जश्न के बाद गैरसैंण को बना दिया गैर, पांचवें दिन भी कम रही सत्तापक्ष के विधायकों की मौजूदगी
गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने का मास्टर स्ट्रोक। एतिहासिक घोषणा के अगले 36 घंटे तक होली-दिवाली से लेकर भरपूर जश्न मना। पर फिर उसके बाद गैरसैंण गैर रह गया।
गैरसैंण(चमोली), राज्य ब्यूरो। बुधवार को बजट पेश होने के तुरंत बाद गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने का मास्टर स्ट्रोक। एतिहासिक घोषणा के अगले 36 घंटे तक होली-दिवाली से लेकर भरपूर जश्न। फिर 48 घंटे के भीतर ही अधिकांश मंत्री और सत्तापक्ष के विधायक गैरहाजिर। शुक्रवार से एक मंत्री के भरोसे सदन चला रही सरकार ने शनिवार को भी शिद्दत से यह औपचारिकता निभाई। पांचवें दिन शनिवार को विधानसभा सत्र महज तीन घंटे चला तो भी प्रचंड बहुमत वाली सरकार के एक तिहाई विधायक ही सदन में मौजूद रहे। हालांकि विपक्ष सत्र स्थगित होने से पहले तक अपनी पूरी क्षमता के साथ बैंच स्ट्रेंथ दिखाकर सरकार को बैकफुट पर करने में कामयाब रहा। बजट सत्र 25 मार्च से 27 मार्च तक गैरसैंण में फिर चलेगा।
पहाड़ का पानी और जवानी को लेकर अक्सर चिंतित रहने वाले मंत्री समेत तमाम विधायकों को बजट सत्र ने आइना दिखा दिया। गैंरसैंण में तीन मार्च से शुरू हुए विधानसभा सत्र में सत्तापक्ष के 57 विधायकों में से 40 से कम विधायक मौजूद रहे। गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने के महज 48 घंटे के भीतर ही अधिकांश मंत्रियों समेत सत्तापक्ष के विधायकों को गैरसैंण में रुकना गवारा नहीं हुआ। ये हाल तब है, जब पूरी सरकार और विधायकों ने इस घोषणा के बाद होली-दिवाली के साथ जश्न मनाया।
इसके बाद सत्तापक्ष के महज इतने ही विधायक बचे, जिससे बीते शुक्रवार को बामुश्किल विधानसभा का कोरम पूरा हो सका। पांचवें दिन शनिवार को विधानसभा सत्र महज पौने तीन घंटे चला, लेकिन सदन में सिर्फ संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक मौजूद रहे। शुक्रवार को सत्तापक्ष के विधायकों की कम मौजूदगी देखते हुए शनिवार को विधानसभा सत्र की कार्यवाही शुरू होने के साथ ही सत्तापक्ष के विधायकों की गिनती कराई गई। सत्तापक्ष के 17 विधायक ही सदन में मौजूद रहे।
मंत्रियों और सत्तापक्ष के विधायकों के गायब होने का मुद्दा सदन में भी गरमाया। नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने शनिवार को सदन के भीतर और बाहर इस मुद्दे पर सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि विधानसभा सत्र चलाने की जिम्मेदारी सरकार की है, लेकिन नेता सदन समेत तमाम मंत्री सदन में गैरहाजिर हैं। एकमात्र मंत्री ही सरकार की ओर से कामकाज चला रहे हैं। यह संसदीय परंपरा का उल्लंघन है।
गैरसैंण पर सरकार की घोषणा की असलियत जाहिर हो गई। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने सदन में सत्तापक्ष की कम उपस्थिति पर यह कहते हुए निशाना साधा कि सरकार की कथनी और करनी में अंतर जाहिर हो गया है। उपनेता प्रतिपक्ष करन माहरा ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष को विधायकों की गिनती करानी पड़े, इससे ज्यादा चिंताजनक बात कोई नहीं हो सकती।
नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश का कहना है कि बजट सत्र में सत्तापक्ष के मंत्री-विधायक जिस तरह गायब रहे, उससे गैरसैंण पर सरकार का रुख जाहिर हो गया है। सरकार अपनी जवाबदेही से बच नहीं सकती।
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विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा, कि सत्तापक्ष के सभी विधायकों को सदन में मौजूद रहना चाहिए, गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने की खुशी में विधायकों के अपने क्षेत्रों में होने की जानकारी मिली है, लेकिन सदन से गायब रहना अच्छा नहीं है। आगे सत्र में सभी विधायकों को मौजूद रहने को कहा गया है।
संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने बताया कि विधानसभा सत्र के दौरान सत्तापक्ष के 35-40 विधायक मौजूद रहे। बर्फबारी के कारण कुछ विधायक नहीं पहुंच पाए। सरकार मौजूद नहीं रहने का विपक्ष का आरोप सही नहीं है, सदन में विपक्ष के सभी सवालों के जवाब दिए गए हैं।
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