उत्तराखंड: 2018 से 2025 तक 6282 प्रवासी लौटे, 27 देशों से भी पहुंचे लोग; अब बनेगी ‘प्रवासी पंचायत’ की रूपरेखा
उत्तराखंड सरकार प्रवासी उत्तराखंडियों की घर वापसी पर ध्यान केंद्रित कर रही है। 2018 से 2025 तक 6282 प्रवासी गांव लौटे हैं, जिनमें 27 देशों के 169 लोग ...और पढ़ें

सांकेतिक तस्वीर।
केदार दत्त, जागरण देहरादून: देश-विदेश में रह रहे प्रवासी उत्तराखंडियों की घर वापसी पर सरकार ध्यान केंद्रित कर रही है, ताकि वे जड़ों से जुड़कर गांव, क्षेत्र के विकास में भागीदारी कर सकें। इस पहल के सार्थक नतीजे भी आए हैं।
राज्य में वर्ष 2018 से अगस्त 2025 तक अपने गांव या उसके आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में 6282 प्रवासी लौटे हैं, जो विभिन्न काम धंधों में रमे हैं। इनमें 27 देशों से घर वापसी करने वाले 169 लोग भी शामिल हैं, जबकि 4769 देश के विभिन्न राज्यों से वापस लौटे हैं।
अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों के क्रम में पलायन निवारण आयोग प्रवासी पंचायतों की रूपरेखा तैयार करने में जुट गया है।
विषम भूगोल वाले उत्तराखंड के गांवों से प्रवासन बड़ी चुनौती के रूप में उभरा है। मूलभूत सुविधाओं के अभाव और बेहतर भविष्य की आस में लोग गांवों से मजबूरी में प्रवासन कर रहे हैं।
यद्यपि, पिछले कुछ वर्षों में गांवों के विकास पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ही घर वापसी करने वालों के लिए स्वरोजगार समेत अन्य योजनाएं शुरू की गई। इससे काफी हद तक प्रवासियों की घर वापसी की राह सुगम हुई है।
पलायन निवारण आयोग के सर्वेक्षण में बात सामने आई कि 6282 लोग गांवों में लौटे और उद्यमिता को अपनाकर आजीविका चला रहे हैं।
कहां से गांव लौटे प्रवासी
- विदेश :- चीन, फ्रांस, आस्ट्रेलिया, जर्मरी, जापान, नेपाल, कतर, ओमान, दुबई, भूटान, जांबिया, सिंगापुर, सऊदी अरब, मारीशस, कैलिफोर्निया, कुवैत, कीनिया, मालदीव, हांगकांग, दक्षिण अफ्रीका, थाइलैंड, पोलैंड, रुस, तंजानिया, आबूधाबी व नाइजीरिया।
- देश :- दिल्ली, चंडीगढ़, प्रयागराज, पंजाब, नोएडा, मेरठ, अंबाला, गुजरात, केरल, जयपुर, गुडग़ांव, हिमाचल प्रदेश, मुंबई, बंगलुरू, महाराष्ट्र, लुधियाना, हैदराबाद, गोवा, भोपाल, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, मथुरा, चेन्नई, मध्य प्रदेश, बनारस, लखनऊ, उदयपुर, मुरादाबाद, अरुणाचल प्रदेश, सूरत व असोम।
- राज्य :- देहरादून, हरिद्वार, ऊधम सिंह नगर, ऋषिकेश, रुड़की, मसूरी, कोटद्वार, विकासनगर, रामनगर, हल्द्वानी, खटीमा, सितारगंज, रुद्रपुर व काशीपुर।
इन काम धंधों को अपनाया
- क्षेत्र, संख्या
- कृषि-बागवानी, 2440
- पर्यटन-सेवा, 1348
- पशुधन व्यवसाय, 1134
- व्यापार-दुकान, 385
- श्रम-मनरेगा-मजदूरी, 343
- परिवहन, 299
- तकनीकी व्यवसाय, 179
- अन्य, 154
केवल गांव लौटना ही घर वापसी
शहरी क्षेत्रों में भी काफी संख्या में प्रवासी देश के विभिन्न शहरों से लोग वापस लौटे हैं। रिटायरमेंट के बाद भी लोगों ने वापसी की है। पलायन निवारण आयोग ने इसे घर वापसी नहीं माना है। आयोग ने गांव छोड़कर गए व्यक्तियों के गांव लौटने को घर वापसी माना है।
प्रवासियों को घर वापसी के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से होने वाली प्रवासी पंचायतों की रूपरेखा तैयार हो रही है। इसके लिए गांव लौटे लोगों की सफलता की कहानियां एकत्रित की जा रही हैं। जल्द ही प्रवासी पंचायतों का आयोजन होगा, जिनमें देश-विदेश में रह रहे प्रवासी आमंत्रित किए जाएंगे।
- डा एसएस नेगी, उपाध्यक्ष, पलायन निवारण आयोग।
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