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    जीएसटी में कटौती के इंजन से अब फर्राटे भरेगी कारोबार की फैक्ट्री, कारोबार‍ियों ने मांगी सहूलियतें भी

    Updated: Sun, 07 Sep 2025 07:37 PM (IST)

    वाराणसी के उद्यमियों ने जीएसटी में कटौती के निर्णय को सराहा है जिससे कारोबार में तेजी आएगी। जीएसटी स्लैब में बदलाव बाजार में एक बूस्टर का काम करेगा और ट्रंप टैरिफ को जवाब देगा। उद्यमियों ने कुछ और सहूलियतें भी मांगी हैं। अपर आयुक्त उद्योग उमेश कुमार सिंह ने कहा कि जीएसटी दर में बदलाव से लाभ मिलेगा।

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    जीएसटी कटौती वाराणसी के उद्यमियों ने सराहा, कारोबार में आएगी तेजी।

    मुकेश चंद्र श्रीवास्तव, वाराणसी। काशी के उद्यमियों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर हुई जीएसटी में कटौती के निर्णय को एकमत से सराहा है। कारण कि जीएसटी में इस कटौती के इंजन से अब कारोबार की फैक्ट्री और तेजी से फर्राटे भरेगी।

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    जीएसटी स्लैब में बदलाव एक तरह से बाजार में बुस्टर का काम करेगा। साथ ही ट्रंप टैरिफ काे जवाब भी देगा। इसलिए यह बहुत ही सराहनीय कदम है। हालांकि उद्यमियों ने कुछ और सहूलियतें भी मांगी हैं। ताकि और अधिक राहत मिले सके। उद्यमियों ने यह बातें रविवार को दैनिक जागरण में आयोजित जागरण संवाद में खुलेमन से की।

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    सभी उद्यमियों द्वारा अपनी बात रखने के बाद मुख्य अतिथि अपर आयुक्त उद्योग उमेश कुमार सिंह ने कहा, सुधार में नित गुंजाईश बनी रहती है। सरकार ने उद्यमियों, व्यापारियों व आमजन की सहूलियतों को ध्यान में रखते हुए जीएसटी दर में दबलाव किया है। निश्चित ही इससे हर वर्ग व हर सेक्टर को लाभ मिलेगा। लोगों में खरीदारी की क्षमता विकसित होगी।

    बाजार में मांग बढ़ेगी तो उद्यमियों को उत्पादन बढ़ाने का भी मौका मिलेगा। साथ ही देश की अर्थव्यवस्था में भी तेजी आएगी। इस निर्णय से जीडीपी में भी बूस्टअप आएगा। उमेश कुमार सिंह ने यह भी कहा कि अमेरिका द्वारा थोपे के टैरिफ से भी राहत मिलेगी। उत्पादन व बिक्री बढ़ने से रोजगार के भी अवसर बढ़ेंगे।

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    जीएसटी स्लैब ही नहीं पंजीयन भी हुआ आसान, ट्रंप टैरिफ को भी जवाब : आरके चौधरी

    शहर के प्रमुख उद्यमी व इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आरके चौधरी ने कहा कि सरकार ने जीएसटी दरों में ही कटौती नहीं की है। बल्कि जीएसटी पंजीयन को भी आसान बना दिया है। पहले जहां पंजीयन को स्वीकृत मिलने में महीनों लग जाते थे अब महज तीन या नौ दिन के अंदर ही मिल जाएगी।

    इसके साथ ही लगभग 300 आइटम के जीएसटी दरों में बदलाव किया गया है। इससे सभी वर्ग को राहत मिलेगी। पहले की तुलना में रिफंड की प्रक्रिया भी आसान कर दी गई है। सरकार का यह निर्णय ट्रंप टैरिफ को जवाब देने वाला भी है। बाकी जो कमियां रह गई है संगठन इसकी फिर से मांग उठाएगा।

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    जीएसटी पर संवाद

    कृषि यंत्र पर जीएसटी 12 से घटाकर पांच प्रतिशत करने से किसानों को बड़ा लाभ होगा। साथ ही विदेशों से आने वाले यंत्रों पर लगाम लगेगी। इससे कृषि यंत्र उद्यमी विदेशी यंत्रों से मुकाबला कर सकेंगे।

    - राजेश कुमार सिंह- लघु उद्योग भारती।

    जीएसटी में छूट से आम आदमी की मूलभूत आवश्यकता रोटी, कपड़ा, मकान को पूरा करना आसान होगा। इसमें स्वास्थ्य, शिक्षा व सुरक्षा का ध्यान रखा गया है। इससे जहां आम आदमी को लाभ होगा वहीं व्यापार में बढ़ोत्तरी होगी।

