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    बोर्ड बैठक में पार्षदों के पतियों की एंट्री पर लगाई रोक Dehradun News

    नगर निगम की बोर्ड बैठक समेत अन्य बैठकों सेमिनार आदि में बेधड़क बैठने वाले पार्षद पतियों पर महापौर सुनील उनियाल गामा ने रोक लगा दी है।

    By BhanuEdited By: Updated: Fri, 10 Jan 2020 12:44 PM (IST)
    बोर्ड बैठक में पार्षदों के पतियों की एंट्री पर लगाई रोक Dehradun News

    देहरादून, जेएनएन। नगर निगम की बोर्ड बैठक समेत अन्य बैठकों, सेमिनार आदि में बेधड़क बैठने वाले पार्षद पतियों पर महापौर सुनील उनियाल गामा ने रोक लगा दी है। महापौर गामा ने सभी अनुभागों के लिए निर्देश जारी किए हैं कि अब किसी भी पार्षद पति से विकास कार्य या अन्य मामलों के पत्र और प्रस्ताव आदि न लिए जाएं। काम कराना है तो वार्ड की महिला पार्षद को स्वयं आना होगा। 

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    नगर निगम के 100 वार्डों में 39 वार्डों में महिला पार्षद चुनकर आई हैं। स्थिति ये है कि इनमें से आधी पार्षद हफ्ते-दो हफ्ते तो दूर, महीनों तक नगर निगम में दिखाई नहीं देती। बोर्ड बैठकों में जरूर इनकी संख्या में इजाफा होता है, लेकिन सामान्य दिनों में ये निगम से नदारद रहती हैं। हां, इनके पतियों को आएदिन निगम में फाइलें लेकर इधर से उधर अनुभागों में घूमते हुए देखा जाता है। 

    महापौर, नगर आयुक्त, उप आयुक्त आफिस समेत निर्माण, स्वास्थ्य और विद्युत अनुभाग में पार्षद पतियों की तरफ से ही प्रस्ताव या शिकायती पत्र दिए जाते हैं। गुरुवार को बोर्ड बैठक में कार्यकारिणी के चुनाव के दौरान भी पार्षद पति सदन में ही बैठे रहे और बाद में आगे तक टहलते नजर आए। इस पर महापौर ने नाराजगी जताते हुए भविष्य में होने वाली बैठकों व सेमिनार में पार्षद पतियों की एंट्री पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश दिए। महापौर ने कहा कि अब बोर्ड बैठक में किसी पार्षद पति को बैठने नहीं दिया जाएगा। 

    पति खुद को मान बैठे पार्षद 

    महापौर सुनील उनियाल गामा के मुताबिक, जनता ने अगर महिला को प्रतिनिधित्व दिया है तो निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को भी उनका सम्मान करना चाहिए। देखने में आ रहा कि चुनी गईं महिला पार्षद घर पर बैठी रहती हैं और यहां उनके पति खुद को पार्षद मान बैठे हैं। 

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    उन्होंने कहा कि यह रवैया सरासर गलत है एवं निगम अधिनियम और गरिमा के विरुद्ध भी है। इसलिए अब निगम की बैठकों में पार्षद पतियों की एंट्री पर रोक लगाई गई है। साथ ही सभी अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि पार्षद पतियों से किसी तरह का पत्राचार न किया जाए।

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