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लैंसडौन डिवीजन में फिर जीवंत होंगी इस अंग्रेज अफसर की यादें, जानिए कई रोचक बातें

लैंसडौन वन प्रभाग में 95 साल पहले कैमरा ट्रैप के जरिये टाइगर फोटोग्राफी की शुरूआत करने वाले तत्कालीन डीएफओ एफडब्ल्यू चैंपियन की यादें फिर ताजा होंगी।

By Edited By: Published: Thu, 27 Dec 2018 03:00 AM (IST)Updated: Thu, 27 Dec 2018 07:56 PM (IST)
लैंसडौन डिवीजन में फिर जीवंत होंगी इस अंग्रेज अफसर की यादें, जानिए कई रोचक बातें
लैंसडौन डिवीजन में फिर जीवंत होंगी इस अंग्रेज अफसर की यादें, जानिए कई रोचक बातें

देहरादून, केदार दत्त। विश्व प्रसिद्ध कार्बेट और राजाजी टाइगर रिजर्व के मध्य स्थित लैंसडौन वन प्रभाग में 95 साल पहले कैमरा ट्रैप के जरिये टाइगर फोटोग्राफी की शुरूआत करने वाले तत्कालीन डीएफओ एफडब्ल्यू चैंपियन की यादें फिर ताजा होंगी। चैंपियन उन लोगों में एक थे, जिन्होंने प्रसिद्ध शिकारी जिम कार्बेट को वन्यजीव संरक्षण के लिए प्रेरित किया था। अब लैंसडौन प्रभाग की कोटड़ी रेंज में उनकी याद में 'चैंपियन टाइगर ट्रेल' के साथ ही म्यूजियम बनाने की तैयारी है।

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वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के निर्देश पर डीएफओ लैंसडौन इसका मसौदा तैयार कर रहे हैं। इसमें जोर दिया गया है कि लंदन के नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम में मौजूद चैंपियन के कैमरे और उनके द्वारा खींचे गए फोटो यहां मंगवाएं जाएं।

आजादी से पहले 1897 में अस्तित्व में आया लैंसडौन वन प्रभाग वन्यजीव विविधता के लिए मशहूर है। सबसे अहम ये कि वन्यजीव संरक्षण का अंकुर भी यहां से तब फूटा, जब 1923 में इस प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी (डीएफओ) बने अंग्रेज वनाधिकारी एफडब्ल्यू चैंपियन। उन्होंने वन्यजीव संरक्षण के लिए फोटोग्राफी को अहम जरिया बनाया। उस दौर में उन्होंने सबसे पहले वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी के साथ ही कैमरा ट्रैप की शुरूआत लैंसडौन वन प्रभाग के डीएफओ रहते हुए की।

इसके लिए वह तब के साधारण कैमरे का उपयोग करते थे, जिस पर एक रस्सी बंधी होती थी और इस पर वन्यजीव का पैर पड़ते ही कैमरा उसकी फोटो खींच देता था। कम लोग जानते हैं कि प्रसिद्ध शिकारी जिम कार्बेट को वन्यजीव संरक्षण के लिए प्रेरित करने वालों में चैंपियन मुख्य थे। वनाधिकारी चैंपियन का कैमरा और उनके द्वारा खींचे गए वन्यजीवन और बाघों की फोटो आज भी लंदन के नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम में मौजूद हैं। अब मौजूदा सरकार ने कार्बेट और राजाजी टाइगर रिजर्व के मध्य स्थित लैंसडौन वन प्रभाग में चैंपियन की यादों को संजोने की ठानी है, ताकि लोग उनके बारे में जाने और वन्यजीव संरक्षण के लिए प्रेरित हों। 

इस कड़ी में वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत के निर्देश पर लैंसडौन के डीएफओ वैभव कुमार सिंह इन दिनों इससे संबंधित प्रस्ताव को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। डीएफओ वैभव बताते हैं कि चैंपियन की स्मृति में प्रभाग की कोटड़ी रेंज में 'चैंपियन टाइगर ट्रेल' बनाने का प्रस्ताव है। इसके अलावा कालाढूंगी के म्यूजियम की तर्ज पर यहां भी म्यूजियम बनाया जाएगा। इस क्रम में सरकार से आग्रह किया जाएगा कि वह ब्रिटिश हाईकमीशन से संपर्क कर लंदन के म्यूजियम से चैंपियन का कैमरा और उनके यहां खींचे गए फोटो मंगवाए। उन्होंने बताया कि जल्द ही पूरा प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेज दिया जाएगा।

सैलानियों के लिए बनेगा आकर्षण

लैंसडौन प्रभाग में चैंपियन टाइगर ट्रेल और म्यूजियम बनने के बाद यह सैलानियों के आकर्षण का केंद्र बनेगा। इसके अलावा वहां ईको टूरिज्म के तहत ईको पार्क समेत अन्य गतिविधियों को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।

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