उत्तराखंड में चीन सीमा के करीब पहुंची सड़क, भारत के लिए क्यों है महत्वपूर्ण; ड्रैगन सेना कई बार कर चुकी है घुसपैठ की कोशिश
भारत-चीन सीमा पर बीआरओ ने सुमना-लपथल से टोपीडुंगा तक सड़क कटिंग का काम पूरा किया। चीनी सेना की घुसपैठ के कारण इस घाटी तक सड़क का पहुंचना सामरिक रूप से महत्वपूर्ण है। चमोली जिले में 69.69 किमी सड़क का कटिंग कार्य पूरा हुआ। पहले इस क्षेत्र में पैदल आवाजाही होती थी। चीनी सेना कई बार यहां घुसपैठ कर चुकी है।

टोपीडुंगा में सड़क निर्माण में लगी मशीनें । साभार बीआरओ
=संवाद सहयोगी, गोपेश्वर। भारत-चीन सीमा पर सड़क सुविधाएं लगातार बढ़ रही हैं। इसी कड़ी में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने अब सुमना-लपथल सीमा चौकी से आगे टोपीडुंगा तक सड़क कटिंग का कार्य पूरा कर दिया है। चीनी सेना के बढ़ते दखल के कारण इस घाटी तक सड़क पहुंचना काफी महत्वपूर्ण है। लपथल सीमा क्षेत्र में चीनी सेना की ओर से कई बार भारतीय सीमा में घुसपैठ की घटनाएं सामने आ चुकी हैं।
सीमा सड़क संगठन ने चमोली जिले के चीन सीमा से लगे क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए सुमना-लपथल-टोपीडुंगा तक 69.69 किमी सड़क का कटिंग कार्य सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है।
अब तक सुमना सीमा चौकी तक ही सड़क थी। ज्योतिर्मठ-मलारी-नीती हाईवे पर मलारी से सुमना के लिए अलग सड़क कटती है। प्रथम चरण में सड़क पर कटिंग कार्य कर टोपीडुंगा तक वाहन पहुंचाया गया है।

बीआरओ के कमांडर कर्नल अंकुर महाजन ने बताया कि चार साल से इस सड़क का कटिंग कार्य चल रहा था। कटिंग के बाद अब डामरीकरण समेत अन्य कार्य किए जा रहे हैं।
इस सीमा क्षेत्र में अब तक पैदल ही आवाजाही होती थी। सुमना जाने के लिए नीती घाटी के मलारी से सुमना के लिए सड़क जाती है। मलारी से आगे जाने के लिए इनर लाइन परमिट जरूरी है। विदित हो कि लपथल घाटी क्षेत्र एक दौर में भारत-तिब्बत के बीच व्यापार का प्रमुख केंद्र रहा है। इस क्षेत्र में चीनी सेना कई बार पैदल और हेलीकाप्टर से घुसपैठ कर चुकी है। चीनी सेना कई बार यहां चरवाहों के टेंट तक उखड़ चुकी है।

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