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यह महिला तोहफे में मांगती है पौधा, चला रही तालाब के पुनर्जीवन की मुहिम

दून की डिफेंस कॉलोनी निवासी 43 वर्षीय डॉ. मधु नौटियाल थपलियाल ब्रिटिश कालीन तालाब के पुनर्जीवन को मुहिम चला रहीं हैं।

By BhanuEdited By: Published: Wed, 11 Jul 2018 01:56 PM (IST)Updated: Mon, 16 Jul 2018 05:19 PM (IST)
यह महिला तोहफे में मांगती है पौधा, चला रही तालाब के पुनर्जीवन की मुहिम
यह महिला तोहफे में मांगती है पौधा, चला रही तालाब के पुनर्जीवन की मुहिम

देहरादून, [जेएनएन]: समाज में ऐसे बहुत कम लोग हैं जो पर्यावरण के दर्द को समझते हैं। बात जब जल संरक्षण और जल संचय की आती है तो ज्यादातर लोग सोचते हैं कि एक अकेले व्यक्ति के प्रयास से क्या होगा। लेकिन, इन्हीं लोगों के बीच कुछ ऐसे भी हैं जो बूंद-बूंद पानी की अहमियत समझते हैं। दून की डिफेंस कॉलोनी निवासी 43 वर्षीय डॉ. मधु नौटियाल थपलियाल ऐसा ही उदाहरण हैं। जो ब्रिटिश कालीन तालाब के पुनर्जीवन को मुहिम चला रहीं हैं। डॉ. मधु गवर्नमेंट पीजी कॉलेज, मालदेवता के जंतु विज्ञान विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। 

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मधु क्षेत्रवासियों और कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं की मदद से डिफेंस कॉलोनी स्थित ब्रिटिश कालीन गौरादेवी तालाब के पुनर्जीवन के लिए प्रयासरत हैं। मधु ने बताया कि किसी दौर में यह तालाब जैव विविधता से संपन्न हुआ करता था। मगर, भू-माफिया के जमीन खुर्दबुर्द करने के बाद तालाब गंदे पानी और कूड़े-कचरे से भर गया। 

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कृषि मंत्री रहते हुए इसके सौंदर्यीकरण का शिलान्यास किया। उन्होंने ही इस तालाब को गौरादेवी नाम भी दिया था। मगर अभी तक तालाब की दशा को सुधारने के लिए कोई काम नहीं किया गया। स्थानीय लोग ही अपने स्तर से इसकी साफ-सफाई में लगे रहते हैं। तालाब के पुनर्जीवन की मांग को लेकर करीब चार माह पहले प्रदर्शन भी किया गया था। 

मधु ने बताया कि तालाब की समस्या को लेकर एमडीडीए और नगर निगम के अधिकारियों से वार्ता की। मगर स्थिति जस की तस है। कहा कि तालाब को नया जीवन देने के लिए हमारा प्रयास जारी रहेगा। इस मुहिम में उनके साथ समाज सेवी आशा रानी कपूर, नीलू धस्माना, आशीष यादव, लीन रतूड़ी, कर्नल एसएल पैन्यूली, डॉ. आरपी रतूड़ी, डिफेंस, फ्रेंड्स एनक्लेव, गोरखपुर कॉलोनी के लोग शामिल हैं। 

तोहफे में मांगती हैं पौधा

किसी भी अवसर पर अगर कुछ मांगने की बात आती है तो मधु पौधा भेंट स्वरूप मांगती हैं। उनका कहना है कि जल संचय और संवद्र्धन के लिए पेड़-पौधे बेहद जरूरी हैं। वह अपने साथ हमेशा गैंती लेकर चलती हैं। जहां मौका लगता है, वह पौधरोपण कर देती हैं। साथ ही अपने विद्यार्थियों के साथ मिलकर भी इस तरह के कार्यक्रम आयोजित करती रहती हैं। 

गांव जाने पर करती हैं जल स्रोतों की सफाई

मधु मूल रूप से उत्तरकाशी की रहने वाली हैं। वहीं उनके पति प्रोफेसर आशीष थपलियाल पौड़ी गढ़वाल के रहने वाले हैं। मधु बताती हैं कि जब भी पहाड़ जाना होता है तो वहां ग्रामीणों के साथ मिलकर पारंपरिक जल स्रोतों की सफाई करते हैं।

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