भोजपत्र को बड़े व्यापार का रूप देने के लिए महिलाओं ने लगाई प्रशासन से गुहार, बढ़ेगा स्वरोजगार; जानें खासियत
भोजपत्र से स्वरोजगार चमोली जिले में यात्री एवं पर्यटकों को भोजपत्र पर लिखे संदेशों का किट का उपहार हाथों-हाथ क्या बिका कि अब महिलाएं इसे बड़े व्यापार का रूप देने लग गए हैं। इसके लिए जिला प्रशासन की मुहिम से नीति घाटी के द्रोणागिरी कागा तोलमा में भोजपत्र के जंगल विकसित किए जाने के लिए प्रयास शुरू हो गए हैं।

संवाद सहयोगी, गोपेश्वर। भोजपत्र से स्वरोजगार: चमोली जिले में यात्री एवं पर्यटकों को भोजपत्र पर लिखे संदेशों का किट का उपहार हाथों-हाथ क्या बिका कि अब महिलाएं इसे बड़े व्यापार का रूप देने लग गए हैं। इसके लिए जिला प्रशासन की मुहिम से नीति घाटी के द्रोणागिरी, कागा, तोलमा में भोजपत्र के जंगल विकसित किए जाने के लिए प्रयास शुरू हो गए हैं।
इसके तहत नीति घाटी के विभिन्न गांवों के आस पास की भूमि में भोजपत्र के पौध रोपित किए हैं साथ ही इसे बड़ा स्वरुप देने के लिए नर्सरियां भी बनाकर बीज बोए गए हैं। जो अंकुरित भी होने लगे हैं।
चमोली जिले के ज्यादातर क्षेत्रों में भोजपत्र के जंगल
भोजपत्र वैसे तो उच्च हिमालयी क्षेत्र में समुद्रतल से 4500 मीटर की ऊंचाई पर होता है चमोली जिले में देवाल, घाट, दशोली, जोशीमठ सहित उच्च हिमालयी क्षेत्रों में भोजपत्र के जंगल हैं। यह जंगल बिना संरक्षण के भी बढ़ता है। सितंबर, अक्टूबर व नंवबर माह में भोजपत्र के बीज स्वत: ही पेड़ से जड़कर वर्षा के पानी के साथ बहकर आस पास के क्षेत्र में फैलते हैं, जिससे जंगल स्वत: ही आगे बढ़ता है।
उच्च हिमालयी क्षेत्रों में आग से नुकसान की घटना भी कम होती है। ऐसे में भोजपत्र के संरक्षण को लेकर वन विभाग के अलावा प्रकृति भी करती है।
चमोली जिले में नीति माणा घाटी में उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बसे गांवों के आसपास खाली पड़ी भूमि में भोजपत्र का जंगल विकसित किए जाने की जरूरत हाल ही में सामने आई है।
भोजपत्र पर धार्मिक व अन्य संदेश लिखकर यात्री व पर्यटकों को बेचना शुरू
दरअसल क्षेत्र की महिलाओं ने भोजपत्र पर धार्मिक व अन्य संदेश लिखकर इसे यात्री पर्यटकों को बेचना शुरू किया तो देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पहल को मन की बात में सराहा ताकि सीमावर्ती लोगों के लिए सौगात के रुप में दुलर्भ चीजों को खरीदने की अपील की। इसका असर रहा कि भोजपत्र पर बनी आकृति व संदेश हाथों-हाथ बिकने लगी।
अब दिक्कत यह है कि बाजार की जरुरतों को पूरा करने के लिए भोजपत्र की मांग को कैसे पूरा किया जा सके इसके लिए ग्रामीणों ने नीति व मलारी घाटी में उच्च हिमालयी गांवों में खाली जमीन पर भोजपत्र का वन विकसित करने की मंशा जाहिर की है।
एक नर्सरी में एक हजार से अधिक बीज डाले गए भोजपत्र के बीज
जिला प्रशासन ने भी इसे रोजगार के दूरगामी अवसर मानते हुए इस प्रोजेक्ट को सरकारी मदद से आगे बढ़ाने का निर्णय लिया। खंड विकास कार्यालय में प्रथम चरण में भोजपत्र के जंगल विकसित करने के लिए तोलमा, द्रोणागिरी, कागा में 500 वर्ग मीटर में पौध तैयार करने के लिए नर्सरी लगाई गई है। एक नर्सरी में एक हजार से अधिक बीज डाले गए हैं।
भोजपत्र के लिए गांवों के आसपास वन बनाए जाने का प्रयास
