एकता के सपनों की उड़ान, अपनी लगन से हर मुश्किल को बनाती है आसान
अंतर्राष्ट्रीय महिला क्रिकेटर एकता बिष्ट मेहनत करें और आगे बढ़ते जाएं को अपना विजय मंत्र बना चुकी हैं और इसी मंत्र के साथ वह जीत की रणनीति बनाती हैं।
रानीखेत,[दीप सिंह बोरा]: देश के लिए मैच जीत लेने की अदम्य इच्छाशक्ति के साथ मैदान पर उतरती हैं क्रिकेटर एकता बिष्ट। बाएं हाथ की यह धुरंधर खिलाड़ी मजबूत विपक्षी टीम की हर रणनीति को असफल बना देती है। मेहनत करें और आगे बढ़ जाएं को अपना विजय मंत्र बना चुकी हैं एकता।
महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप में पाकिस्तान के खिलाफ पांच विकेट लेकर क्रिकेटर एकता बिष्ट ने न सिर्फ विपक्षी टीम को परास्त करने में बड़ी भूमिका निभाई थी, बल्कि अपने शानदार परफॉर्मेंस से देश के सभी लोगों का दिल भी जीता। अल्मोड़ा की एकता ने जीवन और करियर की हर चुनौतियों का डटकर मुकाबला किया तथा महिला क्रिकेट टीम में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई। असफलताओं से वह कभी हतोत्साहित नहीं हुईं और पहले से बेहतर करें, मेहनत करें और आगे बढ़ जाएं वाक्य को उन्होंने जीवन का मूल मंत्र
बना लिया है।
गुरु ने बनाया मजबूत
एकता का कहना है कि वह जब भी भारतीय टीम की ओर से खेलती हैं तो उनका एकमात्र लक्ष्य सर्वोत्तम प्रदर्शन कर जीत हासिल करना होता है। दरअसल, मजबूत इरादों के बीज गुरु और कोच लियाकत ने उनमें बोया है। एकता कहती हैं कि उन्होंने बचपन में ही क्रिकेट का बल्ला थाम लिया और गलियों में लड़कों के साथ खेलने लगी। घर के पास एक हुक्का क्लब था, जिसके छोटे से मैदान में शुरुआती दिनों में वह खेला करती थी। काफी दिनों तक उन्हें यह पता ही नहीं था कि लड़कियों की भी क्रिकेट टीम होती है। बड़ी हुई तो देश के लिए खेलने की ललक जागी। फिर उसी हिसाब से अभ्यास करने लगी और भारतीय टीम में शामिल होने का सपना साकार हुआ। घर पर बड़े भाई विनीत खूब प्रोत्साहित करते थे। उनकी और कोच लियाकत के प्रयासों की बदौलत मोहल्ले की गली से इंटरनेशनल स्टेडियम तक पहुंच पाई हैं।
हर कदम पर परिवार साथ
एकता ने बताया कि क्रिकेट खेलना उनके लिए काफी चुनौतीपूर्ण था। आर्थिक कमी के साथ-साथ सामाजिक दबाव भी उनपर था। जब वह क्रिकेट खेलने के लिए दूसरी जगहों पर जाती तो बहुत से लोग उनकी आलोचना भी करते। वे ताने भी देते, पर कुछ लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने उनके हौसले को बढ़ाया। उनके परिवार ने तो हर कदम पर उनका साथ दिया। उन लोगों ने कभी भी एकता को खेलने के लिए बाहर जाने से मना नहीं किया और न ही कभी पैसों की कमी आड़े आने दी। वह बताती हैं कि उनके कोच लियाकत आज भी उनकी आर्थिक मदद को तैयार रहते हैं। वर्ष 2007-08 की बात है। बेहतर परफॉर्म करने के बावजूद एकता का टीम में चुनाव नहीं हो पा रहा था। तब उन्होंने क्रिकेट छोड़ने का मन बना लिया, लेकिन परिवार वालों ने उन्हें टूटने नहीं दिया। मम्मी-पापा, भाई-बहन सभी ने हिम्मत देते हुए कहा कि मेहनत करो फल जरूर मिलेगा।
नीतू डेविड हैं आदर्श
एकता का कहना है कि लड़की होने के नाते बाहर खेलते हुए उन्होंने कभी अपने आपको असुरक्षित महसूस नहीं किया, क्योंकि वह हमेशा आत्मविश्वास से भरपूर रहती हैं। अभ्यास के लिए बढ़िया ग्राउंड की कमी जरूर खटकती थी। जब भी उन्हें दिक्कत होती तो यह वाक्य कि यदि लगन हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती है, उनका हौसला बढ़ा देता। वह बाएं हाथ की स्पिनर गेंदबाज और दांये हाथ की ही बल्लेबाज हैं। बाएं हाथ से खेलने के कारण विरोधी टीम को अपनी रणनीति बदलने को मजबूर कर देती हैं। पहली बार जब उन्होंने 2011 में इंग्लैंड की जमीन पर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेला तो वह उनके लिए यादगार पल बन गया। इससे उनका आत्मविश्वास दोगुना हो गया। वह कभी भी पाकिस्तान के खिलाफ खेलते हुए दबाव महसूस नहीं करती। अपने स्वाभाविक खेल से पाकिस्तान को भी अन्य टीमों की तरह ही लेती हैं। विश्वकप में पाकिस्तान के खिलाफ न सिर्फ उन्होंने पांच विकेट लिए, बल्कि पुरुष टीम की हार का बदला भी लिया। जब वह अपने देश के लिए खेलती हैं तो जीतने की धुन उनपर सवार रहती है। यहां तक कि मेहनताने को लेकर भी कभी नहीं सोचती। भारतीय महिला क्रिकेट टीम की पूर्व तेज गेंदबाज नीतू डेविड से एकता खासी प्रभावित हैं। वही उनकी आदर्श भी हैं।
मिस करती हैं भारतीय व्यंजन
जब वह विदेश में खेलती हैं तो सबसे ज्यादा भारतीय व्यंजनों को मिस करती हैं। अपने प्रदेश की डिश खासकर पहाड़ी भोजन उन्हें सबसे ज्यादा लजीज लगते हैं। फिल्मों की बात करें तो एकता को फिल्म 'दंगल' चुनौतियों से लड़ने की प्रेरणा देती है। इसके गाने उन्हें बहुत पसंद हैं। जींस और टी-शर्ट उनकी फेवरेट ड्रेस है। वह हमेशा खुद को फिट रखना चाहती हैं। इसलिए क्रिकेट के अभ्यास की तरह ही योग भी उनकी दिनचर्या में शामिल है। यकीनन लड़कियों में भी क्रिकेट के प्रति क्रेज बढ़ा है। यह सुखद है। प्रशंसकों की संख्या भी बढ़ी है। सोशल मीडिया पर भी फॉलोवर्स हौसला बढ़ाते रहते हैं। पुरुष टीम की ही तरह अब महिला टीम को भी लोग पहचानने लगे हैं, जो लड़कियां क्रिकेट को कॅरियर के तौर पर अपनाना चाहती हैं, एकता उनसे यही कहना चाहती हैं कि लड़कियां यदि चाह लें तो कुछ भी कर सकती हैं और अपने देश का नाम रोशन कर सकती हैं। इसलिए सिर्फ अपनी मेहनत पर भरोसा रखें।
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