टिहरी के इस कलाकार ने प्रभु श्रीराम की सेवा में गुजारा पूरा जीवन, अंत में रामलीला के मंच से कह गए राम-राम
टिहरी गढ़वाल जिले के एक हास्य कलाकार कमल चंद रमोला की मंचन के दौरान तबीय खराब हो गई। जिस पर ग्रामीण उन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) चौंड ले गए, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। डाक्टरों ने बताया कि उनकी हृदयगति रूकने से मृत्य हुई। वहीं, ग्रामीणों ने बताया कि कमल चंद रमोला जीवन भी प्रभु श्रीराम की सेवा में जुटे रहे और अंत समय में रामलीला के मंच से राम-राम कह गए।

टिहरी जिले के प्रतापनगर क्षेत्र के रमोल गांव ओण निवासी कमल चंद रमोला।
जागरण संवाददाता, नई टिहरी: टिहरी जिले के प्रतापनगर क्षेत्र के रमोल गांव ओण निवासी कमल चंद रमोला जीवन भी प्रभु श्रीराम की सेवा में जुटे रहे और उनके आदर्शों पर चलने के लिए समाज में प्रचार-प्रसार करते रहे। अपने जीवन के अंत समय में भी वह प्रभु श्रीराम का नाम जपते हुए रामलीला के मंच से ही दुनिया को राम-राम का गए।
बीते गुरुवार की रात को प्रतापनगर ब्लाक के रमोल गांव ओण में रामलीला का मंचन चल रहा था। इस दौरान रमोल गांव ओण निवासी 74 वर्षीय हास्य कलाकार कमल चंद रमोला का रामलीला के मंच से अपनी प्रस्तुति देकर पर्दे के पीछे गए ही थे, तभी बैठते ही अचानक वह अचेत होकर गिर गए।
जिस पर ग्रामीण उन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) चौंड ले गए, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। डाक्टरों ने बताया कि उनकी हृदयगति रूकने से मृत्य हुई। शुक्रवार को बिल्यारा घाट पर नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दी गई। वहीं, शुक्रवार को रामलीला का मंचन स्थगित किया गया और उन्हें श्रद्धांजलि की गई।
रमोल गांव रामलीला समिति के निर्देशक बरफ चंद रमोला ने बताया कि रामलीला के हास्य कलाकार कमल चंद रमोला अपने पूरे जीवनभर प्रभु श्रीराम की सेवा में डटे रहे। करीब 34 वर्षों के अपने अनुभव के चलते वह रामलीला के मंच पर बीच-बीच में प्रस्तुति देकर लोगों को गुदगुदाया करते थे। उनको रमोल गांव के अलावा अन्य गांव में होने वाली रामलीलाओं में भी विशेष रूप से आमंत्रित किया जाता था। रामलीला में कई दर्शक केवल उनकी हास्य कलाकारी को ही देखने पहुंचते थे।
कमल चंद रमोला रामलीला के साथ सामाजिक जीवन में भी बेहद लोकप्रिय थे। वह समाज के प्रत्येक व्यक्ति को साथ लेकर चलते हुए सभी से कुशल व्यवहार और हंसी-खुशी जीवन व्यतीत करते थे। गांव में ही खेती किसानी करने वाले कमल चंद रमोला एक पांव में कमजोरी के कारण दिव्यांग भी थे। लेकिन उन्होंने अपनी इस कमजोरी को कभी हावी नहीं होने दिया। वह अपनी अदाकारी व कलाकारी से लोगों के दिलों में राज करते रहे हैं।
कमल चंद अपने पीछे पत्नी, दो बेटे और तीन बेटियों को छोड़ गए हैं। उनकी मृत्यु से पूरा गांव स्तब्ध है। रामलीला मंच ने केवल एक कलाकार ही नहीं, बल्कि समाज की प्रेरणा स्रोत को खो दिया है। रामलीला मंच के सभी सदस्य सदैव उनके आभारी रहेंगे।

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