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    Chamoli News: पीएम के भाई पंकज मोदी ने बदरीनाथ धाम में किए दर्शन, महाभिषेक पूजा में भी होंगे शामिल

    Updated: Tue, 12 Nov 2024 08:22 PM (IST)

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाई पंकज मोदी मंगलवार को चमोली पहुंचे। यहां पर उन्होंने बदरीनाथ धाम में दर्शन पूजन किए। आपको बता दें कि पंकज मोदी बुधवार सुबह यानी कि 13 नवंबर को भगवान बदरी विशाल की महाभिषेक पूजा में भी शामिल होंगे। इस दौरान उन्हें बीकेटीसी के सीईओ विजय प्रसाद थपलियाल ने अंगवस्त्र व स्मृति चिह्न भी भेंट किया।

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    पंकज मोदी को बीकेटीसी के सीईओ विजय प्रसाद थपलियाल ने अंगवस्त्र व स्मृति चिह्न भेंट किया। (तस्वीर जागरण)

    संवाद सहयोगी, गोपेश्वर (हल्द्वानी)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाई पंकज मोदी ने मंगलवार को भगवान बदरी विशाल के दर्शन कर पूजा-अर्चना की। साथ ही शाम की पूजा में शामिल हुए। पंकज मोदी बुधवार सुबह भगवान बदरी विशाल की महाभिषेक पूजा में भी शामिल होंगे।

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    बुधवार को बदरी विशाल की महाभिषेक पूजा होगी

    मंगलवार को पंकज मोदी दोपहर बाद बदरीनाथ धाम पहुंचे। श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल ने पंकज मोदी और दर्शन को पहुंचे और अन्य अतिथियों को भगवान बदरीविशाल का प्रसाद भेंट किया। इसके साथ ही अंगवस्त्र से सम्मानित किया। वहीं, मंगलवार को श्री बदरीनाथ धाम में हरिबोधनी एकादशी के अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना संपन्न हुई।

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    इस मौके पर ये लोग रहे मौजूद

    इस अवसर पर श्री बदरीनाथ धाम प्रभारी अधिकारी विपिन तिवारी, धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल, मंदिर अधिकारी राजेंद्र चौहान, वेदपाठी रविंद्र भट्ट, थाना प्रभारी नवनीत भंडारी, प्रशासनिक अधिकारी कुलदीप भट्ट, राजेंद्र सेमवाल,अवर अभियंता गिरीश रावत, जगमोहन बर्त्वाल, संतोष तिवारी,मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़, योगंबर नेगी, अजीत भंडारी, विकास सनवाल, सत्येन्द्र झिंक्वाण, हरीश जोशी आदि मौजूद रहे।

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    बागेश्वर। जिले में बूढ़ी दीपावली का पर्व धूमधाम से मनाया गया। दरअसल, भगवान राम के 14 वर्ष बाद वनवास पूर्ण कर अयोध्या पहुंचने की खुशी में दीप प्रज्जवलित कर दीपावली मनाई जाती है। पहाड़ों में उनके आगमन की सूचना 11 दिन बाद यानि देवोत्थान एकादशी को पहुंची। तब से अभी तक लोग पूरी आस्था के साथ बूढ़ी दीपावली उत्सव मनाते हैं।

    जानें इस परंपरा का महत्व

    पंडित मोहन चंद्र लोहनी ने बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम के अयोध्या आगमन के साथ, भगवान विष्णु तथा लक्ष्मी से जुड़ी किवंदती भी है। ऐसी मान्यता है कि अमावस्या के दिन लक्ष्मी जागृत होती है, इसलिए बग्वाल को लक्ष्मी पूजन किया जाता है। वहीं, हरिबोधिनी एकादशी पर श्रीहरि शयनावस्था से जागृत होते हैं, इसलिए इस दिन विष्णु की पूजा का विधान है। जिस तरह देश के विभिन्न क्षेत्रों में कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी से शुरू होकर गुरु पर्व (कार्तिक पूर्णिमा) तक दीपावली का त्योहार मनाया जाता है।

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