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    पद्मश्री से सम्मानित 129 वर्षीय योग गुरु शिवानंद का निधन, अक्षय कुमार भी हुए थे बाब फुर्ती के कायल

    Updated: Sun, 04 May 2025 12:34 PM (IST)

    वाराणसी के पद्मश्री योग गुरु शिवानंद बाबा का शनिवार रात निधन हो गया। वह 129 साल के थे। सांस लेने में दिक्कत के कारण उन्हें बीएचयू अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वर्ष 2022 में तत्कालीन राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने काशी के योग गुरु को पद्मश्री से सम्मानित किया था। स्वामी शिवानंद पद्मश्री पुरस्कार पाने वाले सबसे उम्रदराज व्यक्ति हैं।

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    129 वर्षीय योग गुरु शिवानंद बाबा का निधन, सरकार ने पद्मश्री से किया था सम्मानित

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। पद्मश्री से सम्मानित 129 वर्षीय याेगाचार्य स्वामी शिवानंद का शनिवार को निधन हो गया। उन्हें बीते 30 अप्रैल को सांस लेने में हुई दिक्कत के कारण बीएचयू के सर सुंदर लाल चिकित्सालय में भर्ती कराया गया था। वहां इलाज के दौरान रात रात 8:50 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। वर्ष 2022 में तत्कालीन राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने काशी के इस योग गुरु को पद्मश्री से सम्मानित किया था।

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    चार दिन पूर्व तक 129 वर्ष की अवस्था में भी स्वामी शिवानंद का स्वास्थ्य और चुस्ती-फुर्ती देख हर कोई उनका कायल था। वह दुर्गाकुंड के कबीरनगर स्थित आश्रम में रहते थे। उनके शिष्य देश-विदेश में फैले हुए हैं। उनका जन्म बांग्लादेश के जिला श्रीहटा महकमा हरीगंज में पड़ने वाले सुप्रसिद्ध ठाकुरवादी घराने के ब्राह्मण भिक्षुक गोस्वामी परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम पं. श्रीनाथ गोस्वामी व माता का नाम भगवती देवी था।

    शिवानंद बाबा के आधार कार्ड पर जन्मतिथि आठ अगस्त 1896 दर्ज है। वह बताते थे कि कभी-कभी भिक्षा न मिलने पर पूरा परिवार भूखा ही सो जाता था, भूख की वजह से उनके माता-पिता की मौत हो गई थी, जिसके बाद से बाबा आधा पेट भोजन ही करते थे। बचपन से ही झेलीं समस्याएं बचपन से ही बाबा ने समस्याएं झेलीं थीं। उनके माता-पिता ने चार वर्ष की ही अवस्था में शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास के लिए अपने बेटे को नवदीप निवासी एक वैष्णव संत को सौंप दिया था।

    बाबा की एक बहन भी थीं

    बाबा की एक बहन भी थीं, जब बाबा छह वर्ष के थे, तभी भूख से एक दिन उनका निधन हो गया। इसके बाद बाबा घर गए। उनके घर जाने के सात दिन बाद ही सूर्योदय के पूर्व उनकी मां तथा सूर्योदय के पश्चात उनके पिता का निधन हो गया। बाबा ने अपने माता-पिता को मुखाग्नि न देकर चरणाग्नि दी। माता-पिता के निधन के बाद लौट आए थे आश्रम माता-पिता के देहांत के बाद बाबा ने अपने पितृ देव द्वारा पूजित नारायण शिला को और अपनी माता द्वारा पूजित शिवलिंग को अपने साथ ले लिया और वापस नवदीप अपने गुरु आश्रम को लौट आए। वहां गुरु के देहांत के बाद बाबा शिवानंद अब लोगों की सेवा में जुट गए। बाद में बाबा बंगाल से काशी आ गए और यहां पर गुरु ओंकारानंद से दीक्षा ली।

    आजीवन ब्रह्माचारी रहे

    उनकी कोई विद्यालयीय शिक्षा नहीं हुई थी और वे आजीवन बाल ब्रह्मचारी रहे। 1925 में अपने गुरु के आदेश पर वह दुनिया भ्रमण पर निकले और करीब 34 साल तक देश-विदेश घूमते रहे। स्वामी शिवानंद आश्रम में तृतीय तल पर रहते थे और बिना किसी सहारा के चढ़ते-उतरते थे। जिस आश्रम मे वह रहते थे वहां पर लिफ्ट भी नहीं है। बीते महाकुंभ में भी वह पहुंचे थे और लोगों को वहां पर योग की शिक्षा देते रहे।

    अत्यंत संयमित था बाबा का जीवन

    बाबा के शिष्य जयदीप ने बताया कि बाबा सुबह तीन बजे ही बिस्तर छोड़ देते थे। पूरे दिन भर जप, ध्यान, संसार की मंगल कामना, सेवा व तमाम तरह के निष्काम कर्मों को संपन्न करते थे। इसके बाद रात नौ बजे विश्राम पर जाते थे। उनके भोजन में सिर्फ उबली सब्जियां और थोड़ी बहुत अन्य मिठाइयां होती थीं। बाबा तली चीजें नहीं खाते थे। उनका सबसे प्रिय काम दीन, दुखी, पीड़ितों की सहायता और सेवा करना था। बाबा का कहना था कि प्राणियों की निस्वार्थ सेवा ही ईश्वर की सेवा करना है।

    बाबा की फुर्ती देख अक्षय कुमार भी रह गए थे हैरान

    जब स्वामी शिवानंद पद्मश्री लेने राष्ट्रपति भवन पहुंचे तो 126 वर्ष की अवस्था में भी उन्हें बिना किसी सहारे के तेज कदमों से चलते देख फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार भी हैरान रह गए। अक्षय ने उनका वीडियो साझा करते हुए लिखा-'यह 126 साल के हैं और कितनी शानदार सेहत है। अनेक-अनेक प्रणाम स्वामी जी। यह वीडियो देखकर मन खुश हो गया।’ देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने ट्वीट किया था- ‘125 वर्षीय काशी के योग गुरु स्वामी शिवानंद जी को पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया गया। मेरा देश बदल रहा है...।’

    शिष्यों के आग्रह पर की गई देशों की यात्रा

    स्वामी शिवानंद ने शिष्यों के आग्रह पर कई देशों की यात्रा की। इसमें ग्रीस, फ्रांस, स्पेन, आस्ट्रिया, इटली, हंगरी, रूस, पोलैंड, आयरलैंड, नीदरलैंड, स्विटजरलैंड, जर्मनी, बुल्गेरिया, यूके आदि देश शामिल थे। वे जहां गए योग का प्रसार किया। अंतिम बार वर्ष 2011 में उनका इंग्लैंड जाना हुआ था। उनके अनुयायियों में नार्थ-ईस्ट के लोगों की संख्या अधिक है।

    आज दर्शनार्थ रखा जाएगा शव

    बाबा शिवानंद का पार्थिव शरीर आश्रम परिसर में रविवार को दर्शनार्थ रखा जाएगा। उनके शिष्य बंगीय समाज के सचिव देवाशीष दास व कबीरनगर पार्षद अक्षयवर सिंह ने बताया कि बाबा के भक्त देश के अनेक राज्यों में बिखरे हुए हैं, सभी को सूचना दे दी गई है। सभी लोग कल शाम-रात तक यहां पहुंच जाएंगे। उनके आने के बाद रविवार रात या सोमवार सुबह बाबा की अंत्येष्टि के लिए अंतिम यात्रा आश्रम से निकाली जाएगी।