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साइबर ठगों का मायाजाल, एक क्लिक कर रहा है कंगाल; ऐसे बचें ठगी से

दुनिया में साइबर ठगों का बेहद बड़ा मायाजाल भी है जो आपकी बेखबरी से इंटरनेट के प्रयोग के बीच आपको निरंतर गलती कराने के लिए जाल बुनता रहता है। इससे बचने के लिए कुछ उपाय जरूरी हैं।

By BhanuEdited By: Published: Wed, 18 Sep 2019 01:47 PM (IST)Updated: Wed, 18 Sep 2019 08:24 PM (IST)
साइबर ठगों का मायाजाल, एक क्लिक कर रहा है कंगाल; ऐसे बचें ठगी से
साइबर ठगों का मायाजाल, एक क्लिक कर रहा है कंगाल; ऐसे बचें ठगी से

देहरादून, सुमन सेमवाल/संतोष तिवारी। इंटरनेट ने पूरी दुनिया को एक छोटे से मोबाइल फोन, लैपटॉप व डेस्कटॉप के भीतर समेट लिया है। एक क्लिक में आप दुनिया-जहान के ज्ञान को हासिल कर सकते हैं। ऑनलाइन शॉपिंग के विकल्प ने जीवन को बेहद आसान बना दिया है और सोशल नेटवर्किंग पलभर में दुनिया की दूरी को मिटाने का काम कर रही है।

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इंटरनेट की दुनिया ने चुटकी बजाते ही हर काम कर देने की क्षमता भी पैदा कर दी है, मगर इस दुनिया का एक दूसरा नाम 'वर्चुअल वर्ल्ड' भी है यानी आभासी दुनिया। ऐसा आभास जो महसूस कुछ होता है और होता कुछ है। इस आभासी दुनिया में साइबर ठगों का बेहद बड़ा मायाजाल भी है, जो आपकी बेखबरी से इंटरनेट के प्रयोग के बीच आपको निरंतर गलती कराने के लिए जाल बुनता रहता है। एक गलत क्लिक और आपकी निजता इंटरनेट के बाजार में बिकने लगती है, तो कभी यह गलती आपको कंगाल भी बना देती है। 

लिहाजा, इंटरनेट सर्फिंग करने, एप डाउनलोड करने, ऑनलाइन शॉपिंग, बैंकिंग के नाम पर की जाने वाली कॉल जैसी गतिविधियों में विशेष सतर्क होकर काम करने की जरूरत है। सीधे शब्दों में कहें तो साइबर ठगों के जाल से बचने के लिए सतर्कता व जागरूकता ही एकमात्र विकल्प है। वर्चुअल वर्ल्ड में किस तरह खुद को सुरक्षित रखा जा सकता है और इंटरनेट बैंकिंग व सर्फिंग में किस तरह की सतर्कता की जरूरत है, यह बता रहे हैं साइबर एक्सपर्ट अंकुर चंद्रकांत।

सुरक्षित वेब ब्राउजिंग जरूरी

अक्सर लोग इंटरनेट बैंकिंग के लिए सीधे गूगल में बैंक का नाम टाइप कर अपनी आइडी व पासवर्ड दर्ज कर देते हैं। ऐसा करना अपनी निजी जानकारी हैकर्स को सौंप देने से कम नहीं। साइबर एक्सपर्ट अंकुर चंद्रकांत का कहना है कि सिर्फ बैंकिंग एप से ही इंटरनेट बैंकिंग की सेवाएं लेनी चाहिए। इसके अलावा वेब ब्राउजिंग करते समय किसी भी साइट पर आगे बढ़ने से पहले यह देख लें कि उसमें एचटीटीपीएस (अंग्रेजी में लिखें) पूरा लिखा है या नहीं। सिर्फ एचटीटीपी लिखा है तो उस साइट पर भरोसा नहीं किया जा सकता। क्योंकि एस (सिक्योर सॉकेट लेयर) का मतलब है कि साइट सुरक्षित है।

