Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    वृक्ष प्रजातियों से ज्यादा कार्बन अवशोषित करते हैं सगंध पौधे, ऐसे सामने आई बात

    By Raksha PanthriEdited By:
    Updated: Sun, 06 Jun 2021 06:45 AM (IST)

    सगंध पौधे किसानों की झोलियां तो भर ही रही पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। राज्य सरकार के उपक्रम सेंटर फार एरोमैटिक प्लांट की ओर से कराए गए अध्ययन के मुताबिक परंपरागत वृक्ष प्रजातियों के मुकाबले संगध पौधे पांच से छह गुना अधिक कार्बन अवशोषित करते हैं।

    Hero Image
    वृक्ष प्रजातियों से ज्यादा कार्बन अवशोषित करते हैं सगंध पौधे।

    केदार दत्त, देहरादून। आम के आम और गुठलियों के भी दाम। उत्तराखंड में सगंध पौधों की खेती इस मुहावरे को चरितार्थ करती है। यह किसानों की झोलियां तो भर ही रही, पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। राज्य सरकार के उपक्रम सेंटर फार एरोमैटिक प्लांट (कैप) की ओर से कराए गए अध्ययन के मुताबिक परंपरागत वृक्ष प्रजातियों के मुकाबले संगध पौधे पांच से छह गुना अधिक कार्बन अवशोषित करते हैं। साथ ही भू-क्षरण रोकने और जलस्रोत रीचार्ज करने में भी मददगार साबित हो रहे हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उत्तराखंड में कैप के माध्यम से सात हजार हेक्टेयर में लैमनग्रास, पामारोजा, मिंट, खस, तेजपात जैसे सगंध पौधों (सुगंध देने वाले पौधे) की खेती हो रही है। 21 हजार किसान इससे जुड़े हैं और सालाना टर्न ओवर है करीब 85 करोड़। सगंध फसलों से उन खेतों में भी हरियाली लौटी है, जो एक दौर में बंजर हो चले थे। दरअसल, यह फसलें किसी भी परिस्थिति को सहन करने की क्षमता रखती हैं। इस सबको देखते हुए कैप ने पर्यावरण संरक्षण में सगंध फसलों के योगदान का अध्ययन कराने का निर्णय लिया।

    कैप के निदेशक डा. नृपेंद्र चौहान के अनुसार अध्ययन में बात सामने आई कि पारंपरिक वृक्ष प्रजातियों व फसलों के मुकाबले सगंध फसलें ज्यादा मात्रा में कार्बन अवशोषित कर वातावरण को शुद्ध बनाने में योगदान दे रही हैं। सगंध फसलों से ही राज्य में औसतन प्रतिवर्ष प्रति हेक्टेयर 35 टन कार्बन अवशोषित हो रहा है। जिन क्षेत्रों में सगंध फसलें हो रही हैं, वहां मच्छर, कीड़े-मकोड़ों का प्रकोप नाममात्र को देखा गया। यही नहीं, सगंध फसलें कम पानी, सूखा, ऊसर जमीन जैसी परिस्थितियों में भी उगने की क्षमता रखती हैं।

    कार्बन अवशोषित करने की क्षमता

    सगंध फसलें

    प्रजाति, अवशोषित कार्बन (टन प्रति हेक्टेयर प्रतिवर्ष)

    खस, 15.24

    मिंट, 6.60

    लैमनग्रास, 5.38

    पामारोजा, 6.14

    तेजपात, 4.04

    पारंपरिक वृक्ष प्रजातियां और फसलें

    यूकेलिप्टस, 8.00

    पापुलर, 8.00

    सागौन, 1.33-2.00

    कटहल, 1.21

    शीरस, 1.04

    साल, 0.87

    धान, 1.54-2.48

    मक्का, 2.1-3.51

    यह भी पढ़ें- लैंटाना रूपी मुसीबत से मुक्त होंगे उत्तराखंड के जंगल, जानिए कैसे

    Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें