Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    रैंणी आपदा में बह गया था झूला पुल, ट्राली के सहारे झूल रही 54 परिवारों की जिंदगी; अब पुल की स्वीकृति से जगी उम्मीद

    Updated: Sat, 15 Nov 2025 03:38 PM (IST)

    सीमांत ज्योतिर्मठ के जुवाग्वाड़ गांव में रैणी आपदा में झूला पुल बह जाने से ग्रामीण चार साल से ट्राली के सहारे जीवन यापन कर रहे हैं। 54 परिवारों की जिंदगी ट्राली पर निर्भर है, जिससे शादी-ब्याह और व्यापार प्रभावित हुआ है। ग्रामीणों की मांग पर सरकार ने 9.98 करोड़ रुपये की लागत से 120 मीटर झूला पुल बनाने की स्वीकृति दी है, जिससे ग्रामीणों में उम्मीद जगी है।

    Hero Image

    धौली गंगा पर ट्राली से आवाजाही करते जुआग्वाड़ के ग्रामीण ।जागरण 

    संवाद सहयोगी, जागरण, गोपेश्वर: चार सालों के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार सरकार ने सीमांत ज्योतिर्मठ के जुवाग्वाड़ के ग्रामीणों की सुध ले ली है। यहां पर रैणी आपदा में धौली गंगा में बना झूला पुल बहने से ग्रामीण ट्राली के सहारे आवाजाही कर रहे हैं। शादी ब्याह की खुशियों में भी सीमित मेहमानों को ही गांव बुलाया जाता था। मवेशियों खासतौर पर बकरियां, घोड़े-खच्चरों को ले जाने के लिए भी सुविधा नहीं थी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गौरतलब है कि वर्ष 2021 में रैंणी आपदा में जुवाग्वाड़ झूला पुल बह गया था, जिसे बनाने के लिए ग्रामीणों ने कई बार शासन प्रशासन से मांग की। लेकिन शासन–प्रशासन ने ग्रामीण की सुध नहीं ली। जिसके चलते जुवाग्वाड़ के 54 परिवारों की जिंदगी ट्राली के सहारे झूल रही है। पांच सालों से ग्रामीण विभाग व शासन प्रशासन के चक्कर काट रहे थे।

    लोक निर्माण विभाग ने नौ करोड़ रुपये झूला पुल निर्माण के लिए आंगणन सरकार को भेजा था, लेकिन बार-बार इसमें आपत्ति लगने के बाद वापस लौटा दिया। हालांकि अब 9.98 करोड़ की लागत से 120 मीटर स्पान पैदल झूला पुल निर्माण की मुख्यमंत्री द्वारा स्वीकृति मिलने से ग्रामीणों को झूला पुल निर्माण की उम्मीद जगी है। हालांकि अभी शासनादेश जारी होना बाकी है।

    ग्रामीणों का कहना है कि रैणी आपदा के दौरान गांव जाने का एक मात्र पैदल झूला पुल बह गया था। हालांकि तब सरकार ने ट्राली लगाकर गांव में आवाजाही सुचारु कराई थी। उनका कहना है कि यहां के अनुसूचित जनजाति के लोगों का मुख्य व्यवसाय भेड़ पालन, घोड़े-खच्चर सहित अन्य मवेशियों से ही चलता है।

    मवेशियों को ट्राली में उस पार ले जाना संभव नहीं था। ऐसे में ग्रामीणों का व्यापार पूरी तरह प्रभावित हो गया। शादी ब्याह को लेकर भी लोग उनके गांव लड़की देने के लिए कतरा रहे थे। सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि शादी ब्याह के उत्सव में इस गांव के लोग कम ही लोगों को बुला रहे थे। ट्राली में सीमित संख्या में आवाजाही संभव है। ऐसे में गांवों की दिनचर्या भी प्रभावित होकर रह गई थी।

    क्या कहते हैं जनप्रतिनिधि

    रैणी आपदा में जुवाग्वाड़ गांव को जोड़ने वाला एक मात्र झूल पुल बह गया था। ग्रामीण कई सालों से झूला पुल निर्माण के लिए शासन प्रशासन के चक्कर काट रहे थे। अब झूला पुल निर्माण की स्वीकृति मिलने से ग्रामीणों को पुल निर्माण की उम्मीद जगी है।
    आयुषी बुटोला, जिला पंचायत सदस्य

    क्या कहते हैं अधिकारी

    लोक निर्माण विभाग ने धौली गंगा में जुवाग्वाड़ के लिए 120 मीटर झूला पुल प्रस्तावित किया गया था। जिसकी स्वीकृति का शासनादेश आना बाकी है। जिसके बाद टेंडर प्रकिया के बाद निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा। वर्तमान में ग्रामीणों की आवाजाही ट्राली से की जा रही है।
    नवीन ध्यानी, अधिशासी अभियंता लोनिवि

    यह भी पढ़ें- टिहरी में ग्रामीणों ने बीमार युवक को स्ट्रेचर पर लिटाया, साढ़े तीन किलोमीर पैदल चलकर पहुंचाया मुख्य सड़क तक

    यह भी पढ़ें- टिहरी के इस कलाकार ने प्रभु श्रीराम की सेवा में गुजारा पूरा जीवन, अंत में रामलीला के मंच से कह गए राम-राम