Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Chamoli News: भालू के हमले में घायल ‘रामी’ की इस खौफनाक रात का कुछ ऐसे हुआ सवेरा

    By Devendra RawatEdited By: Sunil Negi
    Updated: Thu, 20 Nov 2025 11:08 PM (IST)

    चमोली जिले की रामेश्वरी देवी, जिन्हें भालू के हमले में मृत मान लिया गया था, अपनी जीवटता से कड़ाके की ठंड में जंगल में रात बिताकर बच गईं। चारापत्ती लेने गई रामेश्वरी पर भालू ने हमला किया, जिससे बचने के लिए वह खाई में गिर गईं। घायल अवस्था में पेड़ के सहारे अटकी रामेश्वरी को अगले दिन उनके बेटे ने खोज निकाला।

    Hero Image

    चमोली के पोखरी के पाव के जंगल में भालू के हमले सं गंभीर घायल रामेश्वरी देवी। वहीं, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पोखरी में घायल का उपचार करते चिकित्सक। जागरण

    देवेंद्र रावत, जागरण गोपेश्वर: जिस रामेश्वरी देवी को गांव के लोग भालू या गुलदार के हमले में मृत मान बैठे थे, वह अपनी जीवटता और जिजीविषा के बल पर घायल अवस्था में सारी रात कड़ाके की ठंड के बीच घने जंगल में बिताकर भी मौत के मुंह से निकल गईं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मंगलवार को वह अचेतावस्था में खाई में एक पेड़ के सहारे अटकी मिलीं और इतना ही बता सकीं कि भालू से लड़ते-लड़ते उन्होंने जान बचाने के लिए खाई की ओर दौड़ लगा दी थी। उनका एम्स ऋषिकेश में उपचार चल रहा है।

    Injured Woman

    चमोली जिले के पोखरी विकासखंड की ग्राम पाव निवासी 50-वर्षीय रामेश्वरी बुधवार सुबह चारापत्ती लेने के पास के जंगल में गई थीं। दोपहर बाद भी जब रामेश्वरी घर नहीं लौटीं तो चिंतित स्वजन ने पुलिस व वन विभाग की टीम के साथ उनकी ढूंढ-खोज शुरू की।

    कुछ ही दूर उनकी रस्सी, दरांती व दुपड्डा बरामद हुआ। वहां खून के धब्बे भी थे, जिससे लोग मान बैठे कि वह जंगल जानवर के हमले का शिकार हो गई हैं।

    हालांकि, अंधेरा घिर जाने के कारण खोज-बचाव टीम को वापस लौटना पड़ा। रामेश्वरी देवी के सबसे छोटे बेटे अजय ने बताया कि गुरुवार सुबह कुछ साथियों को लेकर उसने जंगल में मां की तलाश शुरू की।

    Hospital

    उसकी पुकार जब मां के कान में पड़ी तो वह भी जोर-जोर से पुकारने लगीं। कुछ दूरी पर गजे डुंग्रा तोक में चट्टान से लगे एक पेड़ के सहारे मां अटकी मिलीं। उनके चेहरे और शरीर पर गहरे जख्म थे।

    रामेश्वरी ने अजय को बताया कि घास काटते वक्त भालू ने उन पर अचानक हमला कर दिया। उन्होंने दरांती के सहारे बचने की कोशिश की, लेकिन असफल रहीं।

    इस बीच भालू उन्हें लहूलुहान कर घसीटते हुए ले जाने लगा, लेकिन न जाने कहां से उनमें ऐसी ताकत आई कि भालू के चंगुल से छूटकर उन्होंने खाई की ओर दौड़ लगा दी।

    Helicopter

    फिर वह बेहोश हो गईं। बताया कि कड़ाके की ठंड के चलते रात में जब उन्हें होश आया तो देखा कि खाई में पेड़ के सहारे अटकी हुई हैं। हालांकि, असहनीय पीड़ा के बावजूद वह खामोश रहीं, क्योंकि भालू के दोबारा आने का डर था।

    रामेश्वरी ने बताया कि सुबह बेटे की आवाज सुन उनकी जान में जान आई। उन्होंने भी चिल्लाना शुरू कर दिया, जिससे ग्रामीण उन्हें खाई से निकालने में सफल रहे।

    बताया कि जरा-सी चूक होने पर वह गहरी खाई में समा जातीं, लेकिन चट्टान से लगे पेड़ ने उनकी जान बचा ली।

    पोखरी क्षेत्र के जंगल में इन दिनों रात का तापमान शून्य से आठ डिग्री नीचे तक चला जा रहा है।ऐसी परिस्थितियों में रामेश्वरी ने हिम्मत नहीं हारी, इसके लिए लोग उनके हौसले की दाद दे रहे हैं।

    यह भी पढ़ें- चमोली के सागवाड़ा गांव में भालू ने खेत में घास काट रहे ग्रामीण को हमला कर किया घायल, लोगों के शोर मचाने पर भाग

    यह भी पढ़ें- चमोली में कार और बस की हुई भिड़ंत, 50 मीटर नीचे खाई में गिरा वाहन; दुर्घटना में आठ बराती हो गए घायल