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    देहरादून में जल्द आकार लेगी अटल इनोवेशन अकादमी, जानिए और क्‍या बोले एआइसीटीई के चेयरमैन प्रो. अनिल डी सहस्रबुद्धे

    अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) के चेयरमैन प्रो. अनिल डी सहस्रबुद्धे ने कहा कि दून में उत्कृष्ट अटल नवाचार (इनोवेशन) अकादमी की स्थापना के लिए भूमि की चयन प्रक्रिया चल रही है। भूमि मिलते ही अकादमी का निर्माण शुरू हो जाएगा।

    By Sumit KumarEdited By: Updated: Sun, 10 Oct 2021 08:54 PM (IST)
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    एआइसीटीई) के चेयरमैन प्रो. अनिल डी सहस्रबुद्धे ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के दसवें दीक्षा समारोह में बतौर मुख्यअतिथि शामिल हुए।

    जागरण संवाददाता, देहरादून : अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) के चेयरमैन प्रो. अनिल डी सहस्रबुद्धे ने कहा कि दून में उत्कृष्ट अटल नवाचार (इनोवेशन) अकादमी की स्थापना के लिए भूमि की चयन प्रक्रिया चल रही है। भूमि मिलते ही अकादमी का निर्माण शुरू हो जाएगा। अकादमी का ध्येय देश में उच्च तकनीकी शिक्षा, शोध, उद्यमिता, नवाचार व भारतीय ज्ञान परंपरा को बढ़ावा देना होगा। संस्थान सुयोग्य छात्र तैयार करेगा, जो देश के विकास में भागीदार बनेंगे।

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    डा. अनिल डी सहस्रबुद्धे रविवार को ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के दसवें दीक्षा समारोह में बतौर मुख्यअतिथि शामिल हुए। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि एआइसीटीई दून में अटल अकादमी का निर्माण कराएगी। करीब डेढ़ वर्ष पहले केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने अकादमी की स्थापना के लिए उत्तराखंड सरकार से पांच एकड़ भूमि उपलब्ध करने को कहा था। उत्तराखंड सरकार ने दून शहर से करीब 25 किलोमीटर दूर विकासनगर मार्ग पर धूलकूट क्षेत्र में भूमि उपलब्ध करवाई है। एआइसीटीई की तकनीकी टीम की ओर से भूमि को मंजूरी मिलते ही निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। धन की कोई कमी आड़े नहीं आएगी।

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    उत्तराखंड में स्थापित होने वाली अटल इनोवेशन अकादमी का स्वरूप क्या होगा, इसको एआइसीटीई की टीम तय करेगी। उन्होंने कहा कि अकादमी के शुरू होने से तकनीकी शिक्षा प्राप्त कर रहे छात्र, फैकल्टी व उद्योग जगत को इसका सीधा लाभ मिलेगा। साथ ही एआइसीटीई के अत्याधुनिक कार्यक्रमों को लागू करने व तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता में व्यापक सुधार देखने को मिलेगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश के इंजीनियङ्क्षरग कालेजों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए राज्य सरकार को राज्य लोकसेवा आयोग के माध्यम से भर्ती प्रक्रिया पूरी करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ग्राफिक एरा विवि को एआइसीटीई की ओर से ङ्क्षहदी माध्यम से बीटेक की मान्यता मिल गई है। इसी तरह देश के अन्य 17 राज्यों को वहां की स्थानीय भाषाओं में बीटेक करवाने का जिम्मा सौंपा गया है। हिन्दी में बीटेक करने वाले छात्रों को अंग्रेजी को एक विषय के रूप में पढऩा होगा।

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