जिस वक्त अयोध्या राम मंदिर में फहराया ध्वज, उसी समय बंद हुए बदरीनाथ धाम के कपाट; अद्भुत संयोग
बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ ही चारधाम यात्रा समाप्त हो गई। कपाट बंद होने के दौरान श्रद्धालुओं में नारायण से बिछुड़ने की पीड़ा थी। इस वर्ष मुकेश अंबानी, रजनीकांत जैसे कई विशिष्ट व्यक्तियों ने यात्रा की। कपाट बंद होने के मुहूर्त में अयोध्या में राम मंदिर में ध्वज फहराया गया। शीतकाल में 20 साधुओं ने तपस्या के लिए अनुमति मांगी है, जहाँ सुरक्षाकर्मी तैनात रहेंगे और साधुओं के लिए आवश्यक सामग्री उपलब्ध होगी।

चारधाम यात्रा का विधिवत्त समापन। आर्काइव
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर। भूबैंकुंठ बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ ही चारधाम यात्रा का विधिवत्त समापन हो गया है। इसी के साथ यात्रा मार्गों पर भी चहल पहल भी कम हो गई है। बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के दौरान श्रद्धालुओं में नारायण से बिछुड़ने की पीड़ा चेहरे पर साफ झलक रही थी। श्रद्धालुओं के साथ स्थानीय कारोबारी, पंडा पुजारी भी इन क्षणों के दौरान भावुक नजर आए ।
इस साल बदरीनाथ यात्रा के दौरान देश के अलग अलग हिस्सों से नामी गरामी उद्योगपति मुकेश अंबानी, फिल्म अभिनेता रजनीकांत , उत्तराखंड के राज्यपाल सेवानिवृत्त लेफ्टिनेट गुरमीत सिंह, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ,झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन , दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता सहित अन्य लोगों ने यात्रा की। कपाट बंद होने के कार्यक्रम को लेकर देश दुनिया के श्रद्धालुओं में उत्साह रहता है। वैसे भी मंगलवार को बदरीनाथ के कपाट बंद होने केे मूर्हत में अयोध्या में राममंदिर में ध्वज फहराया गया।
नोर्थ वेस्ट दिल्ली के अमित सेठी का कहना है कि बदरीनाथ धाम में नारायण के दर्शनों की अभिलाषा तो हमेशा ही बनी रहती है। कहना है कि इस धाम में बार बार आने का मन करता है। नारायण से बिछुडने का गम भी सताता है।
मुलुंड वेस्ट मुंबई के रहने वाले हार्दिक हरीश जोशी का कहना है कि बदरीनाथ धाम भूमि पर साक्षात बैकुंठ धाम है। इस धाम में नारायण के दर्शनों मात्र से व्यक्ति की सारी अभिलाषाएं पूरी हो जाती है। कहा कि कपाट बंद होने के क्षण बेहद ही भावुक करने वाले हैं। यह भक्त का भगवान से बिछुडने का समय है जो हर भक्त को दुख देता है।
कोलकाता के बिजन कुमार चौधरी नारायण से बिछुडने के क्षणों को याद करते हुए भावुक हो जाते हैं और कहते हैं कि भक्त और भगवान के बीच तो दिल का रिश्ता होता है।
20 साधुओं ने तपस्या के लिए मांगी है अनुमति
बदरीनाथ धाम में शीतकाल में देव पूजा का प्रावधान है। मान्यता है कि शीतकाल में देवता नारायण की पूजा करते हैं। उनकी और से देवऋषि नारद मुख्य पुजारी की भूमिका निभाते हैं। लेकिन कम लोग ही जानते हैं कि कपाट बंद होने के बाद भी बदरीनाथ धाम में साधु संत गुफाओं , आश्रमों में रहकर नारायण की तपस्या करते हैं। इस बार भी 20 साधु संतों ने बदरीनाथ धाम में तप करने के लिए अनुमति मांगी है।
साधु संतों का पुलिस सत्यापन के बाद तहसील प्रशासन से अनुमति होती है। बदरीनाथ धाम में सुरक्षा में भी शीतकाल में सुरक्षा कर्मी तैनात रहते हैं। बर्फ पड़ने के बाद बदरीनाथ की आवाजाही पूरी तरह से बाधित हो जाती है। साुध संतों के पास शीतकाल के लिए राशन दवाईयां उपलब्ध होती है। बदरीनाथ धाम में वर्षों से शीतकाल में भी रह रहे अमृतानंद बाबा बर्फानी का कहना है कि शीतकाल में तप करने का आनंद ही कुछ और है। कहा कि जब बदरीनाथ धाम में कडाके की ठंड में भी पंछी भी पलायन कर लेते हैं तब एकांत में नारायण का नाम जपने को साधु धन्य मानता है।

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