ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में छाया फाग, बाहर होली; सदन में सियासी रंग
गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किए जाने के बाद शाम को विधानभवन परिसर में जमकर आतिशबाजी के साथ दिवाली मनी तो होली का सुरूर सियासत पर भी दिखा।
देहरादून, रविंद्र बड़थ्वाल। गैरसैंण की फिजा में अजीब सी मस्ती छाई रही। जहां ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किए जाने के बाद शाम को विधानभवन परिसर में जमकर आतिशबाजी के साथ दिवाली मनी तो होली का सुरूर सियासत पर भी दिखा। इस फैसले के बाद गुरुवार को सदन के भीतर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई। इससे गर्माई सियासत ने स्थायी राजधानी के मुद्दे को नए सिरे से धार दे दी।
राज्य आंदोलन और जन भावनाओं के केंद्र में रहे गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने के मुद्दे ने बजट सत्र की दशा-दिशा दोनों को ही बदल कर रख दिया। घोषणा से पहले इस मुद्दे पर सरकार की असाधारण चुप्पी और फिर बीते रोज बजट पेश करने के तुरंत बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एतिहासिक फैसले से भाजपा के भीतर नया उत्साह और उमंग भर दी। वहीं सरकार पर लगातार आक्रामक प्रमुख प्रतिपक्षी दल कांग्रेस को रणनीति बदलने को मजबूर कर दिया।
सदन के भीतर पूरे दिनभर रह-रहकर यह मुद्दा गर्माता रहा। सत्तापक्ष के विधायक उत्साह में गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने के समर्थन में नारे लगाने में पीछे नहीं रहे तो नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह, पूर्व स्पीकर गोविदं सिंह कुंजवाल समेत कांग्रेस विधायकों ने ग्रीष्मकालीन राजधानी को झुनझुना करार देते हुए इसे स्थायी राजधानी बनाने के मुद्दे को सियासी फिजा में उछाल दिया। विपक्ष और सत्तापक्ष के बीच नोकझोंक चलती रही। निर्दलीय विधायक प्रीतम सिंह पंवार ने कहा कि जनभावनाओं को पूरा करने की जिम्मेदारी सरकार को वहन करनी होगी।
राज्यपाल अभिभाषण पर चर्चा के दौरान पक्ष और विपक्ष दोनों ओर यही मुद्दा गूंजता रहा। कांग्रेस विधायकों ने गैरसैंण में पहली कैबिनेट, विधानभवन का शिलान्यास और निर्माण का श्रेय पिछली सरकार को दिया। वहीं सत्तापक्ष के विधायकों ने इस मुद्दे पर दस साल तक कांग्रेस सरकारों की चुप्पी पर ही सवाल उठा दिए। यही नहीं भाजपा विधायकों ने यह भी कहा कि स्थायी राजधानी गैरसैंण में बनाने का कदम भी भाजपा सरकार ही उठाएगी।
रो दिए विधायक चमोली
राज्यपाल अभिभाषण के दौरान गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने के फैसले का स्वागत करते हुए विधायक विनोद चमोली भावुक हो गए। चमोली राज्य आंदोलन के दौरान खासे सक्रिय रहे हैं। विधानसभा सत्र की कार्यवाही प्रारंभ होने से पहले विधानसभा परिसर में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से गले मिलकर चमोली भावुक हो गए थे। सदन के भीतर भर्राए गले से उन्होंने कहा कि ये एतिहासिक फैसला मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ही ले सकते थे। उन्होंने यह भी कहा कि आंदोलन के दौरान सक्रिय रहे लोग वर्तमान में भाजपा का परचम थामे चल रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने लिया दीपोत्सव में हिस्सा
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक एवं विधायकों ने विधानसभा भराड़ीसैंण में कैंडल जलाकर दीपोत्सव कार्यक्रम में हिस्सा लिया। दीपोत्सव में विधानभवन के अलावा विस अध्यक्ष, मंत्रियों व भाजपा विधायकों के आवास पर मोमबत्तियां रोशन कर खुशियां मनाई गईं।
यह भी पढ़ें: कांग्रेस ने किया दावा, 2022 में सत्ता में आए तो स्थायी राजधानी बनेगी गैरसैंण