छठ महापर्व पर 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू, थोड़ी देर में दिया जाएगा अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य
देहरादून में छठ महापर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। व्रतियों ने खरना कर 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू किया। आज शाम को अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। शहर के 23 छठ घाटों को विशेष रूप से सजाया गया है। बिहारी महासभा और अन्य समितियों ने तैयारियां की हैं। बाजार में छठ पूजा की सामग्री खरीदने के लिए भारी भीड़ उमड़ी। सुरक्षा व्यवस्था के लिए टीमें तैनात हैं।

जागरण संवाददाता, देहरादून: संतान के सुखी जीवन के लिए सूर्यदेव और छठी मैया की आराधना के महापर्व छठ के दूसरे दिन व्रतियों ने खरना कर छठी मइया की पूजा की। सूर्यास्त के समय रसियाव खाकर व्रतियों ने 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू किया। आज शाम को तकरीबन साढ़े पांच बजे छठ घाटों से अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य देकर संतान के सुखी जीवन की कामना की जाएगी।
छठ पूजा के लिए विभिन्न घाट लाइटों से जगमग हो चुके हैं। बिहारी महासभा, पूर्वा सांस्कृतिक मंच और छठ पूजा आयोजन समिति की ओर से तैयारी की गई है। सूर्य देव व छठी मइया की आराधना का चार दिवसीय महापर्व छठ शनिवार से शुरू हो चुका है। देहरादून में कुल 23 छठ घाट हैं।
इनमें टपकेश्वर, चंद्रबनी, रायपुर, केशरवाला, गुल्लरघाटी, सेलाकुई, हरवंशवाला, रायपुर, मालदेवता, पुलिया नंबर-छह, प्रेमनगर, पथरीबाग, ब्रह्मपुरी छठ पार्क मुख्य हैं। पर्व के दूसरे दिन रविवार को सुबह से ही खरना के लिए लोगों ने तैयारी शुरू कर दी थी। सूर्यास्त के बाद गाय के दूध में गुड़ डालकर साठी के चावल की मिट्टी अथवा पीतल के बर्तन में खीर बनाई। भोग के लिए मिट्टी व पीतल के बर्तन में ही रोटी बनाई।
इसके बाद छठी मइया का आह्वान कर भोग लगाया। प्रसाद ग्रहण करने के बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू किया। पर्व के तीसरे दिन आज घाट के किनारे जल में खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा, जबकि मंगलवार को अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत संपन्न कर प्रसाद वितरित किया जाएगा।
आज शाम तकरीबन साढ़े पांच बजे सूर्यास्त का समय है। जबकि मंगलवार को सूर्योदय का समय छह बजकर 29 मिनट पर रहेगा। आचार्य डा. सुशांत राज के मुताबिक कई जगह घाटों में जल्दी सूर्यास्त, सूर्योदय होता है अथवा मौसम खराब रहने की स्थिति से पता नहीं चल पाता। ऐसे में लोग संशय में ना रहें। मन में सूर्य देव की आराधना कर समयानुसार अर्घ्य दे सकते हैं। धार्मिक मान्यता है कि व्रत को सच्चे मन से करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
श्री सोप्ता की चूने व प्राकृतिक रंगों से पेंटिंग
घाटों पर गंगा जल से छिड़काव किया। कुछ घाटों पर गाय के गोबर से जमीन की लिपाई की। घाटों पर बने श्री सोप्ता की चूने व प्राकृतिक रंगों से पेंटिंग की। लाइट और सजावट का कार्य देर शाम तक पूरा हो गया। आयोजन समितियों ने घाटों के प्रभारियों को संध्या एवं सुबह के अर्घ्य के समय सभी फोन, वाट्सअप एवं नेट के माध्यम से जुड़े रहने व तालमेल बिठाने को कहा है।
दोपहर तक बाजार में उमड़ी खरीदारों की भीड़
छठ पूजा की सामग्री खरीदने को दिनभर बाजार में भीड़ उमड़ी रही। सहारनपुर चौक, हनुमान चौक में महिलाओं ने बांस का सूप, डाला, दउरा, गन्ना, सिंघाड़ा, चकोतरा, केला, कच्ची हल्दी, नारियल, हल्दी, गन्ना, पान, हरी अदरक के पत्ते आदि की खरीदारी की। इसके अलावा प्रसाद के लिए दाल, लौकी, कद्दू की भी खूब खरीदारी हुई।
दोपहर में लगा जाम, लोग रहे परेशान
दोपहर के वक्त सहारनपुर चौक से लेकर झंडा बाजार, हनुमान चौक, सब्जी मंडी तक खरीदारों की काफी भीड़ रही। कईयों ने सड़क पर ही आड़े-तिरछे वाहन खड़े कर दिए। इससे काफी देर तक जाम की स्थिति बनी रही। आने जाने वालों को काफी परेशानी हुई। हालांकि जगह-जगह खड़ी पुलिस ने किसी तरह जाम खुलवाया।
इस तरह मनाते हैं चार दिन पर्व
छठ पूजा का महापर्व छठी मइया और सूर्य देव को समर्पित है। इस महापर्व को चार दिन तक मनाया जाता है। कार्तिक माह में मनाए जाने वाले इस पर्व के पहले दिन नहाय खाय (कद्दू-भात) की परंपरा को निभाया जाता है।
इसके अगले दिन खरना पूजा होती है। इसके बाद निर्जला व्रत की शुरुआत होती है। अगले दिन व्रत किया जाता है और डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का विधान है।
घाटों पर व्यवस्था बनाने को टीम तैयार
बिहारी महासभा के सचिव चंदन कुमार झा ने बताया कि छठ महापर्व को लेकर पूरी तैयारी की गई है। कहीं भी किसी को परेशानी न हो इसके लिए विभिन्न टीम बनाई गई हैं। घाटों पर भी व्यवस्था बनाने के लिए टीम तैनात रहेगी।

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