    -राजकुमार शर्मा

    जीएसटी में छूट का स्वागत है। सरकार बात तो कुटीर उद्योग की करती है लेकिन वह कैसे बड़े ब्रांड से प्रतिस्पर्धा कर सकेगी। इसका संशोधनों में कोई उल्लेख नहीं है। घर-घर उद्योग लगाने में समस्या आएगी।

    -पीयूष अग्रवाल।

    एल्यूमिनियम पर जीएसटी 12 से घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है। वहीं कच्चे माल पर टैक्स 18 प्रतिशत रखा है। यह अनुचित है। इससे व्यापारी के लाभ में कमी आएगी। इस पर विचार करना चाहिए।

    - पंकज अग्रवाल।

    मोदी सरकार का आम आदमी के साथ उद्योग-व्यापार को बुस्ट करने का यह सेकेंड डोज है। बजट में जहां इनकम टैक्स में छूट दिया गया था तो इस बार जीएसटी में छूट देकर दूसरा डोज दिया गया है।

    - मनीष कटारिया।

    जीएसटी में दो स्लैब करना और सैकड़ों वस्तुओं की दर में कमी करना बहुत ही सराहनीय कदम है। इसमें सात दिन में रिटर्न मिलने की बात कही गई है। अब देखना है कि यह घोषणा कितनी कारगर होती है।

    - जगदीश झुनझुनवाला।

    सभी सेक्टर को लाभ होगा। खरीद बढ़ेगी तो उद्योग में बुस्ट आएगा। यह लाभ किसी उद्योग में एक माह में दिखने लगेगा तो किसी में पांच-छह माह भी लग सकता है लेकिन व्यवसाय में तेजी आएगी।

    -दयाशंकर मिश्र।

    सरकार ने जीएसटी में जो छूट दिया है उसका पूरा लाभ उपभोक्ता को मिले। इसका पूरा ध्यान रखना चाहिए। हम सभी का दायित्व है कि वर्तमान वैश्विक परिस्थिति में देश का साथ दें।

    - आनंद जायसवाल।

    जीएसटी छूट के साथ ही कुछ विसंगतियां हैं। इनपुट और आउटपुट टैक्स में काफी अंतर है। इससे दूर करने का प्रयास किया जाना चाहिए। विसंगतियों को दूर नहीं किया गया तो भ्रष्टाचार का यह जरिया बनेगा।

    - महिपाल गुप्ता।

    जीएसटी में छूट का वर्षों से इंतजार था। उसका स्वागत है। इसके बावजूद कुछ सेक्टर में फंड फंसेगा। उसे दूर करने का इंतजाम करना चाहिए।

    - अंजनी कुमार सिंह।

    यह बजट देश के कमजोर और मध्यम वर्ग के लिए बहुत ही हितकारी साबित होने वाला है। इससे आम आदमी वर्ष में घर खर्च से 50000 रुपये तक की बचत करेगा।

    -मदन मोहन अग्रवाल।

    आम आदमी अपनी आय का बड़ा हिस्सा शिक्षा व चिकित्सा में खर्च करता है। काफी समय से एक राष्ट्र एक टैक्स की बात हो रही है। उस पर भी विचार करना चाहिए।

    - अनिल कुमार केसरी।

    एक झटके में इतने बड़े पैमाने पर इस प्रकार की छूट देना सराहनीय कदम है। निश्चित रूप से सामान सस्ते होंगे तो मांग बढ़ेगी। मांग बढ़ेगी तो व्यापार भी बढ़ेगा। बाजार गति पकड़ेगा।

    - निकुंज गुप्ता।

    नमकीनों पर 12 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत टैक्स करना सराहनीय कदम है। इससे छोटे उद्यमी भी अच्छा कर सकेंगे। सभी को सही रूप से इसका स्वागत करना चाहिए।

    - रितिक गुप्ता।

    किसी भी सेक्टर में 12 प्रतिशत को घटाकर पांच करना और 28 को 18 प्रतिशत करना बड़ा कदम है। इससे उपभोक्ता और उत्पादक दोनों को लाभ मिलेगा।

    -अनूप साहू।

    इस छूट से जनता का फायदा हो रहा है तो सरकार को भी घाटा नहीं होगा। क्योंकि एमएमसीजी की बिक्री बढ़ेगी। बिक्री बढ़ेगी तो राजस्व भी अधिक आएगा। यह सीधा सरोकार है।

    - आशीष गुप्ता।

    पीवीसी पाइप पर एक्साइज 12 प्रतिशत और वैट पांच प्रतिशत था। जीएसटी आया तो दोनों को जोड़कर 17 की बजाय 18 प्रतिशत में रख दिया गया। इस बार भी कोई कमी नहीं की गई जबकि यह आम आदमी से लेकर किसान सभी की जरूरत की चीज है।

