श्राइन बोर्ड के विरोध में विधायकों का सदन से बहिर्गमन, पढ़िए पूरी खबर
विधायक प्रीतम सिंह पंवार ने हकहकूकधारियों के हितों पर कुठाराघात बताते हुए श्राइन बोर्ड की मुखालफत की। विधायक प्रीतम सिंह पंवार और मनोज रावत ने सदन से बर्हिगमन किया।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। चार धाम समेत उत्तराखंड के 51 मंदिरों के लिए बनाए जा रहे श्राइन बोर्ड के विरोध का मामला सदन में भी गूंजा। निर्दल विधायक प्रीतम सिंह पंवार ने हकहकूकधारियों के हितों पर कुठाराघात बताते हुए श्राइन बोर्ड की मुखालफत की। सरकार के जवाब से असंतुष्ट पंवार और केदारनाथ से कांग्रेस विधायक मनोज रावत ने सदन से बर्हिगमन भी किया। उधर, सरकार ने भी जवाब में स्पष्ट किया कि हकहकूकधारियों के हित किसीतरह प्रभावित नहीं होने दिए जाएंगे। मीडिया से बातचीत में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि श्राइन बोर्ड को लेकर हकहकूकधारियों से वार्ता हुई है। किसी का हक मारा नहीं जाएगा।
विधायक प्रीतम सिंह पंवार के कार्यस्थगन प्रस्ताव के जवाब में संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने बताया कि श्राइन बोर्ड के गठन के फैसले के साथ सरकार हकहकूकधारियों के हित, आस्था, पूजा पद्धति, परंपरा की कतई अनदेखी नहीं करेगी। गंगोत्री धाम में 1960 में भूमि बंदोबस्त के दायरे में आए और इससे बाहर रहने वालों के मामलों पर भी विचार किया जाएगा। श्राइन बोर्ड कानून बनने से पहले संबंधित सभी पक्षों से लंबी चर्चा की जाएगी। अभी उक्त विधेयक सदन में नहीं रखा गया है। सदन में रखने पर उस पर चर्चा होगी। सदन में आए सुझावों पर गौर करने के बाद ही कानून बनेगा।
इससे पहले विधायक प्रीतम पंवार ने कहा कि श्राइन बोर्ड के गठन के फैसले के खिलाफ पंडा, तीर्थ पुरोहित, हकहकूकधारी आंदोलनरत हैं। उन्हें पूर्वजों से मिले हकहकूकों से सरकार बेदखल करना चाहती है। गंगोत्री धाम में भूमि बंदोबस्त के बाद कई पात्रों के नाम दर्ज होने से रह गए। रावल, सेवादार के पारंपरिक रोजगार पर असर पड़ेगा। सरकार को सभी पक्षों के साथ सर्वसम्मति से यह फैसला लेना चाहिए। बाद में मीडिया से बातचीत में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि श्राइन बोर्ड के मामले में भ्रामक जानकारी फैलाई जा रही है। सरकार सभी पक्षों के हितों को लेकर सजग है। बोर्ड के लिए अनुपूरक बजट में धन का प्रविधान देखते हुए संबंधित विधेयक सदन में रखे जाने के सवाल पर उन्होंने टिप्पणी से इन्कार कर दिया।
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श्राइन बोर्ड मसले पर पीछे छूटी कांग्रेस!
श्राइन बोर्ड के मामले को लपकने में कांग्रेस पिछड़ गई। पंवार के इस मुद्दे को पहले लपकने से सदन में कांग्रेस में मायूसी और बेचैनी दिखाई दी। नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने अगले दिन कांग्रेस के साथ ही इस मामले पर चर्चा कराने पर जोर दिया, लेकिन पीठ ने भी इसे नहीं माना। संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने यह कहते हुए चुटकी ली कि दीदी आप पिछड़ रहे हो। याददाश्त दुरुस्त रखने को अखरोट खाया करो। जवाब में इंदिरा हृदयेश ने कहा कि उनकी याददाश्त ठीक है। श्राइन बोर्ड विधेयक पर सरकार को रुख साफ करना चाहिए।
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