एम्स ऋषिकेश में खुला Yellow Fever टीकाकरण केंद्र, जानिए क्या होता है येलो फीवर और लक्षण
AIIMS Rishikesh में स्थापित येलो फीवर टीकाकरण केंद्र (वाइवीएफसी) शुरू कर दिया गया है। एम्स प्रशासन का दावा है कि अभी तक अमेरिका और अफ्रीकी येलो फीवर वाले देशों की यात्रा करने वाले यात्रियों को टीकाकरण के लिए दिल्ली जाना पड़ता था।
जागरण संवाददाता, ऋषिकेश। Yellow Fever अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, ऋषिकेश में स्थापित येलो फीवर टीकाकरण केंद्र (वाइवीएफसी) शुरू किया गया। एम्स प्रशासन का दावा है कि अभी तक अमेरिका और अफ्रीकी येलो फीवर वाले देशों की यात्रा करने वाले यात्रियों को टीकाकरण के लिए दिल्ली जाना पड़ता था। मगर, अब इस केंद्र में उन अंतरराष्ट्रीय यात्रियों को ऋषिकेश एम्स में ही यह सुविधा मिल सकेगी।
शनिवार को संस्थान के निदेशक प्रो. अरविंद राजवंशी और संकायाध्यक्ष (शैक्षणिक) प्रो. मनोज गुप्ता ने संयुक्त रूप से येलो फीवर टीकाकरण केंद्र का लोकार्पण किया। वैक्सीनेशन सेंटर में कार्य दिवस वाले प्रत्येक गुरुवार सुबह दस बजे से दोपहर एक बजे तक टीकाकरण किया जाएगा। संस्थान की ओर से टीकाकरण और प्रमाणपत्र प्राप्ति का शुल्क प्रतिव्यक्ति तीन सौ रुपए निर्धारित किया गया है।
वैक्सीनेशन कार्ड की वैधता टीकाकरण के दस दिन बाद शुरू होगी तथा जीवनपर्यंत वैध रहेगी। बताया गया है कि दक्षिण अमेरिका और अफ्रीकी देशों से आने वाले यात्री येलो फीवर वैक्सीनेशन के लिए एम्स ऋषिकेश की वेबसाइट https://aiimsrishieksh.edu.in/college&Centres/Community and Family Medicine/ Yellow Fever Vaccination पर अपना पंजीकरण करा कर अपाइंटमेंट ले सकते हैं। इस अवसर पर संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक डा. अश्वनी कुमार दलाल, सामुदायिक और पारिवारिक चिकित्सा विभागाध्यक्ष प्रो. वर्तिका सक्सेना, प्रभारी संकाय (वाईवीएफसी) डा. स्मिता सिन्हा, एनएचएम,उत्तराखंड के प्रतिनिधि व स्टेट इम्यूनाइजेशन आफिसर डा. कुलदीप मार्तोलिया, सहायक निदेशक आइटी हैल्थ डा. आशुतोष भारद्वाज आदि मौजूद थे।
जानिए क्या है येलो फीवर
दर्सल, येलो फीवर वायरस द्वारा उत्पन्न होने वाला एक तीव्र हैमरैजिक रोग है, जो संक्रमित मच्छर के काटने से होता है। रोग के नाम में येलो शब्द पीलिया की ओर संकेत करता है जो कुछ रोगियों को प्रभावित करता है। ये एक ऐसा रोग है, जो पूरे शरीर पर प्रभव डालता है।
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जानिए क्या है येलो फीवर के लक्षण
- बुखार का आना।
-सिर दर्द होना।
- लिवर और किडनी से सम्बंधित कार्य प्रणाली का ठप पड़ना।
-मुंह, नाक, कान, और पेट में रक्त स्राव
-उलटी, मितली, जी मचलाना
-पेट में दर्द होना
-पीलिया
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