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    धन सिंह बर्त्वाल की लिखी बदरीनाथ आरती को मिली मान्यता, पढ़िए पूरी खबर

    By Raksha PanthariEdited By:
    Updated: Sat, 13 Jul 2019 06:43 PM (IST)

    137 वर्ष पूर्व रुद्रप्रयाग जिले के सतेराखाल स्यूंपुरी निवासी स्व. धन सिंह बर्त्वाल की लिखी बदरीनाथ आरती की पांडुलिपि को मान्यता प्रदान कर दी गई है।

    धन सिंह बर्त्वाल की लिखी बदरीनाथ आरती को मिली मान्यता, पढ़िए पूरी खबर

    गोपेश्वर, जेएनएन। श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) ने शुक्रवार को हुई अपनी पहली बोर्ड बैठक में 137 वर्ष पूर्व रुद्रप्रयाग जिले के सतेराखाल स्यूंपुरी निवासी स्व. धन सिंह बर्त्वाल की लिखी बदरीनाथ आरती की पांडुलिपि को मान्यता प्रदान कर दी। तय हुआ कि बोर्ड की अगली बैठक में स्व. बर्त्वाल के परिजनों को सम्मानित किया जाएगा। बैठक में गुप्तकाशी और मंडल में आयुर्वेदिक महाविद्यालयों का संचालन, बदरीनाथ मंदिर परिसर और सड़क का चौड़ीकरण सहित कई अहम प्रस्ताव भी पारित किए गए। 

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    मंदिर समिति के सीईओ बीडी सिंह ने कहा कि बदरीनाथ की आरती को लेकर रुद्रप्रयाग के बर्त्वाल परिवार के दावे के बाद पांडुलिपि को मान्यता देने का प्रस्ताव पारित किया गया। कहा कि आरती लेखन को लेकर मंदिर समिति के पास किसी अन्य व्यक्ति की ओर से दावा पेश नहीं किया गया। इससे पूर्व, बदरीनाथ स्थित समिति के सभागार में हुई बैठक में समिति के अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल ने सभी बोर्ड सदस्यों का आह्वान किया कि वे मिल-जुलकर बदरीनाथ और केदारनाथ धाम के विकास पर कार्य करें। 

    बीकेटीसी के उपाध्यक्ष अशोक खत्री ने कहा कि मंदिर समिति बदरीनाथ व केदारनाथ मंदिर के साथ प्राचीन मठ-मंदिरों के संरक्षण पर भी विशेष ध्यान दे रही है। बैठक में बदरीनाथ मंदिर परिसर का विस्तारीकरण, बदरीनाथ मंदिर साकेत तिराहे तक सड़क का चौड़ीकरण, केदारनाथ में भोग मंडी, रावल और पुजारी निवास निर्माण, बीकेटीसी के मुख्य यात्रा पड़ावों में गेस्ट हाउस निर्माण, गौरीकुंड में गौरी माई मंदिर का नवनिर्माण और सुंदरीकरण, बीकेटीसी का अलग पंचांग निकालने, गुप्तकाशी और मंडल में दो आयुर्वेदिक महाविद्यालयों का संचालन, भविष्य बदरी मंदिर का विस्तार और 14 सीजनल कर्मचारियों को स्थायी नियुक्ति दिए जाने संबंधी प्रस्ताव भी पारित हुए। 

    बैठक में उद्योगपति अनिल कंसल ने समिति की धर्मशालाओं के रख-रखाव को 11 लाख की धनराशि प्रदान की। इस मौके पर मंदिर समिति के सदस्य ऋषि प्रसाद सती, अरुण मैठाणी, चंद्रकला ध्यानी, राजपाल सिंह जड़धारी, धीरज पंचभैया, इंद्रमणि गैरोला, राजपाल सिंह पुंडीर, उप मुख्य कार्याधिकारी सुनील तिवारी, कार्याधिकारी एनपी जमलोकी आदि मौजूद रहे। 

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