ऋषिकेश ही नहीं उत्तराखंड का ये शहर भी रिवर राफ्टिंग के लिए मशहूर, रोमांच के इस सफर को 10 साल पूरे
टनकपुर में शारदा नदी पर रिवर राफ्टिंग को एक दशक पूरा हो गया है। 2015 में शुरू हुई यह गतिविधि अब साहसिक पर्यटन का केंद्र बन गई है। राष्ट्रीय खेलों और पूर्णागिरि यात्रा के कारण पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हुई है। वर्तमान में सात संचालकों को लाइसेंस मिला है, लेकिन क्षतिग्रस्त मार्ग के कारण कुछ परेशानियां आ रही हैं। पर्यटकों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।

शुरुआती कम रुझान के बाद हर साल बढ़ रहे राफ्टिंग प्रेमी पर्यटक। प्रतीकात्मक
दीपक सिंह धामी, टनकपुर। भारत-नेपाल सीमा पर बहने वाली शारदा नदी में रिवर राफ्टिंग को अनुमति मिले अब पूरा एक दशक हो गया है। वर्ष 2015 में ऋषिकेश की तर्ज पर यहां राफ्टिंग की शुरुआत हुई थी। शुरुआती दो वर्षों तक गिने-चुने सैलानी ही यहां पहुंचे, लेकिन समय के साथ पर्यटकों का उत्साह लगातार बढ़ता गया।
एक दशक के भीतर शारदा नदी ने साहसिक पर्यटन के मानचित्र पर अपनी अलग पहचान बना ली है। इस वर्ष जनवरी में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की पहल पर आयोजित 38वें राष्ट्रीय खेलों के अंतर्गत राफ्टिंग प्रतियोगिता ने टनकपुर में साहसिक पर्यटन को नई गति दी है। पूर्णागिरि दर्शन को आने वाले श्रद्धालु भी अब राफ्टिंग का रोमांच लेने लगे हैं। चरण पादुका मंदिर से बूम तक 13 किलोमीटर के ट्रेक पर यह गतिविधि संचालित होती है। मौसम अनुकूल रहते ही राफ्टिंग शुरू कर दी जाती है।
वर्तमान में सात संचालकों को राफ्ट चलाने का लाइसेंस दिया गया है। पिछले सात वर्षों में, शुरुआती दो साल और कोरोना काल को छोड़ दें, तो हर सीजन में औसतन 1200 से 1500 पर्यटक शारदा की लहरों पर साहसिक अनुभव ले रहे हैं। इस वर्ष अब तक 100 से अधिक पर्यटक राफ्टिंग कर चुके हैं। राफ्ट संचालक विनय अरोरा (मौनी बाबा), राजू गड़कोटी, नितिन राणा, विनोद धामी और विजय थ्वाल ने बताया कि कुमाऊं मंडल विकास निगम और प्रशासन की पहल से राफ्टिंग को व्यवस्थित ढंग से बढ़ावा मिल रहा है। उनका कहना है कि शारदा नदी की स्वच्छ लहरों में राफ्टिंग अब न सिर्फ रोमांच बल्कि टनकपुर की पहचान बन चुकी है।
चरण पादुका मंदिर के पास ठीक नहीं हुआ क्षतिग्रस्त मार्ग
चरण पादुका मंदिर से बूम शारदा नदी में राफ्टिंग स्पाट को जाने वाला पैदल मार्ग इस बार मानसून काल में आपदा के दौरान क्षतिग्रस्त हो गया था। अभी तक इस रास्ते की मरम्म्त नहीं होने से नदी में राफ्ट ले जाने में न केवल राफ्ट संचालकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि पर्यटकों को भी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। राफ्ट संचालकों ने प्रशासन से क्षतिग्रस्त मार्ग को जल्द ठीक करने की मांग की है।
पिछले पांच साल में राफ्टिंग करने वाले पर्यटकों की संख्या
- वर्ष - राफ्टिंग करने वाले पर्यटक
- 2021 - 300
- 2022 -1200
- 2023 -1500
- 2024 -1100
- 2025 में अब तक 100
टनकपुर शारदा नदी में साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। वर्तमान में सात संचालकों को राफ्ट चलाने का लाइसेंस मिला हुआ है। शारदा नदी का जल स्तर कम होने पर 15 सितंबर से राफ्टिंग की अनुमति दे दी गई थी, जो 30 जून तक प्रभावी रहेगी। शारदा नदी में राफ्टिंग को लेकर पर्यटकों का रुझान लगातार बढ़ना सुखद है।
- लता बिष्ट, जिला पर्यटन अधिकारी, चंपावतयह भी पढ़ें- ऋषिकेश में 83 वर्षीय ब्रिटिश महिला का हैरतअंगेज कारनामा, वीडियो देख रोमांच से भर जाएंगे आप

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