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    Vivah Muhurat 2025: 14 अप्रैल से खुलेंगे शुभ कार्यों के द्वार, बजने लगेंगे बैंड-बाजा; सजने लगेगी बरात

    Updated: Thu, 10 Apr 2025 11:45 AM (IST)

    Vivah Muhurat 2025 14 अप्रैल से वैवाहिक लग्न आरंभ हो जाएंगे जो 8 जून तक चलेंगे। इस दौरान वैशाख और ज्येष्ठ माह में कुल 27 दिनों तक विवाह के लड्डू खाने को मिलेंगे। इसके बाद नवंबर में फिर से लग्न शुरू होंगे लेकिन दिसंबर में खरमास के कारण बंद हो जाएंगे। अप्रैल मई और जून में विवाह की प्रमुख तिथियां हैं।

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    बस, तीन दिन और मिलेगा विवाह के लड्डूओं स्वाद। जागरण

    शैलेश अस्थाना, जागरण, वाराणसी। बस तीन दिन और विवाह के लड्डुओं का स्वाद मन भाएगा, बैंड बजेंगे, बरातें सजेंगी और खुशियों के गीत गाए जाएंगे। 13 अप्रैल से इस नवसंवत्सर का द्वितीय वैशाख माह 13 अप्रैल को आरंभ होते ही 14 अप्रैल को खरमास समाप्त हो जाएगा और उसी दिन से वैवाहिक लग्न आरंभ हो जाएंगे।

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    वैशाख माह के दोनों पक्षों मेें कुल मिलाकर 30 दिनों में 15 दिन विवाह के लड्डू खाने को मिलेंगे। इसी तरह ज्येष्ठ माह में 12 दिन लग्न रहेगी। यानी आठ जून तक लग्न रहेगी। इसके बाद गुरु के अस्त हो जाने के कारण विवाहादि मांगलिक कार्य बंद हो जाएंग और फिर लगभग साढ़े पांच माह बाद मार्गशीर्ष में 22 नवंबर से लग्न आरंभ होगी जो पांच दिसंबर तक चलेगी। इस वर्ष के अंत में खरमास आरंभ होने के 11 दिन पूर्व ही पांच दिसंबर को लग्न खत्म हो जाएगी फिर अगले वर्ष जनवरी में ही विवाह के लड्डू खाने को मिलेंगे।

    काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष, श्रीकाशी विद्वत परिषद के संगठन मंत्री प्रो. विनय कुमार पांडेय ने बताया कि 14 अप्रैल की भोर में 5:29 बजे खरमास समाप्त हो जाएगा। उसी दिन से वैवाहिक मुहूर्त भी आरंभ हो जाएंगे यानी इस सत्र का पहला विवाह मुहूर्त 14 अप्रैल को होगा।

    पहला विवाह मुहूर्त 14 अप्रैल को होगा। जागरण


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    इसके बाद 15 को मृत्युबाण व व्यतिपात योग होने से उस दिन विवाहादि मंगल कार्य नहीं होंगे लेकिन 16 अप्रैल से पुन: इसका क्रम बीच-बीच में रुक-रुक कर चलता रहेगा। वैशाख कृष्ण पक्ष में 30 अप्रैल तक कुल नौ लग्न व शुक्ल पक्ष में एक से 10 मई तक छह वैवाहिक लग्न होंगे। इसे पश्चात ज्येष्ठ माह में 14 मई से आरंभ कृष्ण पक्ष में 23 मई तक कुल पांच तथा शुक्ल पक्ष में 28 मई से 10 जून तक छह लग्न मिलेंगे। इस तरह इस सत्र में कुल 58 दिनों में कुल 27 दिनों तक विवाह के लड्डृ खाने को मिलेंगे।

    इस बार देवशयनी एकादशी के 28 दिन पूर्व ही खत्म हो जाएगी लग्न

    ज्येष्ठ माह में आठ जून तक ही विवाह के लग्न हैं क्योंकि आठ जून से गुरु का वार्धक्य आरंभ हो जा रहा है और वह अस्त हो जाएगा और फिर यह सात जुलाई को उदित होगा लेकिन तब तक छह जुलाई को ही देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु के चातुर्मास्य की योगनिद्रा में चले जाने के कारण मांगलिक कार्य बंद हो चुके होंगे। दुबारा मांगलिक कार्य आरंभ होते हैं कार्तिक मास में देवोत्थान एकादश के बाद।

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    इस बार देवोत्थान एकादशी तो पड़ेगी एक नवंबर को लेकिन लग्न फिर भी मार्गशीर्ष द्वितीया 22 नवंबर से आरंभ हो सकेगी कारण कि उन दिनों सूर्य वृश्चिक में नहीं होने के कारण तथा शुक्र तुला राशि का होने के कारण कार्तिक माह में विवाह के लग्न नहीं हो सकते। 22 नवंबर को आरंभ यह लग्न प्राय: प्रतिवर्ष 14 दिसंबर तक खरमास लगने तक जाती है लेकिन इस बार यह पांच दिसंबर को ख्ररमास आरंभ होने के पूर्व ही खत्म हो जाएगी। कारण कि उसी दिन शुक्र अस्त हो जाएंगे जबकि खरमास 16 दिसंबर से आरंभ होगा। इसके बाद लग्न अगले वर्ष 16 जनवरी से मिलना आरंभ होंगे।

    अप्रैल, मई-जून में विवाह की प्रमुख तिथियां

    • अप्रैल: 4, 16, 18, 19, 20, 21, 26, 29, 30
    • मई: 1, 5, 6, 8, 9, 10 (वैशाख लग्न समाप्त), ज्येष्ठ में- 14, 15, 17, 18, 22, 23, 28 मई
    • जून: 01, 02, 05, 07, 08 जून। गुरु अस्त।