Haridwar Lockdown: लॉकडाउन में शहर से वापस लौटी गांव की रौनक
लॉकडाउन में कई तरह की मुश्किलों के बीच कुछ अच्छी बातें भी हो रही हैं। इस दौरान अपने गांव लौटे किसान शहरी काम-धंधे से अलग एकबार फिर से खेती-किसानी पर ध्यान दे रहे हैं।
हरिद्वार, जेएनएन। लॉकडाउन में कई तरह की मुश्किलों के बीच कुछ अच्छी बातें भी हो रही हैं। इस दौरान अपने गांव लौटे किसान शहरी काम-धंधे से अलग एकबार फिर से खेती-किसानी पर ध्यान दे रहे हैं। सभी आपसी सहयोग से एक-दूसरे के खेतों में गेहूं कटाई का काम निपटा रहे हैं। जिनके पास कृषि भूमि नहीं है, उन्हें कृषि से संबंधित रोजगार मिल रहा है। इससे किसान और श्रमिक दोनों खुश हैं और गांव में खुशहाली नजर आ रही है।
पिछले कुछ वर्षों में क्षेत्र में औद्योगिक इकाइयों के आने से व्यवसायिक गतिविधियों में इजाफा हुआ है। खेती से पर्याप्त आय न होने के कारण गांव से तमाम किसान पुश्तैनी खेती-किसानी का काम छोड़ शहर में नौकरी करने चले गए थे। कुछ ने पर्याप्त जमीन न होने के कारण बेहतर जिंदगी की आस में शहर की ओर रूख किया। इससे गांव में खेती के लिए श्रमिकों का मिलना भी मुश्किल हो गया।
विशेषकर फसलों की कटाई के समय श्रमिकों को बाहर से बुलाना पड़ता है। स्थानीय स्तर पर श्रमिकों की कमी के कारण किसानों को भी परेशानी ङोलनी पड़ती है। इन दिनों लॉकडाउन के दौरान फैक्टियां और व्यवसायिक गतिविधियां बंद होने से तमाम ग्रामीण अपने-अपने गांव लौट आए हैं। स्थानीय श्रमिकों के अलावा दूसरे शहरों में काम करने वाले श्रमिक भी घर पर ही हैं।
इससे खेती के लिए आसानी से श्रमिक मिल पा रहें हैं। इन दिनों गेहूं की कटाई के अलावा गन्ने की बुआई का कार्य चल रहा है। दाबकी गांव की ग्राम प्रधान सुनीता चौधरी के अनुसार खेती के कार्य के लिए गांव में इन दिनों श्रमिक आसानी से मिल रहे हैं।
लॉकडाउन के चलते घर में खाली पड़े श्रमिकों को कृषि कार्य में रोजगार उपलब्ध होने से वे भी खुश हैं कि इस वैश्विक मंदी में कम से कम उन्हें घर पर ही रोजगार उपलब्ध हो रहा है। यही कारण है कि अधिकांश क्षेत्रों में पचास फीसदी से अधिक गेहूं की फसल की कटाई हो चुकी है। इससे जहां किसानों की मुश्किलें कम हुई हैं।
परस्पर सहयोग से आसान हुआ काम
किसान महिपाल सिंह के अनुसार, गांव में आकर अच्छा लग रहा है। सभी ग्रामवासी मिलजुलकर एक परिवार की भांति रह रहे हैं। लॉकडाउन में यथासंभव एक दूसरे की मदद कर रहे हैं। परस्पर सहयोग से मुश्किल भरा काम भी आसान हो गया है।
कर रहे एक दूसरे की मदद
किसान बिट्टू सिंह के मुताबिक, सहयोग करने के लिए सदैव तत्पर रहना ग्रामीण जीवन की विशेषता है। आधे से ज्यादा लोग खेती पर निर्भर हैं। इन दिनों गेहूं की थ्रेसिंग चल रही है। इस कार्य में सभी दूसरे की मदद कर रहे हैं। यहां आकर अच्छा लग रहा है।
दे रहे एकता का परिचय
किसान अमित चौधरी का कहना है कि लॉकडाउन में गांव के लोग एकता, अनुशासन और संयम का परिचय दे रहे हैं। बहुत जरूरी हो तभी गांव से बाहर जा रहे हैं। गांव में मौजूद संसाधनों से ही लोग काम चला रहे हैं। परस्पर सहयोग से मुश्किल काम भी आसान हो गया है।
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बदली गांव की तस्वीर
किसान बीरम सिंह के मुताबिक, लॉकडाउन में गांव की तस्वीर ही बदल गई है। किसी से जो थोड़ा बहुत मनमुटाव था वह भी खत्म हो गया है। सभी प्रेम भाव से रहते हुए एक दूसरे का उनका कृषि अन्य कायरें में सहयोग भी कर रहे हैं। अच्छा लग रहा है।
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