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यहां अब जड़ी-बूटियों से इलाज करेंगी आशा और एएनएम कार्यकर्ता

आशा और एएनएम जल्द ही जड़ी-बूटियों से प्राथमिक इलाज करती नजर आएंगी। साथ ही ग्रामीणों को फिट रखने के लिए योगाभ्यास भी कराएंगी। इसके लिए इन दिनों उन्हें प्रशिक्षित किया जा रहा है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Mon, 01 Oct 2018 06:42 PM (IST)Updated: Tue, 02 Oct 2018 01:01 PM (IST)
यहां अब जड़ी-बूटियों से इलाज करेंगी आशा और एएनएम कार्यकर्ता
यहां अब जड़ी-बूटियों से इलाज करेंगी आशा और एएनएम कार्यकर्ता

गोपेश्वर, [जेएनएन]: ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ मानी जाने वाली आशा और एएनएम जल्द जड़ी-बूटियों से प्राथमिक इलाज करती नजर आएंगी। साथ ही ग्रामीणों को फिट रखने के लिए योगाभ्यास भी कराएंगी। इसके लिए इन दिनों उन्हें राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत आयुर्वेद व योग में प्रशिक्षित किया जा रहा है।

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यह तथ्य किसी से छिपा नहीं है कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की प्राथमिक जिम्मेदारी पूरी तरह आशा कार्यकर्ताओं और एएनएम के हवाले है। ये महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता गर्भवती महिलाओं व बच्चों के टीकाकरण से लेकर स्वास्थ्य के सभी राष्ट्रीय कार्यक्रमों के संचालन की महत्वपूर्ण व अंतिम कड़ी हैं। गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य लाभ के लिए चिकित्सालय लाने-ले जाने का कार्य भी ये ही करते हैं। हालांकि, अब तक इन्हें सिर्फ एलोपैथिक कार्य पर ही लगाया गया था। लेकिन, अब राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत चमोली जिले की 620 आशा और 120 एएनएम को आयुर्वेद व योग का प्रशिक्षण देकर यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भी सौंपी जा रही है। 

प्रशिक्षण के बाद इन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं से ग्रामीण जनता के स्वास्थ्य की देखभाल जड़ी-बूटियों के माध्यम से कराने की योजना है। उन्हें ग्रामीणों को योग के माध्यम से फिट रखने की जिम्मेदारी भी सौंपी जा रही है। केंद्र सरकार की मंशा है कि देश के प्राचीन आयुर्वेद विज्ञान और योग को जन-जन तक पहुंचाया जाए।

होने से पहले ही संभव है बीमारी की रोकथाम

विकासखंड कर्णप्रयाग में चल रहे आशा व एएनएम के योग-आयुर्वेद प्रशिक्षण कार्यक्रम में मुख्य प्रशिक्षक डॉ. एसके रतूड़ी ने कहा कि आयुर्वेद व योग से हम बीमारी को होने से पूर्व ही रोक सकते हैं। कहा कि आज के दौर में योग व आयुर्वेद की अहमियत बढ़ गई है। विदेशी भी इलाज की अपनी परंपरागत पैथी को छोड़कर यहां आयुर्वेद व योग में अपना भविष्य देख रहे हैं। प्रशिक्षण कार्यक्रम में महिला आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. अंजू सिंह आशा व एएनएम को स्त्री रोगों के कारण और बचाव के साथ ही स्थानीय जड़ी-बूटियों से इलाज की सामान्य जानकारी भी दे रही हैं।

तीन साल में प्रशिक्षित होंगी आशा व एएनएम

चमोली जिले में सभी आशा व एएनएम को तीन साल में योग व आयुर्वेद में प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा गया है। प्रथम चरण में कर्णप्रयाग व गैरसैंण विकासखंड में प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। जिले में आशा-एएनएम प्रशिक्षण के मास्टर ट्रेनर एवं प्रभारी चिकित्साधिकारी आयुष विंग डॉ. एसके रतूड़ी ने बताया कि आयुर्वेदिक जीवन शैली के प्रशिक्षण देने का मुख्य उद्देश्य लोगों को पूरी तरह रोगमुक्त करना है। आयुर्वेद में सभी रोगों का जड़ से इलाज संभव है। आयुर्वेदिक जीवन शैली में व्यक्ति को उसकी प्रकृति के अनुसार आहार-विहार व दिनचर्या अपनाने के लिए प्रेरित किया जाता है।

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