इनकोग्निटो मोड पर करें सर्फिंग

किसी भी वेब ब्राउजर (गूगल क्रोम, फायरफॉक्स आदि) पर इनकोग्निटो मोड रहता है। इस मोड में हिस्ट्री कॉपी नहीं होती और इसके बिना भी सर्फिंग की जा सकती है। ऐसा करने से यूजर की जानकारी तीसरे पक्ष तक नहीं पहुंच पाती है। साथ ही सोशल साइट आदि पर काम करते समय प्राइवेसी मोड को ऑन रखा जाना चाहिए। 

सिर्फ स्टोर से डाउनलोड करें एप

गूगल या फेसबुक आदि से किसी एप को डाउनलोड करने से बचना चाहिए। इस तरह की एप की गारंटी नहीं दी जा सकती कि वह हैकिंग में लिप्त न हो। लिहाजा, ध्यान रखा जाए कि अधिकृत एप स्टोर (जैसे गूगल प्ले स्टोर) से ही एप को डाउनलोड किया जाए। 

एप में माइक्रोफोन व कैमरा की स्वीकार्यता न दें

किसी भी एप को डाउनलोड करने के बाद उसके संचालन के लिए एप विभिन्न तरह की सेटिंग की स्वीकार्यता देने की मांग करता है। ऐसे में ध्यान रखें कि किसी भी एप को माइक्रोफोन व कैमरे की स्वीकार्यता न दें। ऐसा करने पर कभी भी आपकी आवाज रिकॉर्ड की जा सकती है और आपका स्टिंग भी किया जा सकता है। इससे आप ब्लैकमेलिंग के शिकार हो सकते हैं और आपकी गोपनीय जानकारी तीसरे व्यक्ति तक जा सकती है।

पेमेंट के लिंक को क्लिक न करें

ओएलएक्स पर सामान खरीदने व बेचने के दौरान पिछले कुछ समय में लिंक भेजने के माध्यम से धोखाधड़ी बढ़ी है। क्योंकि यह सामने आया है कि विक्रेता का सामान खरीदने के लिए किसी व्यक्ति ने एडवांस पेमेंट के नाम पर लिंक भेजा। लिंक क्लिक करते ही उसमें ओटीपी आता है, जैसे ही ओटीपी दर्ज किया जाता है, उल्टे विक्रेता के खाते से धनराशि काट ली जाती है। 

इस तरह के पेमेंट लिंक किसी भी पेमेंट एप से भेजे जा सकते हैं। जिसका सीधा मतलब यह है कि जो व्यक्ति लिंक भेज रहा है, वह भुगतान प्राप्तकर्ता होता है। न कि भुगतान करने वाला।

इनाम का लालच देने वाली ईमेल न खोलें 

फिशिंग ईमेल व इनकम ईमेल स्कैम के लिए कई दफा इस तरह के ईमेल व एसएमएस आते हैं, जिसमें लाखों डॉलर व पाउंड जीतने का लालच दिया जाता है। दरअसल, इस तरह के ईमेल या एसएमएस का एक ही मकसद होता है कि आप लिंक पर क्लिक करें और वह आपकी गोपनीय जानकारी चुरा लें। जिसमें आपके ईमेल, एटीएम या इंटरनेट बैंकिंग के पासवर्ड भी हो सकते हैं। कुल मिलाकर किसी भी तरह के लुभावने ऑफर वाले लिंक को खोले बिना ही उसे डिलीट करने में भलाई है। 

स्मार्टफोन के ऑपरेटिंग सिस्टम को रखें अपडेट

स्मार्टफोन यूजर को हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि फोन लेटेस्ट सिक्योरिटी पैच व ऑपरेटिंग सिस्टम से लैस हो। साथ ही फोन से किसी भी सिक्योरिटी कंट्रोल को हटाना नहीं चाहिए। इसे जेल ब्रेकिंग या रूटिंग कहते हैं। इसी तरह एप डाउनलोड करते समय हमेशा कम से कम स्वीकार्यता दें व बहुत जरूरी एप को ही डाउनलोड किया जाए। 

सार्वजनिक वाईफाई से बचना जरूरी

ओपन वाईफाई नेटवर्क का सबसे बड़ा खतरा यह है कि इससे हैकर यूजर व हॉट-स्पॉट के बीच बैठकर आपके डेटा पर निगरानी रख सकता है। लिहाजा, कम से कम ओपन वाईफाई में इंटरनेट बैंकिंग व पासवर्ड दर्ज नहीं करना चाहिए। 

असली एंटी वायरस का प्रयोग जरूरी

कंप्यूटर, मोबाइल को फिशिंग, मालवेयर या दूसरे साइबर खतरों से बचाने के लिए हमेशा असली एंटी वायरस का प्रयोग जरूरी है। क्योंकि एंटी वायरस ऐसे खतरों को पहचान लेता है और उसे दूर कर आपकी गोपनीयता पर सेंधमारी को रोकता है। इसके साथ ही नियमित रूप से पासवर्ड भी बदलते रहना चाहिए और पासवर्ड को स्ट्रॉन्ग बनाना ही समझदारी है। 

कैल्कुलेटर जैसे दिखने वाली स्वाइप मशीन का न करें प्रयोग

साइबर एक्सपर्ट अंकुर चंद्रकांत का कहना है कि सामान्य स्वाइपिंग मशीन या पीओएस (प्वाइंट ऑफ सेल) के अलावा छोटे आकार की स्वाइपिंग मशीन का प्रयोग न करें। क्योंकि इनकी विश्वसनीयता अभी साबित नहीं हो पाई है। 

साथ ही यह भी पता नहीं चल पाता है कि इनका डेटा अंत में जाता कहां है। इसके अलावा पीओएस मशीन पर पासवर्ड दर्ज करते समय मशीन को अपने हाथ में पकड़ लें। यह भी तस्दीक कर लें कि उसमें कहीं छोटे आकार का स्किमर तो नहीं लगा है। इसके अलावा भरोसेमंद स्टोर या शोरूम में ही स्वाइपिंग मशीन का प्रयोग करें।

एटीएम में कार्ड स्वाइप करने से पहले स्किमर की पहचान कर लें। जहां तक संभव हो बिना सिक्योरिटी गार्ड वाले एटीएम का प्रयोग पैसे निकालने के लिए न करें। इसके साथ ही कार्ड स्वाइप करने से पहले यह जांच लें कि मशीन में कहीं स्किमर तो नहीं लगा है।

डेटिंग साइट बना रही है निशाना

साइबर एक्सपर्ट अंकुर चंद्रकांत का कहना है कि इंटरनेट के जरिये बढ़ते अपराधों को देखते हुए सुरक्षा एजेंसियां खासी सतर्क हो गई हैं। लिहाजा, साइबर ठगों ने भी अपना पैटर्न बदल लिया है। आजकल देखने को मिल रहा है कि लोगों के पास डेटिंग साइट व पोर्नोग्राफी के लिंक आ रहे हैं। इस पर क्लिक करते ही उपयोगकर्ता को खाता बनाने के लिए कहा जाता है। 

जिसमें व्यक्तिगत जानकारी समेत ऑनलाइन पेमेंट की सुविधा दी जाती है। जैसे ही लोग ऐसी साइट पर अपनी गोपनीय जानकारी व बैंक डिटेल डालते हैं, वह साइबर ठगों का आसान शिकार बन जाते हैं।

भरोसे को बनाया ठगी का हथियार

ठगी के ये मामले आपको सोचने पर विवश कर देंगे कि क्या इस तरह भी लोग आंखें मूंदकर जालसाजों की बातों पर यकीन कर लेते हैं। जी हां, इन लोगों ने न सिर्फ यकीन किया, बल्कि जिंदगी भर की गाढ़ी कमाई को एक झटके में जालसाज को दे दिया। इन लोगों को जरा भी उम्मीद नहीं थी कि जो शख्स हर वक्त उनके संपर्क में रहता है, वह उनको ठगने की जुर्रत कर सकता है।

हाल के कुछ दिनों में सामने आए ठगी के मामलों पर गौर करें तो एक बात साफ हो जाती है कि जालसाज उनके नजदीकियों में से एक था या फिर ठग ने अमीर होने का ऐसा सब्जबाग दिखाया कि कई बार हिचकिचाने के बाद भी उन्हें यकीन आ गया। आंखें तब खुलीं, जब जमा-पूंजी लुट गई। 

भरोसे को ठगी का हथियार बनाने का पैंतरा भले ही पुराना हो, मगर आज भी इसके जरिये लोग शिकार होते जा रहे हैं। वहीं, साइबर ठगी के भी मामले तेजी से बढ़े हैं। जिसमें हर बार गोपनीय सूचनाओं को संभालने में की जा रही लापरवाही या नासमझी सबसे बड़ा कारण होती है। 

पूरी सावधानी बरतें 

देहरादून के एसएसपी अरुण मोहन जोशी के अनुसार, किसी को भी अपने डाक्यूमेंट देते समय पूरी सावधानी बरतें। लकी ड्रॉ या फिर एटीएम कार्ड रिन्यू करने वाले फोन को बिल्कुल ही नजरअंदाज कर दें। क्योंकि बैंक अकाउंट से जुड़ी गोपनीय जानकारियों को प्राप्त किए बिना कोई ठगी नहीं कर सकता। 

केस एक

साइबर जालसाज ने ओएनजीसी के महाप्रबंधक (रसायन) से 1.80 लाख रुपये की ठगी कर ली। जालसाज ने उनके परिचित के वॉट्सएप नंबर को हैक कर उन्हें कॉल किया था। कहा था कि उसकी बहन का हार्ट का ऑपरेशन होना है। यह सुन जीएम ने बिना परिचित से तस्दीक किए जालसाज के बताए अकाउंट में पैसे ट्रांसफर कर दिए। जब वॉट्सएप नंबर बंद हो गया, तब उन्होंने अपने परिचित की तलाश की। तब पता चला कि वह ठगी के शिकार हो गए हैं।

केस दो

ऑनलाइन शॉपिंग में लकी ड्रॉ का झांसा देकर रायपुर क्षेत्र की एक युवती से करीब दो लाख रुपये की ठगी कर ली गई। ठग ने उन्हें फोन कर बताया कि ईनाम में 12 लाख रुपये की कार निकली है, लेकिन जब ठग ने बार-बार फोन करना शुरू कर दिया तो युवती ने यकीन कर लिया। इसके बाद उसने अपने भाई के जरिये ठग के बताए अकाउंट में करीब दो लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए। उन्हें ईनाम में कार तो नहीं मिली, अलबत्ता दो लाख रुपये चले गए। 

केस तीन

इंजीनियर के दस्तावेजों का दुरुपयोग करते हुए उसके नाम पर 50 लाख रुपये का लोन ले लिया गया। मामला तब खुला, जब ऋण के वसूली का नोटिस इंजीनियर को मिला। नोटिस मिलने के बाद जब उसने पड़ताल की तो पता चला कि जिन दस्तावेजों पर दो साल पहले एलआइसी हाउसिंग में लोन के लिए आवेदन किया था, उन पर ब्रांच हेड समेत चार लोगों ने उसे गारंटर बनाते हुए 50 लाख रुपये का लोन ले लिया है। 

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केस चार

हरिद्वार निवासी उद्योगपति विजय कुमार कुशवाहा ने वर्ष 2010 और 2012 में हरिद्वार और देहरादून के राजपुर रोड स्थित बैंक से लोन लिया। वर्ष 2015 में साउथ इंडियन बैंक राजपुर रोड के शाखा प्रबंधक आइजी एलेक्जेंडर ने रिकवरी के लिए उनके नाम से अकाउंट खुलवाया और नौ करोड़ 27 लाख 23 हजार 59 रुपये निकाल लिए गए। इतनी बड़ी रकम की हेराफेरी में एलेक्जेंडर समेत 14 बैंक अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज हुआ है।

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केस पांच

श्री महंत इंदिरेश मेडिकल कॉलेज के पांच डाक्टरों से हुई करीब 41 लाख 60 हजार रुपये की हाईप्रोफाइल ठगी का आरोपित उनके साथ दस साल से काम करने वाला डाक्टर और उसकी पत्नी निकले। मूलरूप से जम्मू-कश्मीर निवासी डाक्टर ने साथी डाक्टरों को जम्मू में फार्मा कंपनी लगाने का झांसा दिया था। मित्र होने के नाते सभी ने उस पर विश्वास कर लिया और बाद में ठगे गए।

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