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    अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर अवस्थापना विकास को प्रतिबद्ध: सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Mon, 22 May 2017 04:03 AM (IST)

    उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि सीमा पर स्थित गांवों से पलायन रोकने के लिए अवस्थापना सुविधा विकसित की जा रही हैं।

    अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर अवस्थापना विकास को प्रतिबद्ध: सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत

    देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: उत्तराखंड के तीन जनपद पिथौरागढ़, चमोली और उत्तरकाशी की 375 किलोमीटर लंबी सीमा सुरक्षा की दृष्टि से बेहद अहम हैं। राज्य के दूरस्थ और अति दुर्गम क्षेत्र में भी तिब्बत से लगी सीमा भी सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है। सिक्किम में आयोजित चीन की सीमा से सटे राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि सीमा पर स्थित गांवों से पलायन रोकने के लिए अवस्थापना सुविधा विकसित की जा रही हैं। इस दौरान उन्होंने आईटीबीपी के साथ समन्वय, बॉर्डर एरिया डेवलपमेंट प्रोग्राम आदि मुद्दों पर भी विचार रखे।

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    शनिवार को गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में गंगटोक (सिक्किम) में आयोजित बैठक में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि भारत-चीन सीमा की सुरक्षा का उत्तरदायित्व आईटीबीपी पर है। सीमा क्षेत्र में आईटीबीपी, सेना, आईबी और राज्य पुलिस समन्वय बनाकर सुरक्षा व्यवस्था संभालते हैं। 

    उन्होंने कहा कि चीनी घुसपैठ को रोकने के लिए सीमा क्षेत्र में आबादी का बसा रहना जरूरी है। राज्य सरकार इन क्षेत्रों से पलायन रोकने के लिए सड़क, दूरसंचार, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि सेवाओं का विस्तार कर रही है। ऐसे क्षेत्रों में रोजगार सृजन के लिए भी योजना तैयार की जा रही है।

    मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि वर्ष 1962 से पूर्व भारत-तिब्बत के बीच खुला व्यापार होता था, लेकिन 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद यह व्यापार बंद कर दिया गया। वर्ष 1991 में चीन के प्रधानमंत्री के भारत आगमन के बाद 1992 से व्यापार दोबारा शुरू हुआ। वर्तमान में वाणिज्य मंत्रालय भारत सरकार के निर्देशानुसार पिथौरागढ़ जिला प्रशासन इसकी व्यवस्था संभाल रहा है। 

    बीते वर्ष छह करोड़ रुपये का व्यापार भारत-तिब्बत के बीच हुआ। इस क्षेत्र में राज्य सरकार व्यापारियों के लिए भी सुविधाएं विकसित कर रही है। उन्होंने भारतीय व्यापारियों द्वारा जनपद पिथौरागढ़ के नाभिढांग एवं कालापानी क्षेत्र में व्यापारी भवन का निर्माण और स्थाई ट्रेड अधिकारी की नियुक्ति की मांग की गई है। इस पर भी सरकार विचार कर रही है। 

    बैठक में सीएम ने बताया कि चमोली के सिविल अधिकारियों का प्रत्येक वर्ष जून से अक्टूबर माह के बीच में चार बार बाड़ाहोती का दौरा करता है। उन्होंने तिब्बत सीमा क्षेत्र के बाड़ाहोती में बीते वर्ष चीनी सैनिकों की गतिविधियां बढ़ने पर चिंता व्यक्त की। इस दौरान मुख्यमंत्री रावत ने बताया कि सीमा क्षेत्र में विकास योजनाओं के तहत चमोली में 52 किमी लंबे घस्तौली-रत्ताकोना, 33 किमी के नीति-ग्याढुंग, 49 किमी के मलारी-अपर रिमखिम, पिथौरागढ़ में 62 किमी के  मुनस्यारी-बुगड्यार-मिल्लम मोटर मार्ग, 75 किमी के घटियाबगड़-लिपुलेख मोटरमार्ग, 32 किमी के गुंजी-जौलीग्कांग मोटर मार्ग का निर्माण बीआरओ कर रहा है। इसके साथ ही उत्तरकाशी में 23 किमी के भैरोंघाटी-नेलांग मार्ग,  12 किमी के नागा-सोनम मार्ग, 11 किमी के नागा-नीलापानी और आठ किमी के नेलांग-नागा रोड का निर्माण प्रस्तावित है।

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