूटी लगाई गई, जहां से एक बड़े क्षेत्र को कवर किया जा सके। साथ ही शहर में ड्रोन से निगरानी शुरू की गई। ताकि कम भागदौड़ में नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जा सके। इस कड़ी में दूसरा महत्वपूर्ण कदम रहा, जरूरतमंद लोगों तक हरसंभव त्वरित सहायता पहुंचाना। उनकी जरूरतों की चीजें जैसे खाना, दवाई इत्यादि की पुलिस ने होम डिलीवरी तक की।
इस कार्य को जनता की खूब सराहना भी मिली। हौसला बढ़ा तो कई पुलिसकर्मी जरूरतमंद और गरीब परिवारों को इस संकट काल में अपने परिवार का हिस्सा मानते हुए गोद लेने के लिए भी आगे आए। इस मुहिम का असर यह हुआ कि देहरादून में कोई भी शख्स भूखा नहीं रहा। शुरुआत में जरूरतमंद लोगों की सूचनाएं एकत्र करने में दिक्कत आई तो 24 घंटे चलने वाले कंट्रोल रूम की स्थापना की गई साथ ही, जिसका नंबर नंबर 0135-2722100 है। थानावार कोविड-19 हेल्पडेस्क भी बनाई गई।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।