मुख्यमंत्री ने गढ़वाली बोली में वीडियो जारी कर प्रवासियों की मदद का फिर से दिलाया भरोसा
विभिन्न शहरों से अपने गांव लौटे प्रवासियों के नाम एक रोज पहले गढ़वाली में पत्र जारी करने के बाद सीएम ने गढ़वाली में वीडियो जारी कर प्रवासियों की मदद का फिर से भरोसा दिलाया।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। कई प्रवासियों का मन गांव में रहने का होगा। गांव में रहकर कुछ काम करने का होगा। प्रदेश सरकार इसमें पूरा सहयोग करने को तैयार है। लॉकडाउन के कारण देश के विभिन्न शहरों से अपने गांव लौटे प्रवासियों के नाम एक रोज पहले गढ़वाली में पत्र जारी करने के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गढ़वाली बोली में वीडियो जारी कर प्रवासियों की मदद का फिर से भरोसा दिलाया।
मुख्यमंत्री रावत ने गढ़वाली में प्रवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि कोविड-19 की वजह से सभी अपने घर-गांव आए हैं। एक लंबा समय अपने गांव के बंधु-बांधवों, नजदीकी दोस्तों से मिलने का मिला। सभी खुशी-खुशी इस समय को बिता रहे होंगे। साथ ही तरह-तरह के विचार भी मन में आ रहे होंगे, अपने गांव व क्षेत्र के विकास के बारे में। उन्होंने प्रवासियों द्वारा कई जगह श्रमदान के जरिये स्कूलों की सफाई, पाइपलाइनों की मरम्मत जैसे कार्यों का उल्लेख भी किया और कहा कि यह संदेश देने वाली बात है कि हम अपने कार्य और कर्म से लोगों को शिक्षा दे सकते हैं।
उन्होंने दोहराया कि जो भी प्रवासी गांव में रहकर कुछ करने के इच्छुक हैं, उन्हें सरकार पूरा सहयोग करने को तैयार है। उन्होंने कहा कि प्रवासियों से सुझाव लेने के दृष्टिगत एक फार्म भी भरवाया जा रहा है, जो इंटरनेट और सरकारी साइट्स पर उपलब्ध है। इसके माध्यम से लोग अपने सुझाव सरकार तक पहुंचाएं। पत्र, ई-मेल समेत अन्य माध्यमों से भी सुझाव दिए जा सकते हैं। सरकार की कोशिश होगी कि भविष्य की नीति में इन्हें शामिल किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कोरोना संकट का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे उत्तराखंड में भी उद्योग, कारोबार, पर्यटन, स्वास्थ्य सेवाएं, छोटे-बड़े व्यवसाय सभी पर असर पड़ा है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पंचायत प्रतिनिधियों से कही गई बात का उल्लेख करते हुए कहा कि महामारी का संदेश यही है कि हम आत्मनिर्भर बनें। गांव की अर्थव्यवस्था गांव पर निर्भर हो और जिले की जिले पर। इस सिलसिले में सरकार मंत्रिमंडलीय समिति बनाने वाली है, उसके माध्यम से भविष्य की रणनीति बनाई जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई लंबी है। इसलिए सरकार की ओर से जो भी निर्देश, एडवाइजरी जारी हों, सभी लोग उनका हर स्तर पर अनुपालन करें।
नेपाली नागरिकों की वतन वापसी के लिए प्रदेश सरकार सक्रिय
लॉकडाउन के कारण उत्तराखंड में फंसे नेपाली नागरिकों की वतन वापसी के लिए प्रदेश सरकार सक्रिय हो गई है। इस कड़ी में प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने नेपाल दूतावास के डिप्टी चीफ ऑफ मिशन मिनिस्टर्स बीके रेग्मी से दूरभाष पर वार्ता की। रेग्मी ने इस सिलसिले में नेपाल सरकार से बातचीत करने का भरोसा दिलाया।
पिथौरागढ़ के धारचूला में फंसे नेपाली नागरिकों की संख्या 1500 के लगभग है। वे सभी अपने देश लौटना चाहते है, लेकिन उन्हें नेपाल सरकार से इसकी इजाजत नहीं मिल पा रही। इसके अलावा प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में भी 1500 से ज्यादा नेपाली श्रमिक फंसे हैं।
इसे देखते हुए पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने नेपाल दूतावास के अधिकारी बीके रेग्मी से बातचीत कर इस तरफ ध्यान खींचा। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार राज्य में फंसे नेपाली नागरिकों को सभी सुविधाएं मुहैया करा रही है और इनकी वापसी से पहले उनका स्वास्थ्य परीक्षण भी कराया जा सकता है। महाराज के अनुसार रेग्मी ने कहा कि वह जल्द ही नेपाल सरकार से बात करेंगे, ताकि उत्तराखंड में फंसे नेपाल के नागरिकों की वतन वापसी सुनिश्चित हो सके।
संन्यासियों की हत्या की सीबीआइ जांच हो
पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने महाराष्ट्र के पालघर जिले में दो संन्यासियों और एक चालक की हत्या की कड़ी निंदा करते हुए इस मामले की सीबीआई जांच की मांग उठाई है। महाराज ने शनिवार को वीडियो जारी कर कहा कि इस जघन्य हत्याकांड को अंजाम देने वाले लोगों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
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वनाधिकारियों को नेपाल यात्रा की अनुमति दें उत्तराखंड व उप्र
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) का कहना है कि नेपाल सीमा से लगे टाइगर रिजर्व में बाघ समेत दूसरे वन्यजीवों की सुरक्षा और मॉनीटरिंग सशक्त करने के दृष्टिगत उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सरकारों को बिहार की भांति अपने वनाधिकारियों को नेपाल आवागमन की स्थायी अनुमति देनी चाहिए। इस संबंध में एनटीसीए के उप महानिरीक्षक निशांत वर्मा ने दोनों राज्यों के प्रमुख सचिव वन को पत्र भेजकर यह एडवाइजरी जारी की है। बिहार के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व की तरह उत्तराखंड के कार्बेट टाइगर रिजर्व और उप्र के पीलीभीत टाइगर रिजर्व की सीमाएं नेपाल से सटी हैं।
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