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पांडुकेश्वर के योग-ध्यान मंदिर पहुंची गाडूघड़ा यात्रा, सोमवार को उद्धव और कुबेर उत्‍सव डोली के साथ पहुंचेगी बदरीधाम

आदिगुरु शंकराचार्य की गद्दी के साथ गाडूघड़ा (ति‍ल के तेल का कलश) यात्रा बद्रीनाथ के मुख्य पुजारी रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी के नेतृत्व में रविवार को पांडुकेश्वर के योग-ध्यान मंदिर पहुंची। इस दौरान कोविड नियमों का पालन करते हुए स्थानीय श्रद्धालुओं ने पूजा अर्चना की।

By Sumit KumarEdited By: Published: Sun, 16 May 2021 02:58 PM (IST)Updated: Sun, 16 May 2021 03:10 PM (IST)
पांडुकेश्वर के योग-ध्यान मंदिर पहुंची गाडूघड़ा यात्रा, सोमवार को उद्धव और कुबेर उत्‍सव डोली के साथ पहुंचेगी बदरीधाम
आदिगुरु शंकराचार्य की गद्दी के साथ गाडूगड़ा (ति‍ल के तेल का कलश) यात्रा पांडुकेश्वर के योग-ध्यान मंदिर पहुंची।

संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: शीतकालीन प्रवास गोपीनाथ मंदिर से चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ की डोली रविवार को विधिवत पूजा-अर्चना के बाद रुद्रनाथ के लिए रवाना हो गई है। इस दौरान मंदिर परिसर में सीमित संख्या में भक्तों ने भगवान रूद्रनाथ की पूजा अर्चना की । अब पांच माह तक भगवान रूद्रनाथ की पूजा रुद्रनाथ धाम में ही होगी। 

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3600 मीटर की ऊंचाई पर हिमालय के मखमली बुग्यालों के बीच स्थित पंच केदार में शामिल भगवान रुद्रनाथ का मंदिर एक गुफा आकार का है, यही पर भारत वर्ष में भोलेनाथ के मुख की पूजा होती है। इस वर्ष भगवान रुद्रनाथ की पूजा का जिम्मा पंडित धर्मेंद्र तिवारी को सौंपा गया है। रविवार को रुद्रनाथ की उत्सव डोली गोपेश्वर के गोपीनाथ मंदिर से चलकर सगर गंगोलगांव होते हुए पनार बुग्याल पहुंची, जहां पर इस यात्रा का पड़ाव है। सोमवार को तड़के चलकर ब्रह्ममुहुर्त में पांच बजे मंदिर के कपाट खुलने हैं। 

रविवार को गोपीनाथ मंदिर परिसर में सुबह से ही रुद्रनाथ भगवान की पूजा-अर्चना शुरू हो गई थी। सुबह आठ बजे आभूषणों व फूलों से सजी चतुर्थ केदार रुद्रनाथ की उत्सव डोली पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ कैलाश के लिए रवाना हुई। कोरोना महामारी की चलते पुजारी सहित मात्र 20 श्रद्घालुओं को डोली के साथ जाने की अनुमति प्रशासन की ओर से दी गई है। 

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इस दौरान भक्तगण मास्क पहनकर शारीरिक दूरी मानकों का पालन कर यात्रा में शामिल हुए। रुद्रनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तगण लगभग 24 किलोमीटर की कठिन पैदल यात्रा करते हैं। रुद्रनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तगण पुंग, ल्वींठी, पनार और पित्रधार जैसे सुरम्य बुग्यालों से होकर गुजरते हैं।

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