गरमाया नए शंकराचार्य का विवाद: अविमुक्तेश्वरानंद को नहीं करने दिए अन्नपूर्णा मंदिर में दर्शन, बाहर से लौटे
New Shankaracharya Controversy ज्योतिष्पीठ (जोशीमठ) के नए शंकराचार्य को लेकर विवाद गरमाया हुआ है। सोमवार को स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती अन्नपूर्णा मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचे लेकिन उन्हें मंदिर में दर्शन नहीं करने दिए गए। वह बाहर से ही लौट गए।

टीम जागरण, चमोली : New Shankaracharya Controversy : ज्योतिष्पीठ (जोशीमठ) के नए शंकराचार्य को लेकर विवाद गरमाया हुआ है। ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती महाराज के शिष्य अविमुक्तेश्वरानंद और वासुदेवानंद के बीच गद्दी को लेकर विवाद और बढ़ गया।
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई है पट्टाभिषेक पर रोक
बता दें कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद वर्तमान में उत्तराखंड के चमोली जिले में हैं। यहां ज्योतिष्पीठ में उनका नए शंकराचार्य के रूप में पट्टाभिषेक का कार्यक्रम होना था, लेकिन उससे पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी। जिसके बाद से यह विवाद गरमाया हुआ है।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद हो नहीं करने दिए अन्नपूर्णा मंदिर में दर्शन
सोमवार को स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती अन्नपूर्णा मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचे, लेकिन उन्हें मंदिर में दर्शन नहीं करने दिए गए। इस दौरान मंदिर का दरवाजा बंद था और वासुदेवानंद सरस्वती के मठ के पुजारी पुजारी ऋषि प्रसाद सती ने मंदिर का दरवाजा नहीं खोला। जिसके बाद स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती बाहर से ही हाथ जोड़कर वापस लौट गए।
सम्मेलन में शामिल होने पहुंचे शंकराचार्य और संत
वहीं आज सोमवार को जोशीमठ के रविग्राम स्थित जेपी मैदान में संत सम्मेलन है। इसके तहत सोमवार को संत यात्रा निकाली गई। पारम्परिक वस्त्रों में महिलाओं द्वारा कलश यात्रा निकाली गई।
यात्रा के आगे सेना अपनी धुनों में संतों का अभिनंदन करते हुए रविग्राम गैस गोदाम पहुंची। जहां से संत संत सम्मेलन में पहुंचे।
उधर, जोशीमठ के रविग्राम स्थित खेल मैदान में आयोजित कार्यक्रम में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि ज्योतिष्पीठ को लेकर चले आ रहे विवाद से उत्तराखंड समेत देश व विश्व में धर्म की हानि हुई है।
कहा कि उत्तराखंड में ऐसे गुरुकुलम की भी स्थापना होगी, जहां दस हजार बच्चे शिक्षा ग्रहण कर सकें। स्वामी विधु शेखर भारती ने कहा कि देश में धर्म की पताका फहराने के लिए यह सम्मेलन महत्वपूर्ण साबित होगा।
स्वामी सदानंद सरस्वती ने कहा कि ज्योतिष्पीठ में आदि शंकराचार्य ने तप किया था और कई ग्रंथों की रचना भी की। यह स्थान अपने आप में दिव्य है।
कार्यक्रम में काशी विद्वत परिषद के कोषाध्यक्ष कामेश्वरनाथ मिश्र, भारत धर्म महामंडल के सदस्य, साधु संत व 151 दंडी संन्यासी शामिल हुए। इससे पूर्व, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद, स्वामी विधु शेखर भारती व स्वामी सदानंद सरस्वती ने नृसिंह मंदिर पहुंचकर भगवान नृसिंह की पूजा-अर्चना की।
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रविवार को केदारनाथ पहुंचे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती
वहीं इससे पहले रविवार को स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती व ऋृंगेरी शारदा पीठाधीश्वर के जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी विधुशेखर महाराज ने हैलीकॉप्टर से केदारनाथ जाकर पूजा अर्चना की। सदानंद सरस्वती को भी जाना था लेकिन उनके पैर पर मौच आने के कारण वे केदरनाथ नहीं जा पाए।
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