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    सीएम रावत ने की उरेडा की योजनाओं की समीक्षा, वैकल्पिक ऊर्जा को बढ़ावा देने के दिए निर्देश

    By Raksha PanthariEdited By:
    Updated: Mon, 10 Aug 2020 09:07 PM (IST)

    सीएम ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वैकल्पिक ऊर्जा को बढ़ावा दिया जाए। उरेडा ने जो भी योजनाएं चलाई हैं उनका प्रचार-प्रसार भी किया जाए।

    सीएम रावत ने की उरेडा की योजनाओं की समीक्षा, वैकल्पिक ऊर्जा को बढ़ावा देने के दिए निर्देश

    देहरादून, जेएनएन। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वैकल्पिक ऊर्जा को बढ़ावा दिया जाये। उरेडा ने जो भी योजनाएं चलाई हैं, उनका विकासखंड मुख्यालय पर होर्डिंग के माध्यम से प्रचार-प्रसार भी किया जाये। पिरुल से बिजली उत्पादन के लिए स्वयं सहायता समूह और एनजीओ को कैसे जोड़ा जा सकता है, इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। पर्वतीय जिलों में दो-दो ब्लॉक ऐसे चिह्नित किये जाये, जहां पिरूल अधिक है। इन ब्लॉकों में मॉडल ब्लॉक के रूप में कार्य शुरू किये जाएं। सीएम ने कहा कि पिरुल से बिजली उत्पादन में रोजगार में बहुत संभावनाएं हैं। महिला स्वयं सहायता समूहों को और अधिक एक्टिव किया जाये। इसके लिए जिला स्तर पर डीएफओ को नोडल अधिकारी बनाया जाये। पिरुल नीति से बिजली उत्पादन के साथ ही वनाग्नि की समस्या का समाधान भी होगा।  

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    सीएम रावत ने सोमवार को सचिवालय में उरेडा के जरिए संचालित योजनाओं की समीक्षा की। इस दौरान सीएम ने कहा कि स्वयं सहायता समूहों ने जो बिजली के उपकरण बनाए हैं, उनकी मार्केटिंग की व्यवस्था भी की जाए। विशेष उत्सवों और पर्वों पर सरकारी कार्यालयों में स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा दिया जाए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना की कार्ययोजना जल्द तैयार कर ली जाए। पंचायतीराज विभाग के माध्यम से ग्राम प्रधानों और अन्य जन प्रतिनिधियों के साथ समन्वय स्थापित किया जाए। इस योजना के लिए पूरा रोड मैप तैयार किया जाए। ग्रीन एनर्जी के कॉन्सेप्ट पर अधिक कार्य किया जाए।

    इस दौरान सचिव ऊर्जा राधिका झा ने कहा कि प्रदेश में वैकल्पिक ऊर्जा के क्षेत्र में अनेक कार्य किए जा रहे हैं। सोलर में 272 मेगावाट के कार्य स्थापित हो चुके हैं, वर्ष 2019 -20 में 283 विकासकर्ताओं को 203 मेगावाट सौर परियोजनाएं आवंटित की गई है, जिसका कार्य मार्च 2021 तक पूरा हो जाएगा। लघु जल विद्युत के 202 मेगावाट के कार्य पूरे हो चुके हैं, जबकि 1099 मेगावाट के कार्य प्रगति पर हैं। बायोमास और को-जनरेशन के क्षेत्र में 131 मेगावाट के कार्य पूरे हो चुके हैं, 39 मेगावाट के कार्य प्रगति पर हैं। नगरीय कूड़े करकट से विद्युत उत्पादन के लिए वेस्ट टू इनर्जी नीति का गठन किया गया है। इसके लिए शहरी विकास विभाग के जरिए निविदा की प्रक्रिया गतिमान है।203 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजनाएं प्रदेश के स्थायी निवासियों को आवंटित की गई थी, कोविड-19 की वजह से इन परियोजनाओं के स्थापित होने में और समय लगेगा। 

    निदेशक उरेडा कैप्टन आलोक शेखर तिवा़री ने कहा कि पिरुल नीति-2018 के अंतर्गत ऊर्जा उत्पादन के लिए 1060 किलोवॉट क्षमता की परियोजनाएं 36 विकासकर्ताओं को आवंटित की गई हैं। प्रदेश में वैकल्पिक योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए ग्रीन सैस एक्ट पारित किया गया है। प्रदेश के सभी जिलों में केंद्र पोषित योजना के अंतर्गत 90 प्रतिशत अनुदान पर 19,655 सोलर स्ट्रीट लाईटों की स्थापना का कार्य चल रहा है। यह कार्य मार्च 2021 तक पूरा हो जाएगा। प्रदेश के सरकारी आवासीय विद्यालयों में निवासरत छात्रों को गर्म पानी की सुविधा के लिए कुल 50500 ली. प्रतिदिन क्षमता के सोलर वाटर हीटिंग संयंत्र स्थापित किये गये हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी जनपदों में एक-एक गांव को 'ऊर्जा दक्ष ग्राम' के रूप में विकसित किए जाने का कार्य किया जा रहा है। यह कार्य दिसंबर 2020 तक पूरा हो जाएगा। एलईडी ग्राम योजना के तहत महिला स्वयं सहायता समूहों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। 

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    इस योजना के तहत प्रदेश की लगभग सभी आठ हजार ग्राम पंचायतों में स्ट्रीट लाईट लगाने की योजना तैयार की जा रही है। प्रदेश के सभी सरकारी विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में विद्युत की खपत में कमी करने के लिए सैकी  के माध्यम से चयनित फर्मों द्वारा 1.899 पैसा प्रति यूनिट की दर पर सोलर पावर प्लांट लगाए जाने के लिए सर्वेक्षण का कार्य चल रहा है। बैठक में प्रमुख सचिव आनंद वर्द्धन, एमडी यूपीसीएल डॉ. नीरज खैरवाल, अपर सचिव उदयराज, विनोद कुमार सुमन और उरेडा के अधिकारी उपस्थित थे।

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