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    धर्माधिकारी का सपा महासचिव मौर्य के बदरीनाथ धाम संबंधी बयान पर फूटा गुस्सा, कहा- ऐसे लोगों पर हो ठोस कार्रवाई

    By Devendra rawatEdited By: riya.pandey
    Updated: Thu, 27 Jul 2023 09:26 PM (IST)

    बदरीनाथ के धर्माधिकारी पं. थपलियाल ने कहा कि शास्त्रों का ज्ञान न रखने वाले कुछ व्यक्ति बिना प्रमाण के ही अनर्गल बयानबाजी कर हिंदू देवी-देवताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी करते हैं जो दुर्भाग्यपूर्ण ही नहीं घोर आपत्तिजनक भी है। ऐसे व्यक्तियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि भविष्य में भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने का दुस्साहस न कर सकें।

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    धर्माधिकारी का सपा महासचिव मौर्य के बदरीनाथ धाम संबंधी बयान पर फूटा गुस्सा

    संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: समाजवादी पार्टी के महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य के बदरीनाथ धाम को बौद्ध धर्मस्थल बताने संबंधी बयान से संतों में आक्रोश है। बदरीनाथ धाम के धर्माधिकारी पं. राधाकृष्ण थपलियाल ने इस बयान पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि अनादिकाल से बदरीनाथ धाम हिंदू आस्था को केंद्र रहा है।

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    वहीं, धर्मनगरी हरिद्वार के संतों का कहना है कि राजनीति में हाशिए पर पहुंच चुके मौर्य स्वयं को चर्चा में लाने के लिए इस तरह का सनातन विरोधी बयान दे रहे हैं। यह उनके दिमागी दिवालियापन की निशानी है।

    बदरीनाथ धाम में पुरातन से विद्यमान है भगवान विष्णु

    बदरीनाथ के धर्माधिकारी पं. थपलियाल के अनुसार ‘स्कंद पुराण’ में उल्लेख है कि बदरीनाथ धाम में भगवान विष्णु पुरातन से विद्यमान हैं। इसलिए यह स्थान बदरिकाश्रम नाम से विख्यात है। भक्त यहां समस्त वासनाओं का त्याग कर भगवान नारायण के दर्शन को आते हैं और उनकी हर अभिलाषा पूर्ण भी होती है।

    पं. थपलियाल ने कहा कि भगवान अनेक अवतार लेते हैं और अवतार का उद्देश्य फलीभूत होने के बाद वह अपने धाम को चले जाते हैं। लेकिन, बदरिकाश्रम क्षेत्र में भगवान सदा से और सर्वत्र विद्यमान हैं। कहा कि ‘स्कंद पुराण’ में बदरिकाश्रम क्षेत्र को मुक्तिप्रदा कहा गया है। सतयुग में यही इस क्षेत्र का नाम था। त्रेता युग में भगवान नारायण के इस क्षेत्र को योग सिद्ध कहा गया। द्वापर युग में भगवान के प्रत्यक्ष दर्शन के कारण इसे मणिभद्र आश्रम या विशाला तीर्थ कहा गया। जबकि कलयुग में इसे बदरिकाश्रम अथवा बदरीनाथ कहा जाता है।

    बिना प्रमाण के हिंदू देवी-देवताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी- धर्माधिकारी

    धर्माधिकारी ने कहा कि शास्त्रों का ज्ञान न रखने वाले कुछ व्यक्ति बिना प्रमाण के ही अनर्गल बयानबाजी कर हिंदू देवी-देवताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी करते हैं, जो दुर्भाग्यपूर्ण ही नहीं, घोर आपत्तिजनक भी है। ऐसे व्यक्तियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि भविष्य में भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने का दुस्साहस न कर सकें।

    संत बोले- अपने बयान के लिए माफी मांगें मौर्य

    स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर कड़ी आपत्ति जताते हुए भूमापीठाधीश्वर स्वामी अच्युतानंद तीर्थ ने कहा कि यह मौर्य का अल्प ज्ञान है। विष्णु पुराण में उल्लेख है कि बदरीनाथ धाम नर-नारायण का स्थान है। महाभारत में भी इसका उल्लेख है। इससे साबित होता है कि सनातन काल से ही यह स्थान हिंदू धर्मस्थल रहा है। बदरिकाश्रम क्षेत्र में अन्य किसी का प्रवेश वर्जित रहा है, ऐसे में उसे बौद्ध धर्मस्थल बताना सरासर गलत है।

    खुद को चर्चा में लाने के लिए ऐसी बयानबाजी- पुरी

    श्रीपंचायती अखाड़ा निरंजनी के सचिव श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने कहा कि अपनी दल-बदलू और मौकापरस्त नीति के कारण मौर्य राजनीति में हाशिए पर पहुंच चुके हैं। इसलिए स्वयं को चर्चा में लाने के लिए वह यह सब कर रहे हैं। उनकी बेसिर-पैर की बातों पर ध्यान नहीं देने की जरूरत नहीं है।

    प्राचीन अवधूत मंडल के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश ने कहा कि कुछ लोगों ने सनातन धर्म को भला-बुरा कहकर स्वयं को चर्चाओं में लाने का रास्ता बना लिया है। उनके कहने से कोई यह मानने वाला नहीं कि बदरीनाथ धाम कभी बौद्धस्थल हुआ करता था। श्रीमहंत रामरतन गिरि ने कहा कि मौर्य को कभी ज्ञान नहीं रहा। अगर उन्होंने इस बयान के लिए क्षमा नहीं मांगी तो उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।