यहां 'आधार' के दर्द से कराह रहे दिव्यांग, आयोग ने मांगा जवाब; जानिए
आधार कार्ड के लिए दिव्यांगों को कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जो चलने में समर्थ नहीं हैं उनके लिए ऐसी कोई व्यवस्था नहीं कि उनकी समस्या का समाधान हो सके।
देहरादून, जेएनएन। आधार कार्ड की समस्या से सामान्य आदमी तो परेशान है ही, मगर एक नजर दिव्यांगजनों की ओर डालें तो हाल और भी बुरा है। जो दिव्यांग चलने में समर्थ नहीं हैं, उनके लिए ऐसी कोई व्यवस्था नहीं कि उनकी समस्या का समाधान हो सके। नतीजा, दिव्यांगों को सरकारी योजनाओं से वंचित होना पड़ रहा है। ऐसा ही एक मामला उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग में पहुंचा है, जो आधार कार्ड की व्यवस्था को आईना दिखा रहा है। इस पर आयोग ने सचिव सूचना और प्रौद्योगिकी से दिव्यांगों के लिए की गई व्यवस्था पर जवाब मांगा है।
बाल आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी की ओर से सचिव आइटी को भेजे पत्र में कहा गया कि एक दस वर्षीय दिव्यांग के अभिभावक की लिखित शिकायत मिली है, जिसमें बताया कि उनका बेटा सेरिब्रल पाल्सी दिव्यांगता से ग्रसित है। उसके आधार कार्ड में त्रुटि है, लेकिन वह बिस्तर से उठ न पाने के कारण आधार केंद्र में जाने में समर्थ नहीं है। इस वजह से उसके आधार कार्ड की त्रुटि में सुधार नहीं हो पा रहा है।
आधार में गलत नाम होने के कारण राशन विक्रेता ने भी राशन कार्ड से बेटे का नाम हटा दिया है। साथ ही उसे अन्य योजनाओं से भी वंचित होना पड़ रहा है। उन्होंने आधार कार्ड में त्रुटि सुधार के लिए मदद मांगी है।
आयोग ने इस स्थिति पर हैरानी जताई है और सचिव आइटी से पूछा है कि चलने में असमर्थ दिव्यांगों के लिए आधार कार्ड सेवा की क्या व्यवस्थाएं की गई हैं। इस संबंध में एक सप्ताह के भीतर आयोग में रिपोर्ट प्रस्तुत करें।
पटरी पर नहीं आ रही व्यवस्था
आधार केंद्रों का जिम्मा संभाल रहे डाकघर और बैंकों में एक साल बाद भी व्यवस्था पटरी पर नहीं आ पाई है। डाकघरों में जहां स्टाफ की कमी और कनेक्टिविटी की समस्या के कारण दर्जनों केंद्रों में सेवा शुरू नहीं हो पा रही है। वहीं, बैंकों में तो हाल और भी बुरा है। बैंक आधार सेवा का काम गंभीरता से नहीं कर रहे हैं। लोग पहुंच रहे तो अधिकारी मशीन खराब होने का बहाना बना बैरंग लौटा रहे हैं। कई बैंकों ने अपनी जिम्मेदारी सीएससी को सौंप दी है और सीएससी जमकर लूट कर रहे हैं।
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