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नंबर कम आए तो एक अभ्यर्थी ने पूछ डाली कॉपी जांचने वाले की योग्यता Dehradun News

यह पहला मामला है जिसमें एक अभ्यर्थी ने उत्तर पुस्तिका के साथ कॉपी जांचने वाले व्यक्ति की शैक्षिक योग्यता की भी जानकारी मांग ली।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 16 Feb 2020 09:35 AM (IST)Updated: Sun, 16 Feb 2020 09:35 AM (IST)
नंबर कम आए तो एक अभ्यर्थी ने पूछ डाली कॉपी जांचने वाले की योग्यता Dehradun News
नंबर कम आए तो एक अभ्यर्थी ने पूछ डाली कॉपी जांचने वाले की योग्यता Dehradun News

देहरादून, जेएनएन। किसी परीक्षा में नंबर कम आने पर सामान्यत: अभ्यर्थी आरटीआइ में उत्तर पुस्तिका की प्रति मांगते हैं। यह पहला मामला है, जिसमें एक अभ्यर्थी ने उत्तर पुस्तिका के साथ कॉपी जांचने वाले व्यक्ति की शैक्षिक योग्यता की भी जानकारी मांग ली। प्रकरण उत्तराखंड लोक सेवा आयोग से जुड़ा है और आयोग के लोक सूचनाधिकारी/अनुभाग अधिकारी ने इसे प्रतिबंधित श्रेणी की सूचना बताते हुए देने से इन्कार कर दिया। विभागीय अपीलीय अधिकारी/अनु सचिव के स्तर से भी सूचना न मिलने पर यह मामला सूचना आयोग पहुंचा और वहां मामले पर व्यवस्था दी गई।

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देहरादून के गढ़ी कैंट निवासी अनूप सिंह की अपील पर सुनवाई करते हुए मुख्य सूचना आयुक्त शत्रुघ्न सिंह ने आयोग के अनुभाग अधिकारी का जवाब तलब किया। आयोग के समक्ष उपस्थित अनुभाग अधिकारी सचिन कुमार ने बताया कि यदि कॉपी जांचने वाले व्यक्ति का नाम बता दिया जाता है तो इससे उनकी जान को खतरा हो सकता है। क्योंकि नाम उजागर होने के बाद वह चिह्नित किए जा सकते हैं। हालांकि, अपीलार्थी अनूप सिंह ने कहा कि वह सिर्फ मूल्यांकनकर्ता की शैक्षिक योग्यता की जानकारी चाह रहे हैं। ऐसे में बिना नाम बताए सिर्फ शैक्षिक योग्यता की जानकारी दी जा सकती है। इस पर आयोग ने कहा कि ऐसा संभव है और इस बारे में लोक सूचनाधिकारी को विचार करने के लिए कहा।

लोक सूचनाधिकारी ने आयोग को फिर बताया कि सूचना देने योग्य नहीं है। उन्होंने सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन एंड अदर्स बनाम आदित्य बंदोपाध्याय एंड अदर्स का हवाला दिया। जिसके अनुसार मूल्यांकनकर्ता परीक्षा लेने वाली संस्था से यह उम्मीद करता है कि उनका नाम व उनसे संबंधित विवरण अभ्यर्थियों को न बताए जाए। हालांकि, आयोग ने अपना मत दिया कि यदि सिर्फ शैक्षिक योग्यता की जानकारी देने मात्र का सवाल है और किसी तरह की छायाप्रति भी नहीं दी जानी है तो इस स्थिति में किसी भी मूल्यांकनकर्ता की पहचान उजागर हो पाना असंभव है। इससे पहले आयोग ने यह भी सुनिश्चित कर लिया था कि अभ्यर्थी ने जिन विषय की परीक्षा दी है, वह सामान्य श्रेणी की है और इससे संबंधित मूल्यांकनकर्ता गिने-चुने नहीं होते हैं। इसके साथ ही आयोग ने व्यवस्था दी कि प्रकरण-दर प्रकरण यह देखा जाना चाहिए कि मल्यांकनकर्ता की शैक्षिक योग्यता बताए जाने से किसी भी तरह की पहचान उजागर न हो। यदि ऐसा नहीं पाया जाता है तो आरटीआइ एक्ट की धारा 8(1)(छ) के तहत उसे प्रतिबंधित न किया जाए।

एसीएमओ डॉ. गुंज्याल पर 25 हजार जुर्माना

सूचना देने में किए गए अनावश्यक विलंब पर सूचना आयोग ने स्वास्थ्य महानिदेशक में अपर मुख्य चिकित्साधिकारी (एसीएमओ) डॉ. कैलाश गुंज्याल पर 25 हजार रुपये का अधिकतम जुर्माना लगाया। यह सूचना उनके हरिद्वार नगर निगम में मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी के पद पर तैनाती के समय मांगी गई थी। इसकी वसूली उनके वेतन से तीन किश्तों में की जाएगी।हरिद्वार के हनुमान घाट निवासी शुभम कुमार ने हवेली धर्मशाला बद्री बाबला ट्रस्ट में कमरे किराये पर देने को लेकर सूचना मांगी गई थी।

तय समय के भीतर सूचना न प्राप्त होने पर उन्होंने सूचना आयोग में अपील की। प्रकरण पर सुनवाई करते हुए मुख्य सूचना आयुक्त शत्रुघ्न सिंह ने पाया कि चार जून 2019 को मांगी गई सूचना छह माह के विलंब से दी गई। इस अवधि में कुल चार अधिकारी लोक सूचनाधिकारी के पद पर तैनात रहे। सभी से जवाब मांगा गया। तीन अधिकारियों के जवाब संतोषजनक पाए जाने पर आयोग ने उन्हें क्लीनचिट दे दी, जबकि डॉ. कैलाश गुंज्याल का जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया।

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लिहाजा, उन पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाते हुए आयोग ने कहा कि इसकी वसूली उनके जून, जुलाई व अगस्त माह के वेतन से क्रमश: आठ हजार, आठ हजार व नौ हजार के रूप में की जाएगी। जुर्माने की वसूली की जिम्मेदारी हरिद्वार के नगर आयुक्त व महानिदेशक स्वास्थ्य को दी गई।

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