    -अरविंद कुमार सिंह।

    नए टायर 28 से 18 प्रतिशत पर आ गए। रेट्रीडिंग टायर और कच्चा माल पर भी 18 प्रतिशत जीएसटी रखा गया है। ट्रैक्टर टायर पर तो पांच प्रतिशत है। अब जब नया टायर सस्ता होगा तो कोई टायर रेट्रीडिंग क्यों कराएगा।

    -राहुल शर्मा।

    प्लास्टिक उद्योग पर 28 प्रतिशत टैक्स रखा गया है। इसमें कोई कमी नहीं की गई है। यह चिंतनीय है। सरकार को इस पर विचार और बदलाव करना चाहिए।

    -रोशन।

    निश्चित रूप से इसका लाभ होगा। इसका स्वागत करना चाहिए। सभी को वर्तमान वैश्विक आर्थिक युद्ध में सरकार के साथ कंधा से कंधा मिलाकर चलना चाहिए।

    -जितेंद्र जैन।

    जीएसटी में कमी होने से नान ब्रांडेड को थोड़ा घाटा होगा। उसे ब्रांडेड से कंपटीशन करना कठिन हो जाएगा। इस विषय में सोचने की जरूरत है।

    -सत्यम साहू।

    कुछ मामले में सरकार मंशा साफ नहीं है। रेट कम कर पांच प्रतिशत कर दिया गया वहीं कच्चे माल पर जीएसटी दर को बढ़ा दिया गया। ऐसे में उद्यमी को समस्या आएगी।

    - संजय लखवानी।

    ब्रांडेड और अनब्रांडेड का दर एक कर दिया गया है। यह अच्छा कदम है। क्योंकि कुछ लोग टैक्स बचाने के लिए ब्रांडेड को अनब्रांडेड कहकर बेचते थे।

    -भारत रूपवानी।

    पंखा का हर व्यक्ति के जीवन में उपयोग है। इसके बिना न सामान बेचा जा सकता है न खाना खाया जा सकता है। इसके बावजूद पंखा पर जीएसटी कम नहीं किया गया। यह सोचनीय है।

    -प्रशांत अग्रवाल।

    12 वाले पांच प्रतिशत जीएसटी वाले हो गए। पहले इसी वजह से अधिकारियों द्वारा व्यापारियों की गाड़ियां पकड़ी जाती थी। उसमें कमी आएगी।

    -देव भट्टाचार्य।

    जीएसटी में कमी से बाजार में जो ठहराव है उसमें बदलाव आएगा। बाजार में मांग बढ़ेगी। इससे बाजार उठेगा। हर तरफ समृद्धि आएगी।

    -नमन कुमार वर्मा।

    कुछ चीजों पर छूट केवल ट्रैक्टर पर दी गई है। वह पार्ट्स अन्य गाड़ियों में भी प्रयोग होता है। इससे व्यापारियों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा। वह इसमें उलझ कर परेशान होंगे। इसे दूर करना चाहिए।

    - नीरज पारिख।

    जीएसटी उपभोक्ता देता है। वह कभी न तो विरोध करता है न ही संगोष्ठी करता है। हम उद्यमियों को इस पर बहुत सोचने की बजाय मेहनत करने की जरूरत है।

    - सुरेश पटेल।

    जीएसटी की 12 प्रतिशत की दर को हटाना नहीं चाहिए था। कुछ कच्चे माल पर टैक्स 18 प्रतिशत लागू कर दिया गया है। इससे दाम बढ़ेगा। इस पर जीएसटी काउंसिल को विचार करना चाहिए।

    - राहुल जायसवाल।

    कर के बिना देश नहीं चलेगा। असली जीएसटी उपभोक्ता देता है। हमें उसकी सोचनी चाहिए। इस कारण हम सभी को लेकर सहयोग प्रदान करना चाहिए। उपभोक्ता हित सर्वोपरी है। इसका स्वागत है। इसके बावजूद कच्चे माल पर टैक्स को बढ़ा दिया गया है। इसे लेकर उत्पादक परेशान है। इस पर सरकार को विचार करना चाहिए।

    - ज्योतिशंकर मिश्र।

    नमकीन आदि खाद्य उद्योग लगाने में प्रयोग होने वाली मशीनों पर भारी जीएसटी है। वहीं उसके उत्पाद पर जीएसटी नहीं है। ऐसे में उसने जो जीएसटी दिया है उसे वापस पाने का प्रविधान नहीं है।

    - बृजेश कुमार।

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