Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Varanasi News: आज भानु सप्तमी, श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में होगी गंगा आराधना और संगीतमय शिवार्चन

    Updated: Sun, 04 May 2025 09:31 AM (IST)

    वाराणसी में श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में भानु सप्तमी और गंगा सप्तमी के अवसर पर विशेष आयोजन होंगे। ललिता घाट पर गंगा अभिषेक और गंगा मंदिर में विशेष पूजा की जाएगी। शाम को मंदिर चौक में माँ गंगा और महादेव की स्तुति में संगीतमय भजन संध्या होगी। भानु सप्तमी पर भगवान सूर्य की आराधना का विशेष महत्व है।

    Hero Image
    श्रीकाशी विश्वनाथ धाम आज भानु सप्तमी। जागरण

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में गंगा सप्तमी के उपलक्ष्य में रविवार को अनेक आयोजन किए जाएंगे। मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्वभूषण मिश्र ने बताया कि प्रातःकाल ललिता घाट पर गंगाभिषेक एवं प्रांगण स्थित गंगा मंदिर में विशेष आराधना की जाएगा। सायंकाल में मंदिर चौक स्थित शिवार्चनम मंच से मां गंगा एवं महादेव की स्तुति में संगीतमय भजन संध्या का आयोजन किया जाएगा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    वैसे गंगा सप्तमी शनिवार को मनाई गई, रविवार को भानु सप्तमी होगी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विनय कुमार पांडेय ने बताया कि वैशाख मास के शुक्ल पक्ष में जब सप्तमी अपराह्न व्यापिनी होती है तो गंगा सप्तमी का पर्व होता है। इसी तिथि को स्वर्ग से मां गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था।

    इसे भी पढ़ें- 128 वर्षीय योग गुरु शिवानंद बाबा का निधन, सरकार ने पद्मश्री से किया था सम्मानित

    श्रीकाशी विश्वनाथ धाम। जागरण


    इस मत के अनुसार अपराह्न व्यापिनी सप्तमी शनिवार को होने के चलते गंगा सप्तमी का पर्व मनाया गया। प्रो. पांडेय ने बताया कि रविवार को उदया तिथि में सप्तमी होने के नाते भानु सप्तमी का विधान होगा। जब भी सप्तमी रविवार को होती है, उसे भानु सप्तमी कहा जाता है।

    इसे भी पढ़ें- Railway News: खत्म होगी ट्रेनों में पानी की किल्लत, छह मिनट में भरेगी 48 हजार लीटर की टंकी

    सप्तमी तिथि के स्वामी व रविवार के अधिपति भगवान सूर्य होते हैं। भानु सप्तमी में भगवान सूर्य को अर्घ्य देना, उनकी आराधना करना, आदित्यहृदयस्तोत्र व सूर्य आराधना के अन्य मंत्रों का जाप करना अत्यंत फलदायी माना गया है। इससे सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं और जीवन में राेग-शोक का नाश कर अरोग्य सुख, यश-कीर्ति में वृद्धि करते हैं।