पौष्टिक आहार के सेवन से बढ़ती है व्यक्ति की कार्यक्षमता Dehradun News
खाने में हमेशा पांच तरह के खाद्य पदार्थों को शामिल करें। इनमें दूध एवं दुग्ध उत्पाद अन्न एवं दालें फल सब्जियों आदि का होना बेहद जरूरी है। ऐसे आहार लेने से कार्यक्षमता बढ़ती है।
देहरादून, जेएनएन। खाने में हमेशा पांच तरह के खाद्य पदार्थों को शामिल करें। इनमें दूध एवं दुग्ध उत्पाद, अन्न एवं दालें, फल, सब्जियों आदि का होना बेहद जरूरी है। फास्ट फूड के अत्याधिक सेवन और पौष्टिक आहार नहीं लेने की वजह से आज युवा पीढ़ी बीमारियों की जद में आ रही है। इंस्टेंट फूड या रेडी टु ईट फूड आइटम खाने के बजाय कोशिश की जानी चाहिए कि स्वास्थ्यवर्धक खाना खाया जाए। आरोग्य धाम अस्पताल के संचालक वरिष्ठ गैस्ट्रो सर्जन डॉ. विपुल कंडवाल ने दैनिक जागरण के अभियान 'जंक फूड से जंग' के तहत आयोजित कार्यशाला में यह बात कही।
मांडूवाला स्थित डीबीआइटी इंस्टीट्यूट में आयोजित कार्यशाला में उन्होंने कहा कि संतुलित व पौष्टिक आहार ही अच्छे स्वास्थ्य का परिचायक होता है। जहां आहार बिगड़ा, वहीं स्वास्थ्य भी शीघ्र गड़बड़ा जाता है। पर आज की पीढ़ी फास्ट फूड और जंक फूड खाना ज्यादा पसंद करती हैं। परिणामस्वरूप उनके शरीर को आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिल पाते। वह अधिक वसा, शर्करा या नमक से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अभिभावक चिंता तो करते हैं पर एक समय के बाद वे चाहकर भी बच्चों की खानपान की आदतें नहीं सुधार सकते। नतीजा यह कि ये छोटी-छोटी आदतें आगे चलकर बीमारी की बुनियाद बन जाती हैं। उन्होंने कहा कि खानपान की बदलती आदतें पोषण पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही हैं।
भोजन में यह लें
डॉ. कंडवाल ने सलाह दी कि मौसमी फल और सब्जियों का नियमित सेवन करें। रोटी, चावल, अनाज आदि सभी चीजें खाएं, क्योंकि सभी में शरीर के लिए आवश्यक पौष्टिक तत्व होते हैं। कहा कि दूध और अन्य डेयरी उत्पाद का सेवन भी शरीर के लिए आवश्यक है। मीट, मछली, अंडा और ड्राई फ्रूट्स का नियमित सेवन करने की सलाह भी उन्होंने दी।
खराब पोषण से कम होती है रोग प्रतिरोधक क्षमता
उन्होंने बताया कि खराब पोषण से रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और बीमारियों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है। इसके अलावा शारीरिक व मानसिक विकास भी बाधित होता है। संतुलित आहार खाने वाले बच्चे स्वस्थ व सक्रिय जीवनशैली की नींव रखते हैं। इससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं का भी जोखिम कम होता है। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि बच्चों को ऊर्जा, प्रोटीन, आयरन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन और खनिजों की अच्छी खुराक मिले।
संस्थान के निदेशक पंकज चौधरी ने जागरण के इस अभियान की सराहना की। उन्होंने कहा कि युवा अवस्था बहुत ही संवेदनशील आयु होती है, जिस दौरान एक व्यक्ति को अच्छा व स्वास्थ्यवर्धक भोजन करना चाहिए। आकर्षक, सुविधाजनक व हर जगह आसानी से उपलब्ध होने वाले फास्ट या जंक फूड को लोगो ने जितनी तेजी से अपनाया है उतनी ही रफ्तार से इनसे होने वाले दुष्परिणामों का भी सामना करना पड़ रहा है।
वक्ता आ गया कि खानपान के बारे में रहें सतर्क
उन्होंने कहा कि वक्त आ गया है कि खानपान को लेकर हम चेत जाएं। यदि नियमित रूप से घर का खाना खाया जाए तो 70 प्रतिशत लोगों की बीमारियां अपने आप ही खत्म हो जाएंगी। इस दौरान कोऑर्डिनेटर सौरभ, डायटीशियन दीपशिखा गर्ग आदि भी मौजूद रहे।
स्वाद के साथ सेहत
डॉ. कंडवाल ने कहा कि बच्चे खाने-पीने में अक्सर ना-नुकुर करते हैं। मना करने के बावजूद जंक फूड खाते हैं। ऐसे में डीप फ्राइड फूड लेने के बजाय बेक्ड या ग्रिल्ड फूड का विकल्प आजमाया जा सकता है। इसके अलावा उन्हें सब्जी, सलाद और दाल (प्रोटीन का अच्छा स्रोत) जरूर खिलाएं। बच्चों को खाने में वैराएटी पसंद होती है।
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ऐसे में उन्हें बेक्ड पोटेटो, चीला, वैज सैंडविच, वेज कटलेट, फ्रूट पंच और ओट्स के साथ दूध और ड्राईफ्रूट्स दिए जा सकते हैं। अगर बच्चे बर्गर, फ्रेंच फ्राइज या पिच्जा जैसी चीजें खाने के शौकीन हों तो हमेशा बाहर से मंगवाने के बजाय उन्हें घर पर ही बनाने का प्रयास करना चाहिए।
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