Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    लैंटाना रूपी मुसीबत से मुक्त होंगे उत्तराखंड के जंगल, जानिए कैसे

    By Raksha PanthriEdited By:
    Updated: Sat, 05 Jun 2021 05:27 PM (IST)

    पर्यावरण के लिए खतरनाक मानी जाने वाली झाड़ी प्रजाति लैंटाना (कुर्री) की फांस से उत्तराखंड के जंगल मुक्त होंगे। इसके लिए सभी संरक्षित आरक्षित सिविल सोयम और पंचायती वनों में लैंटाना उन्मूलन अभियान चलाया जाएगा। वन क्षेत्रों से लैंटाना हटाकर इसकी जगह घास का रोपण किया जाएगा।

    Hero Image
    लैंटाना रूपी मुसीबत से मुक्त होंगे उत्तराखंड के जंगल, जानिए कैसे।

    राज्य ब्यूरो, देहरादून। पर्यावरण के लिए खतरनाक मानी जाने वाली झाड़ी प्रजाति लैंटाना (कुर्री) की फांस से उत्तराखंड के जंगल मुक्त होंगे। इसके लिए सभी संरक्षित, आरक्षित, सिविल सोयम और पंचायती वनों में लैंटाना उन्मूलन अभियान चलाया जाएगा। वन क्षेत्रों से लैंटाना हटाकर इसकी जगह घास का रोपण किया जाएगा। वन मुख्यालय ने इस सिलसिले में सभी वन संरक्षकों को निर्देश जारी किए हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    दरअसल, लैंटाना ऐसी झाड़ी प्रजाति है, जो अपने इर्द-गिर्द दूसरी वनस्पतियों को नहीं पनपने देती। साथ ही वर्षभर खिलने के गुण के कारण इसका निरंतर फैलाव हो रहा है। उत्तराखंड का शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र होगा, जहां लैंटाना ने दस्तक न दी हो। कार्बेट टाइगर रिजर्व व राजाजी टाइगर रिजर्व में तो इसने भारी दुश्वारियां खड़ी की हैं। घास के मैदानों पर लैंटाना का कब्जा होने के कारण शाकाहारी वन्यजीवों के भोजन पर मार पड़ी ही है, बाघ, गुलदार जैसे जानवरों के शिकार के अड्डों में भी कमी आई है।

    स्थिति की भयावहता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पूर्व में कार्बेट फाउंडेशन ने यहां तक कह दिया था कि कार्बेट टाइगर रिजर्व से लैंटाना नहीं हटाई गई तो वहां बाघों का संरक्षण मुश्किल हो जाएगा। कार्बेट के अलावा राजाजी टाइगर रिजर्व के बड़े हिस्से पर भी लैंटाना का फैलाव चिंता का सबब बना हुआ है। न सिर्फ मैदानी क्षेत्र, बल्कि उच्च हिमालयी क्षेत्र के केदारनाथ वन प्रभाग तक में लैंटाना ने दस्तक दी है। इस सबको देखते हुए वन महकमे ने लैंटाना उन्मूलन के लिए गंभीरता से कदम उठाने का निश्चय किया है। इसमें प्रतिकरात्मक वन रोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण यानी कैंपा का भी संबल विभाग को मिला है।

    वन विभाग के मुखिया प्रमुख मुख्य वन संरक्षक राजीव भरतरी के अनुसार लैंटाना उन्मूलन को गंभीरता से कदम उठाने के निर्देश सभी वन संरक्षकों को दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि लैंटाना को हटाने के बाद खाली होने वाली जगह में घास की विभिन्न प्रजातियों का रोपण किया जाएगा। इससे शाकाहारी वन्यजीवों के लिए भोजन की उपलब्धता बढ़ाने में मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि कार्बेट व राजाजी टाइगर रिजर्व में लैंटाना उन्मूलन कर वहां विकसित किए जा रहे घास के मैदानों के बेहतर परिणाम सामने आए हैं।

    यह भी पढ़ें- World Environment Day: दिनभर में 20 घंटे आक्सीजन देता है वट वृक्ष, जानिए इस पेड़ के बारे में

    Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें