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फुल आस्तीन के कपड़े पहनकर स्कूल आएं बच्चे, जानिए वजह

सीबीएसई ने डेंगू के बढ़ते खतरे को देखते हुए स्कूलों को एडवाइजरी जारी की है। साथ ही बच्चों को फुल आस्तीन के कपड़े पहनने की सलाह दी गई।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Fri, 12 Jul 2019 04:55 PM (IST)Updated: Fri, 12 Jul 2019 04:55 PM (IST)
फुल आस्तीन के कपड़े पहनकर स्कूल आएं बच्चे, जानिए वजह
फुल आस्तीन के कपड़े पहनकर स्कूल आएं बच्चे, जानिए वजह

देहरादून, जेएनएन। डेंगू के बढ़ते खतरे को देखते हुए सीबीएसई की ओर से सभी संबधित स्कूलों को एडवाइजरी जारी की गई है। सीबीएसई के क्षेत्रीय अधिकारी रणबीर सिंह ने बताया कि बरसात के मौसम में डेंगू का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में स्कूलों को एहतियात बरतने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही बच्चों को फुल आस्तीन के कपड़े पहनने की सलाह दी गई। 

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स्कूलों को डेंगू को लेकर जागरुकता अभियान चलाने और बच्चों को जागरूक करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके लिए स्कूलों को प्रार्थना सभा और पीटीएम के जरिए डेंगू को लेकर जागरुकता लाने को कहा गया है। साथ ही सभी अभिभावकों को एसएमएस या दूसरे माध्यम से डेंगू को लेकर जानकारी देने और बच्चों को जागरुक करने के लिए कहा गया है। सीबीएसई की ओर से जारी एडवाइजरी में स्कूली बच्चों को जुलाई से लेकर नवंबर तक फुल आस्तीन के कपड़े पहनने की सलाह दी गई है। 

इसके साथ ही सभी स्कूल प्रबंधन और प्रधानाचार्य को स्थानीय स्तर पर सरकार द्वारा चलाए जा रहे अभियान के साथ जुडऩे के निर्देश दिए गए हैं। जलभराव की स्थितियों को समाप्त करने के लिए प्रभावी करावाई के निर्देश भी दिए गए हैं। कहा गया है कि स्कूल परिसर में कहीं भी पानी न जमा होने दें। यदि इस तरह की स्थिति बनती है तो दवा का छिड़काव किया जाए। 

डेंगू और मलेरिया की रोकथाम को बने रिस्पॉन्स मैकेनिज्म 

जिलाधिकारी सी रविशंकर ने स्वास्थ्य विभाग के डेंगू और मलेरिया रोकथाम पर प्रभावी व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए। कहा कि वर्तमान व्यवस्था में ज्यादा सुधार की जरूरत है। इसके लिए संबंधित विभागों के साथ समन्वय बनाकर रिस्पॉन्स मैकेनिज्म तैयार करें। ताकि बीमारी से आम लोगों को बचाया जा सके। कलक्ट्रेट में वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत जिलाधिकारी ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की बैठक ली। 

बैठक में मलेरिया और डेंगू की रोकथाम के लिए पूर्व में किए गए कायरें, आकस्मिक सूचना पर तत्काल रिस्पॉन्स मैकेनिज्म, विभिन्न क्षेत्रों में फॉगिंग, चूना डालना, रुके हुए पानी की निकासी के साथ ही सीएचसी, पीएचसी और ग्राउंड लेवल से सही और त्वरित रिपोर्टिंग पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि विभागों से समन्वय बनाकर ऐसा मैकेनिज्म बने, जिससे बीमारी नजदीक न फटके। 

उन्होंने चिकित्सा विभाग को फील्ड से और पीएचसी- सीएचसी से रिपोर्टिंग की वर्तमान स्थितियों में सुधार करने और बैठक में संसाधन और कायरें का स्पष्ट विवरण अगली बैठक में प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। इसके अलावा ब्लड बैंक में वास्तविक आकड़ों को अपडेट रखने, ब्लॉक लेवल पर इन बीमारियों की रोकथाम के लिए जमीनी स्तर पर प्रयास करने के निर्देश दिए। 

जन जागरूकता के माध्यम से बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने को कहा गया। इसके लिए विभिन्न संगठनों और छात्र-छात्राओं की मदद लें। बैठक में सीएमओ डॉ. एसके गुप्ता, सीईओ आशा पैन्यूली, जिला बाल विकास अधिकारी क्षमा बहुगुणा समेत अन्य मौजूद रहे। इनकी भी जिम्मेदारी तय जिलाधिकारी ने डेंगू और मलेरिया की रोकथाम के लिए सिंचाई विभाग, पेयजल निगम, जल संस्थान और लोक निर्माण विभाग को अपने-अपने कार्य क्षेत्रों में निर्माण साइट पर रुके हुए पानी की निकासी दुरुस्त करने, नगर निगम, नगर पालिका और ग्राम पंचायतों को अपने-अपने क्षेत्रों में साफ-सफाई करने के साथ ही कूड़ा निस्तारण की समुचित व्यवस्था करने के निर्देश दिए। 

बीमारी से इनको ज्यादा खतरा मलेरिया और डेंगू से सबसे ज्यादा पलायन करने वाले लोग जद में आते हैं। इसके अलावा निर्माण क्षेत्रों में, स्लम बस्ती, गंदे व जलभराव वाले क्षेत्रों में यह रोग अधिक पनपते हैं। साथ ही गर्भवती महिला, छोटे बच्चों, बुजुर्ग और बीमार व्यक्ति हाईरिस्क पेशेंट की श्रेणी में आते हैं। डायरिया पखवाड़ा 22 से जिलाधिकारी सी रविशंकर ने सघन अतिसार नियंत्रण पखवाड़ा मनाने के भी निर्देश दिए। 

इसके लिए 22 जुलाई से दो अगस्त तक लोगों को डायरिया के प्रति जागरूक करने के निर्देश दिए। इसके अलावा राष्ट्रीय कृमिमुक्ति दिवस आठ अगस्त को मनाने के निर्देश दिए। डायरिया के लिए स्थानीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं आशा, एएनएम, एनएम के माध्यम से घर-घर जाकर ओआरएस और जिंक टेबलेट वितरण कार्य को गंभीरता से करने के निर्देश दिए। उन्होंने आइसीडीएस, डीपीओ को निर्देश दिए कि आगनबाड़ी केंद्रों पर स्वास्थ्य विभाग के मानक के अनुसार दवा का वितरण सुनिश्चित किया जाए। 

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