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    चीनी एप से करोड़ों रुपये की ठगी में कंपनी का निदेशक लखीमपुर से गिरफ्तार

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Sat, 12 Jun 2021 11:23 AM (IST)

    उत्तराखंड एसटीएफ ने मोबाइल एप के जरिये करोड़ों रुपये की ठगी करने वाले गिरोह के एक और सदस्य को लखीमपुर उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार किया है। जिन ग्यारह कंपनियों के खातों को ठगी के लिए इस्तेमाल किया गया आरोपित उनमें से दो कंपनियों का निदेशक है।

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    एसटीएफ की ओर से लखीमपुर से गिरफ्तार किया गया आरोपित प्रकाश बैरागी।

    जागरण संवाददाता, देहरादून। उत्तराखंड एसटीएफ ने मोबाइल एप के जरिये करोड़ों रुपये की ठगी करने वाले गिरोह के एक और सदस्य को लखीमपुर उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार किया है। जिन ग्यारह कंपनियों के खातों को ठगी के लिए इस्तेमाल किया गया, आरोपित उनमें से दो कंपनियों (मौजाजा टेक्नोलॉजी व सुमेथ प्राइवेट लिमिटेड) का निदेशक है। इन कंपनियों के खातों से 57 करोड़ के लेन-देन होना सामने आया है। पुलिस के मुताबिक जांच में चीन के दो नागरिकों के नाम सामने आए हैं। केंद्रीय एजेंसी के माध्यम से इन्हें ब्लू कार्नर नोटिस भेजा रहा है। अपराधी की पहचान या संदिग्ध गतिविधियों का पता लगाने के लिए यह नोटिस भेजा जाता है।

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    अपर पुलिस महानिदेशक एवं उत्तराखंड पुलिस के मुख्य प्रवक्ता अभिनव कुमार ने बताया कि जांच में उत्तर प्रदेश के मियांपुर बेली ग्राम लखीमपुर खीरी निवासी प्रकाश बैरागी के ठगी करने वाले गिरोह से जुड़े होने का पता चला। इस पर एसटीएफ ने वहां पहुंचकर उसे दबोच लिया। उसके खातों से 50 हजार रुपये फ्रीज कराए गए हैं। इसी सिलसिले में चार रोज पहले उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्धनगर से गिरफ्तार आरोपित पवन कुमार पांडेय के बैंक खातों में भी लगभग 28 लाख रुपये फ्रीज कराए गए हैं।

    एडीजे ने बताया कि इस मामले में अभी तक उत्तराखंड के विभिन्न जनपदों से 55 शिकायतें प्राप्त हुई हैं, तीन मुकदमें दर्ज किए जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि गिरोह ने खातों में पैसा ट्रांसफर करने के लिए अलग-अलग ऑनलाइन वॉलेट और गेटवे का उपयोग किया है। इन सभी से संपर्क करके जानकारी जुटाई जा रही है। उत्तराखंड में अभी तक 360 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी सामने आ चुकी है। इस गिरोह का देश के अन्य राज्यों में भी नेटवर्क सामने आया है। ऐसे में ठगी की रकम एक हजार करोड़ तक होने का अनुमान है।

    एडीजी के अनुसार धोखाधड़ी से हासिल की गई कुछ रकम को क्रिप्टो करेंसी के रूप में चीन भेजे जाने के प्रमाण मिले हैं। यह पता चला है कि ठगी के लिए इस्तेमाल पावर बैंक एप को चीन से ही संचालित किया जा रहा था। विदेशी नागरिकों और कंपनियों के इस प्रकरण से जुड़े होने के चलते केंद्रीय जांच एजेंसियों से भी समन्वय बनाकर जांच को आगे बढ़ाया जा रहा है।

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