पिस्टल निकालकर किशोर को धमकाने पर थानाध्यक्ष ने सफाई में कहा था -'बेल्ट ढीली थी', डीसीपी ने किया निलंबित
वाराणसी के कोटवा गांव में सिपाही सुशील शुक्ला पर किशोर आयुष को पीटने और पिस्टल दिखाने का आरोप लगा है। डीसीपी प्रमोद कुमार ने सिपाही को निलंबित कर दिया है। आयुष ने बताया कि सिपाही ने उसकी बहन के सामने उसे रोका और मारपीट की। घटना का वीडियो वायरल होने के बाद थानाध्यक्ष ने सफाई दी थी।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। कोटवा गांव के निवासी आयुष को उसकी बहन के सामने पीटने और पिस्टल दिखाकर डराने के आरोप में सिपाही सुशील शुक्ला को डीसीपी प्रमोद कुमार ने आखिरकार निलंबित कर दिया है।
यह मामला तब सामने आया जब आयुष ने अपनी बहन खुशी को स्कूल से लाने के दौरान सिपाही द्वारा उत्पीड़न का आरोप लगाया। 17 वर्षीय आयुष ने बताया कि वह अपनी बहन को बाइक पर लेकर घर लौट रहा था, तभी सुशील शुक्ला अपने एक साथी सिपाही के साथ आया और उसे रोक लिया।
आयुष ने कहा कि सिपाही ने उनसे पूछा कि वह कहा जा रहा है। जब बताया कि यह उनकी बहन है, तो सिपाही गुस्से में आ गया और बहस के दौरान अपनी पिस्टल निकाल ली। इसके बाद, सिपाही ने उन्हें जबरन कोटवा चौकी ले जाकर मारपीट की। हालांकि, बाद में बिना किसी कार्रवाई के आयुष को छोड़ दिया गया।
इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद लोहता थानाध्यक्ष को इस पर सफाई देनी पड़ी। उन्होंने कहा कि पिस्टल कमर में बेल्ट ढीली होने के कारण निकली थी। इस सफाई ने मामले को और भी विवादास्पद बना दिया है। क्योंकि वायरल वीडियो और थानाध्यक्ष की सफाई में कोई मेल नहीं था।
आयुष ने बताया कि वह अपनी बहन खुशी को छितौनी गांव के देववाणी इंटर कालेज से लेने गया था। जब वह स्कूल से छुट्टी लेकर घर लौट रहा था, तभी सिपाही ने उनकी मोटरसाइकिल रोककर पूछताछ की। आयुष ने कहा कि यह घटना उनके लिए बेहद डरावनी थी और उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि पुलिस इस तरह से व्यवहार करेगी।
#Varanasi में पुलिस कर्मी को एक किशोर से इतना खतरा महसूस हुआ कि सरेराह पिस्टल निकालनी पड़ गई। pic.twitter.com/1Vt8Z15A9v
— Abhishek sharma (@officeofabhi) September 20, 2025
इस मामले में डीसीपी प्रमोद कुमार ने सिपाही सुशील शुक्ला के खिलाफ कार्रवाई की है, जो पुलिस की छवि को धूमिल करने वाली घटना है। स्थानीय लोगों ने भी इस घटना की निंदा की है और पुलिस प्रशासन से उचित कार्रवाई की मांग की थी।
इस प्रकार की घटनाएं समाज में पुलिस के प्रति विश्वास को कमजोर करती हैं। लोगों का मानना है कि पुलिस को नागरिकों की सुरक्षा करनी चाहिए, न कि उन्हें डराना चाहिए। इस घटना ने यह सवाल उठाया है कि क्या पुलिस बल को इस तरह की शक्ति का दुरुपयोग करने की अनुमति दी जानी चाहिए। इस घटना ने एक बार फिर से पुलिस और नागरिकों के बीच के संबंधों पर सवाल उठाए हैं, और यह आवश्यक है कि इस पर गंभीरता से विचार किया जाए।
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