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    Varanasi Cold Wave: पूरे दिन हाड़ ठिठुराती रही गलन, शनिवार भी अति शीत दिवस

    Updated: Sun, 28 Dec 2025 10:55 AM (IST)

    पश्चिमी विक्षोभ के कारण वाराणसी में भीषण ठंड और गलन जारी है। बर्फीली पछुआ हवाओं और घने कोहरे ने पूरे दिन जनजीवन प्रभावित किया। अधिकतम तापमान सामान्य स ...और पढ़ें

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    अब नए साल की शुरुआत तक चलेगी शीतलहर। जागरण

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। पश्चिमी विक्षोभ की नई बयार ने एक बार फिर ठिठुरा दिया। बर्फीली पछुआ हवा के चलते पूरे दिन गलन बनी रही, गलन भरी ठंड हाड़ ठिठुराती रही। पूरे दिन कोहरा बना रहा।

    दोपहर बाद सूर्यदेव थोड़ी देर के लिए कोहरे की चादर हटा झांके जरूर लेकिन उनकी किरणें कोई प्रभाव न डाल सकीं और वे पुन: कोहरे की धुंध में खो गए। अधिकतम तापमान सामान्य से 6.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक नीचे चले जाने के कारण शनिवार भी अति शीत दिवस बन गया। खराब मौसम के चलते 18 उड़ानें निरस्त कर दी गईं जबकि अनेक ट्रेनें और डड़ानों का संचालन घंटों विलंब से हुआ।

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    शुक्रवार की रात से ही घने कोहरे ने सभी दिशाओं को अपनी चपेट में ले लिया था। दृश्यता 40 मीटर तक रह गई थी। शनिवार की सुबह भी घने कोहरे में लिपटी रही। कुछ देर बाद कोहरा जरूर कम हुआ लेकिन कोहरे की चादर ने पूरे परिवेश को पूरे दिन अपने आवरण में घेरे रखा।

    इससे बीएचयू क्षेत्र में अधिकतम तापमान में बीते 24 घंटे की अपेक्षा 4.1 डिग्री सेल्सियस की कमी आई और यह सामान्य से 6.7 डिग्री सेल्सियस नीचे 17.8 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया तो न्यूनतम तापमान में 1.6 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई और यह सामान्य से 2.6 डिग्री सेल्सियस अधिक 11 पर रहा। उधर, बाबतपुर क्षेत्र में भी अधिकतम तापमान ने 3.4 डिग्री सेल्सियस का गोता लगाया लगाया और सामान्य से 6.3 डिग्री सेल्सियस नीचे 16.4 पर आ गया।

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    वहां न्यूनतम तापमान में 2.7 डिग्री सेल्सियस बढ़कर 9.9 डिग्री सेल्सियस पर रहा जो सामान्य से 1.3 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के लखनऊ स्थित आंचलिक कार्यालय के अनुसार रविवार को भी पूर्वी उत्तर प्रदेश के अनेक जनपदों में घना से अत्यंत घना तक कोहरा बना रह सकता है।

    बीएचयू के मौसम विज्ञानी प्रो. मनोज कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि पश्चिमी विक्षोभ के इस झोंके का प्रभाव अभी दो-तीन दिन और बना रह सकता है। इससे आने वाले दिन भी शनिवार की तरह ही कोहरे में लिपटे रह सकते हैं, तापमान में और गिरावट होने से गलन का प्रभाव और तीव्र हो सकता है। उन्होंने बताया कि इस विक्षोभ का प्रभाव खत्म होते ही इसके ठीक पीछे एक और विक्षोभ पहुंचेगा जिससे आने वाला नया साल भी शीतलहर के बीच में मनाना होगा।