उत्तराखंड: पीएम मोदी की रैली का कांग्रेस 'पीके' से देगी जवाब
उत्तराखंड में कांग्रेस के वार रूप में अब पीके की धमक दिखेगी। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पार्टी के चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर (पीके) के साथ बीती देर रात्रि गुपचुप ढंग से गहन मंथन किया।
देहरादून, [रविंद्र बड़थ्वाल]: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दून में कामयाब रैली और केंद्रीय मंत्रियों के लगातार दौरों से प्रदेश में भाजपा को मिल रही ऊर्जा ने कांग्रेस की पेशानी पर बल डाल दिए हैं। सत्तारूढ़ दल कांग्रेस अब 'पीके' के चुनाव प्रबंधन और प्रचार के हथियार से भाजपा को करारा जवाब देगी।
उत्तराखंड में कांग्रेस के वार रूप में अब पीके की धमक दिखेगी। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पार्टी के चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर (पीके) के साथ बीती देर रात्रि गुपचुप ढंग से गहन मंथन किया। तकरीबन दो घंटे तक दोनों ने प्रत्येक विधानसभासीटवार सियासी समीकरणों को खंगालते हुए भावी चुनावी रणनीति का खाका तैयार किया है।
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बीती 27 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दून में रैली में भारी संख्या में लोगों के उमडऩे से कांग्रेसी हलके में बेचैनी है। नोटबंदी के चलते जनता की परेशानी को मुद्दा बना रही कांग्रेस को उम्मीद थी कि रैली में भीड़ के जरिए जनता केंद्र सरकार और भाजपा को जवाब देगी। लेकिन, ऐसा नहीं हो सका।
उल्टे, सत्तारूढ़ दल पर ही दून में आगामी रैलियों में ऐसी भीड़ जुटाकर दम-खम दिखाने का दबाव बढ़ गया है। उत्तराखंड पर अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए कांग्रेस विधानसभा चुनाव के लिए फूंक-फूंक कर कदम बढ़ा रही है। मुख्यमंत्री हरीश रावत खुद यह बीड़ा उठाए हुए हैं। चुनाव आचार संहिता लागू होने से ऐन पहले मोदी की रैली ने कांग्रेस को अपनी रणनीति बदलने को मजबूर कर दिया है।
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विधानसभा चुनाव में भाजपा की चुनावी रणनीति के और आक्रामक होते जाने का अनुमान कांग्रेस को भी है। ऐसे में प्रशांत किशोर के टिप्स उत्तराखंड में भी चुनाव प्रबंधन और प्रचार की कार्ययोजना बनाने में पार्टी और सरकार के कामयाब आएंगे। कांग्रेस हाईकमान उत्तराखंड के लिए भी यह जिम्मेदारी प्रशांत किशोर को सौंप चुका है।
इस सिलसिले में देहरादून पहुंचे प्रशांत किशोर ने बीती मध्य रात्रि बीजापुर हाउस में मुख्यमंत्री हरीश रावत के साथ लंबी गुफ्तगू की। कांग्रेस अब राज्य में केंद्रीय मंत्रियों और भाजपा के शीर्ष नेताओं के होने वाले दौरों को लेकर भी सजग हो गई है। पिछले कई महीनों से तमाम केंद्रीय मंत्री केंद्र सरकार के जन हित के फैसलों के क्रियान्वयन से लेकर प्रचार-प्रसार करने तक कई बार राज्य का दौरा कर चुके हैं।
केंद्र सरकार के फैसलों की पहुंच सीधे राज्य की जनता तक बन रही है, जबकि राज्य सरकार पूरी ताकत झोंकने के बावजूद इस मामले में अंदरखाने खुद को कमजोर आंक रही है। प्रशांत किशोर के साथ चर्चा में इन तथ्यों को ध्यान में रखकर आगामी रणनीति को अंजाम देने पर मशक्कत की गई।
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पार्टी एक-एक विधानसभा सीट को लेकर गंभीर है। दस विधायकों की बगावत के बाद कई क्षेत्रों में वैसे भी पार्टी की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं। इन हालात में मुख्यमंत्री हरीश रावत पर स्टिंग प्रकरण में सीबीआइ का शिकंजा कसने पर पार्टी इसे भावनात्मक रंग देने से नहीं चूकेगी।
प्रशांत किशोर के टिप्स का असर केंद्रीय छानबीन समिति के फैसले पर भी देखा जा रहा है। समिति ने पार्टी टिकट चाहने वाले प्रत्येक आवेदक से संबंधित विधानसभा क्षेत्र में मतदान केंद्रवार पांच पार्टी कार्यकर्ताओं के नाम, मोबाइल नंबर और पता देने को कहा है। इसके पीछे मकसद यही बताया जा रहा है कि संभावित प्रत्याशी को पहले पार्टी के साथ अपने जुड़ाव को लेकर भी स्थिति साफ करनी होगी। प्रशांत किशोर की रणनीति पार्टी के चुनावी प्रबंधन के हिस्से के तौर पर आगे दिखाई दे सकती है।
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