ग्रामीणों ने वन पंचायत क्षेत्र में भोजपत्र के पौध भी रोपित किए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि भोजपत्र के लिए गांव के आसपास वन बनाए जाने का यह पहला प्रयास है। ग्रामीणों का कहना है कि द्रोणागिरी सहित अन्य गांवों में विभिन्न भूमि पर वन पंचायत ने भोजपत्र के पौध भी रोपित किए गए हैं। वनीकरण किए गए क्षेत्र में पौध की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी महिला मंगल दल व स्वंय सहायता समूहों की है।
भोजपत्र का अंग्रेजी नाम बैतूल यूटिल्स के नाम से जाना जाता है। यह उच्च हिमालयी क्षेत्रों में 4500 मीटर की ऊंचाई पर उगता है। इसकी छाल सफेद रंग की होती जिसका प्रयोग ग्रंथों को रचने में प्राचीन काल में किया गया था।
भोजपत्र पर लिखा हजारों सालों तक रहता है सुरक्षित
भोजपत्र की सबसे बड़ी खास बात तो यह है कि इस पर लिखा हुआ हजारों सालों तक सुरक्षित रहता है। भारत देश में अनेक ग्रंथ भोजपत्र पर ही लिखें गए थे। राजा महाराजा पहले अपने संदेशों को इन्हीं भोजपत्रों के माध्यम से पहुंचाते थे। कागज की खोज से पूर्व हमारे देश में लिखने का काम भोजपत्र पर किया जाता था। इसके अलावा भोजपत्र का इस्तेमाल कश्मीर में पार्सल को लपेटने के लिए भी किया जाता था।
दो बार दिया जा चुका है प्रशिक्षण
विकासखंड जोशीमठ में भोजपत्र पर आकृति व संदेश लिखकर आकर्षक पैकिंग कर इसे बेचने की व्यवसायिक विधा का प्रशिक्षण खंड विकास कार्यालय द्वारा दो बार का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। इसमें जोशीमठ विकासखंड के नीति, मलारी, माणा घाटी सहित निचले स्थानों की महिलांए भी शामिल हैं।
70 से अधिक महिलाएं काम शुरू कर स्वरोजगार की दिशा में बढ़ चुकी हैं आगे
70 से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षण मद से खंड विकास कार्यालय में 10 दिन का प्रशिक्षण देकर हाथ से कलाकृति के साथ आर्कषक संदेश देने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। महिलाएं यह काम शुरू कर स्वरोजगार की दिशा में भी आगे बढ़ चुकी है। अब तक बदरीनाथ , औली , हेमकुंड , फूलों की घाटी पर आए यात्रियों को भोजपत्र से बनी आकृतियों व संदेश को बेचकर महिलाएं पांच लाख से अधिक का कारोबार कर चुकी है।
क्या कहते हैं अधिकारी
मुख्य विकास अधिकारी डा. ललित नारायण मिश्र का कहना है कि महिलाओं को भोजपत्र पर कलाकृति के साथ संदेश लिखकर स्वरोजागर की दिशा में आगे बढा़ने का प्रयास जारी है। इसे व्यवसायी रुप दिए जाने के लिए भोजपत्र के जंगलों को गांवों के आस पास विकसित किए जाने को लेकर प्रशासन इस दिशा में नर्सरी व पौध रोपण के माध्यम से भोजपत्र का जंगल विकसित कर रहा है।
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भोजपत्र को स्वरोजगार से जोड़ने का प्रयास जारी
जोशीमठ के खंड विकास अधिकारी मोहन जोशी के अनुसार, भोजपत्र को स्वरोजागर से जोड़ने को लेकर लगातार प्रयास किया जा रहा है। महिलाओं का भोजपत्र पर आर्कषित कलाकृति व संदेश का खंड विकास कार्यालय जोशीमठ में अब तक दो बार 70 से अधिक महिलाओं को इसका प्रशिक्षण दिया गया है। इसको स्वरोजगार से और अधिक प्रभावी बनाए जाने को लेकर सितंबर अंतिम सप्ताह में एक्सपर्ट मास्टर ट्रेनरों को बुलाकर और भी बेहतर व अन्य कलाकृतियों व संदेशों को लेकर प्रशिक्षण दिया जाएगा।
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