चंद्रग्रहण के सूतक काल में 12 घंटे बंद रहे चारधाम समेत मंदिरों के कपाट
चंद्रग्रहण के सूतक के चलते चारों धाम समेत देवभूमि उत्तराखंड के सभी मंदिरों के कपाट शाम मंगलवार शाम 4.25 पर बंद कर दिए गए। बुधवार सुबह शुद्धिकरण केे बाद कपाट खोल दिए गए।
देहरादून, जेएनएन। चंद्रग्रहण के सूतक के चलते चारों धाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री समेत उत्तराखंड के सभी मंदिरों के कपाट मंगलवार शाम चार से साढ़े चार बजे के मध्य 12 घंटों के लिए बंद कर दिए गए। इससे पूर्व, चारों धाम में दोपहर बाद 3.15 बजे सायंकालीन मंगल आरती, भोग और शयन आरती संपन्न हुई। बुधवार सुबह मंदिरों के शुद्धीकरण के बाद ही भगवान के दर्शन शुरू हुए।
श्री बदरीनाथ धाम के धर्माधिकारी भुवनचंद्र उनियाल और गंगोत्री धाम के तीर्थ पुरोहित राजेश सेमवाल ने बताया कि मध्यरात्रि बाद 1.31 बजे से शुरू हो रहे चंद्रग्रहण का सूतक काल नौ घंटे पूर्व शुरू हो गया था। इसलिए पंच बदरी, पंच केदार, नृसिंह मंदिर जोशीमठ, ओंकारेश्वर धाम ऊखीमठ, प्रसिद्ध नीलकंठ महादेव मंदिर, धारी देवी मंदिर, श्री विश्वनाथ धाम उत्तरकाशी, चंडी देवी, मंसा देवी व गंगा मंदिर हरिद्वार समेत देवभूमि उत्तराखंड के सभी मठ-मंदिरों के कपाट शयन आरती के बाद शाम 4.30 बजे तक बंद कर दिए गए।
बताया कि चंद्रग्रहण की अवधि दो घंटे 59 मिनट की है। इसलिए ब्रह्ममुहूर्त में शुद्धीकरण के बाद मंदिरों को दर्शनार्थियों के लिए खोला गया।
हरकी पैड़ी में 3.15 और गंगोत्री में 3.45 बजे हुई गंगा आरती
चंद्रग्रहण के सूतक के चलते हरकी पैड़ी हरिद्वार में आयोजित होने वाली प्रसिद्ध गंगा आरती भी मंगलवार दोपहर बाद 3.15 बजे आयोजित की गई। सामान्य दिनों में आरती सूर्यास्त के बाद होती है। इसके अलावा गंगा के मायके गंगोत्री धाम में सायंकालीन आरती 3.45 बजे संपन्न हुई। इसके बाद शाम चार बजे मां गंगा को राजभोग लगाया गया। ऋषिकेश त्रिवेणी घाटी, देवप्रयाग संगम आदि स्थानों पर भी ग्रहण का सूतक आरंभ होने से पूर्व गंगा आरती की गई।
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