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    निकाय चुनाव पर कांग्रेस दिग्गजों में अंदरखाने बढ़ा टकराव

    By BhanuEdited By:
    Updated: Fri, 13 Apr 2018 06:11 PM (IST)

    निकाय चुनाव को लेकर जिलों के दौरे पर निकले कांग्रेस के पर्यवेक्षकों को दमदार प्रत्याशियों को ढूंढने में पसीने छूट रहे हैं।

    निकाय चुनाव पर कांग्रेस दिग्गजों में अंदरखाने बढ़ा टकराव

    देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: निकाय चुनाव को लेकर जिलों के दौरे पर निकले कांग्रेस के पर्यवेक्षकों को दमदार प्रत्याशियों को ढूंढने में पसीने छूट रहे हैं। इसकी वजह दावेदारों की बड़ी संख्या तो है ही, साथ में विधायकों और पूर्व विधायकों की अपने-अपने क्षेत्रों में तैयार की गई सूची भी है। इस सूची को तरजीह मिली तो संगठन से सीधे जुड़े कार्यकर्ताओं के मनोबल पर असर पड़ने का अंदेशा बना हुआ है। इस चुनौती को देखते हुए पर्यवेक्षक बेहद सावधानी से हर स्तर पर फीडबैक ले रहे हैं। इस फीडबैक के बूते जिताऊ उम्मीदवारों पर दांव खेलने की तैयारी है। 

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    शहरी निकायों के चुनावों को लेकर कांग्रेस में खासा उत्साह है। इस चुनाव के बहाने पार्टी प्रदेश की सियासत में दमदार  वापसी की कोशिशों में जुट गई है। पार्टी की जीत का पूरा दारोमदार ऐसे कंधों पर टिकना है, जो सत्तारूढ़ दल की चुनौती का हर स्तर पर मजबूती से मुकाबला कर सकें। ऐसे उम्मीदवारों को तलाश करने की राह आसान नहीं है। 

    निकाय चुनावों में प्रत्याशियों की तलाश में जिलों में निकले पर्यवेक्षकों की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं। माना जा रहा है कि सभी 13 जिलों में तैनात पर्यवेक्षक हफ्तेभर के भीतर अपनी रिपोर्ट कांग्रेस मुख्यालय को सौंप देंगे। इस रिपोर्ट को अंतिम देने की कसरत के बीच पर्यवेक्षक खुद को दुविधा में भी पा रहे हैं। 

    विधायकों व पूर्व विधायकों के पसंदीदा दावेदारों और संगठन के स्तर पर सक्रिय रहे कार्यकर्ताओं की दावेदारी को लेकर बढ़ते टकराव को दुविधा का कारण माना जा रहा है।  

    ऐसे में पार्टी के लिए मजबूत प्रत्याशी का चयन मशक्कत का सबब बन गया है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक अधिकतर निकायों में विधायक और पूर्व विधायक अपने चहेतों को टिकट दिलाने का दबाव बनाए हुए हैं। वहीं संगठन से जुड़े टिकटार्थियों और उनके पैरोकारों का तर्क है कि विधानसभा चुनाव में विधायकों और पूर्व विधायकों को तवज्जो दी जा चुकी है, लिहाजा संगठन को मजबूत करने में जुटे कार्यकर्ताओं को निराश नहीं किया जाना चाहिए। 

    यही वजह है कि पर्यवेक्षकों के साथ जिलों में होने वाली बैठकों में संगठन में सक्रिय नेता व पदाधिकारी भी टिकट पर अपना और अपने समर्थकों का दावा ठोक रहे हैं।

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